श्री ललिता चालीसा विडियो
श्री ललिता चालीसा (Lalitha Chalisa)
॥ चौपाई ॥
जयति जयति जय ललिते माता, तब गुण महिमा है विख्याता।
तू सुन्दरि, त्रिपुरेश्वरी देवी, सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी, तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी।
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी, भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा, चक्र स्वामिनी देह अनूपा।
हृदय निवासिनी भक्त तारिणी, नाना कष्ट विपति दल हारिणी।
दश विद्या है रूप तुम्हारा, श्री चन्द्रेश्वरि! नैमिष प्यारा।
धूमा, बगला, भैरवी, तारा, भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।
षोडशी, छिन्नमस्ता, मातंगी, ललिते! शक्ति तुम्हारी संगी।
ललिते तुम हो ज्योतित भाला, भक्त जनों का काम संभाला।
भारी संकट जब-जब आये, उनसे तुमने भक्त बचाये।
जिसने कृपा तुम्हारी पाई, उसकी सब विधि से बन आई।
संकट दूर करो माँ भारी, भक्तजनों को आस तुम्हारी।
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी, जय जय जय शिव की महारानी।
योग सिद्धि पावें सब योगी, भोगे भोग, महा सुख भोगी।
कृपा तुम्हारी पाके माता, जीवन सुखमय है बन जाता।
दुखियों को तुमने अपनाया, महामूढ़ जो शरण न आया।
तुमने जिसकी ओर निहारा, मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा।
आदि शक्ति जय त्रिपुर-प्यारी, महाशक्ति जय जय भयहारी।
कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा, लीला ललिते करें अनूपा।
महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे, त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।
महा महानन्दे, कल्याणी, मूकों को देती हो वाणी।
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी, होता तब सेवा अनुरागी।
जो ललिते तेरा गुण गावे, उसे न कोई कष्ट सतावे।
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी, तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी।
आया माँ जो शरण तुम्हारी, विपदा हरी उसी की सारी।
नामा-कर्षिणी, चित्त-कर्षिणी, सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।
महिमा तब सब जग विख्याता, तुम हो दयामयी जगमाता।
सब सौभाग्य-दायिनी ललिता, तुम हो सुखदा करुणा कलिता।
आनन्द, सुख, सम्पति देती हो, कष्ट भयानक हर लेती हो।
मन से जो जन तुमको ध्यावे, वह तुरन्त मनवांछित पावे।
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली, तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।
मूलाधार निवासिनी जय-जय, सहस्रार गामिनी माँ जय-जय।
छः चक्रों को भेदने वाली, करती हो सबकी रखवाली।
योगी भोगी क्रोधी कामी, सब हैं सेवक सब अनुगामी।
सबको पार लगाती हो माँ, सब पर दया दिखाती हो माँ।
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी, भण्डासुर का, हृदय विदारिणी।
सर्व विपति हर, सर्वाधारे, तुमने कुटिल कुपंथी तारे।
चन्द्र-धारणी, नैमिषवासिनी, कृपा करो ललिते अघनाशिनी।
भक्तजनों को दरस दिखाओ, संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा, होवे सुख आनन्द अधीसा।
जिस पर कोई संकट आवे, पाठ करे संकट मिट जावे।
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा, पूर्ण मनोरथ होवे सारा।
पुत्र हीन सन्तति सुख पावे, निर्धन धनी बने गुण गावे।
इस विधि पाठ करे जो कोई, दुःख बन्धन छूटे सुख होई।
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें, पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।
सबसे लघु उपाय यह जानो, सिद्ध होय मन में जो ठानो।
ललिता करे हृदय में बासा, सिद्धि देत ललिता चालीसा।
॥ दोहा ॥
ललिते माँ अब कृपा करो, सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय कर, करते तुम्हें प्रणाम॥
Shree Lalita Chalisa in English
॥ Chaupaai ॥
Jayati jayati jay Lalite maata, tab gun mahima hai vikhyaata.
Tu sundari, Tripureshwari Devi, sur nar muni tere pad sevi.
Tu Kalyani kasht nivarini, tu sukh daayini, vipda haarini.
Moh vinaashini daitya naashini, bhakt bhavini jyoti prakaashini.
Aadi Shakti Shree Vidya roopa, chakra swaamini deh anoopa.
Hriday nivasini bhakt taarini, naana kasht vipati dal haarini.
Dash vidya hai roop tumhara, Shree Chandreshwari! Naimish pyaara.
Dhooma, Bagla, Bhairavi, Taara, Bhuvaneshwari, Kamala, Vistara.
Shodashi, Chhinnamasta, Maatangi, Lalite! Shakti tumhari sangi.
Lalite tum ho jyotit bhaala, bhakt jano ka kaam sambhaala.
Bhaari sankat jab-jab aaye, unse tumne bhakt bachaaye.
Jisne kripa tumhari paayi, uski sab vidhi se ban aayi.
Sankat door karo maa bhaari, bhakt jano ko aas tumhari.
Tripureshwari, Shailaja, Bhavani, jay jay jay Shiv ki maharani.
Yog siddhi paaven sab yogi, bhoge bhog, maha sukh bhogi.
Kripa tumhari paake maata, jeevan sukhmay hai ban jaata.
Dukhiyon ko tumne apnaaya, maha-moodh jo sharan na aaya.
Tumne jiski or nihaara, mili use sampatti, sukh saara.
Aadi Shakti jay Tripur-pyaari, Mahashakti jay jay bhayahari.
Kul yogini, kundalini roopa, leela Lalite karen anoopa.
Maha-Maheshwari, Maha Shakti de, Tripur-Sundari sada bhakti de.
Maha mahaanande, Kalyani, mookon ko deti ho vaani.
Iccha-gyaan-kriya ka bhaagi, hota tab seva anuraagi.
Jo Lalite tera gun gaave, use na koi kasht sataave.
Sarv mangale jwaala-maalini, tum ho sarv shakti sanchalini.
Aaya maa jo sharan tumhari, vipda hari usi ki saari.
Naama-karshini, chitta-karshini, sarv mohini sab sukh-varshini.
Mahima tab sab jag vikhyaata, tum ho dayaamayee jagmaata.
Sab saubhagya-daayini Lalita, tum ho sukhda karuna kalita.
Aanand, sukh, sampatti deti ho, kasht bhayaanak har leti ho.
Man se jo jan tumko dhyaave, vah turant manvaanchhit paave.
Lakshmi, Durga tum ho Kaali, tumhi Sharda chakra-kapaali.
Moolaadhaar nivasini jay-jay, sahasraar gaamini maa jay-jay.
Chhah chakron ko bhedne waali, karti ho sabki rakhwali.
Yogi bhogi krodhi kaami, sab hain sevak sab anugaami.
Sabko paar lagaati ho maa, sab par daya dikhaati ho maa.
Hemavati, Uma, Brahmaani, bhandasur ka, hriday vidaarini.
Sarv vipati har, sarvaadhare, tumne kutil kupanthi taare.
Chandra-dharini, Naimishvaasini, kripa karo Lalite aghnaashini.
Bhakt jano ko daras dikhaao, sanshay bhay sab sheeghr mitao.
Jo koi padhe Lalita Chalisa, hove sukh aanand adhisa.
Jis par koi sankat aave, paath kare sankat mit jaave.
Dhyan laga padhe ikkees baara, poorn manorath hove saara.
Putra heen santati sukh paave, nirdhan dhani bane gun gaave.
Is vidhi paath kare jo koi, dukh bandhan chhoote sukh hoi.
Jitendra Chandra Bharatiya bataave, padhe Chalisa to sukh paave.
Sabse laghu upaay yah jaano, siddh hoye man mein jo thaano.
Lalita kare hriday mein baasa, siddhi det Lalita Chalisa.
॥ Doha ॥
Lalite maa ab kripa karo, siddh karo sab kaam.
Shraddha se sir naay kar, karte tumhein pranaam.
ललिता चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Lalita Chalisa with Hindi Meaning)
॥ चौपाई ॥
जयति जयति जय ललिते माता, तब गुण महिमा है विख्याता।
तू सुन्दरि, त्रिपुरेश्वरी देवी, सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी, तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी।
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी, भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।
ललिता माता की जय हो, जय हो। आपकी महिमा तो संपूर्ण जगत में प्रसिद्ध है। आप ही सबसे सुन्दर व तीनों लोकों की देवी हो जिनके चरणों की सेवा तो देवता, मनुष्य व मुनिजन करते हैं। आप हम सभी का कल्याण करने वाली और कष्टों को दूर करने वाली हो। आप ही हमें सुख प्रदान करने वाली और विपदाओं को दूर करने वाली हो। आप मोहमाया के चंगुल से हमें छुड़ाती हो और दैत्यों का नाश कर देती हो। आप भक्तों के हृदय में ज्ञान की ज्योति जलाती हो।
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा, चक्र स्वामिनी देह अनूपा।
हृदय निवासिनी भक्त तारिणी, नाना कष्ट विपति दल हारिणी।
दश विद्या है रूप तुम्हारा, श्री चन्द्रेश्वरि! नैमिष प्यारा।
धूमा, बगला, भैरवी, तारा, भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।
आप ही माँ आदिशक्ति हो और विद्या का रूप माँ सरस्वती हो। आप ही सुदर्शन चक्र की स्वामिनी अर्थात माँ लक्ष्मी हो। आप भक्तों के हृदय में वास कर उनका उद्धार कर देती हो। आप सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने में सक्षम हो। सभी दस महाविद्या आपका ही रूप हैं। आप ही चन्द्रमा की देवी हो और नैमिष में आपका वास है। माता धूमावती, बगलामुखी, भैरवी, तारा, भुवनेश्वरी, कमला इत्यादि आपका ही विस्तृत रूप हैं।
षोडशी, छिन्नमस्ता, मातंगी, ललिते! शक्ति तुम्हारी संगी।
ललिते तुम हो ज्योतित भाला, भक्त जनों का काम संभाला।
भारी संकट जब-जब आये, उनसे तुमने भक्त बचाये।
जिसने कृपा तुम्हारी पाई, उसकी सब विधि से बन आई।
माता षोडशी, छिन्नमस्ता, मातंगी इत्यादि भी आपके ही शक्ति रूप हैं। आप ही ज्योति हैं और अपने भक्तजनों के काम बना देती हैं। जब कभी भी आपके भक्तों पर कोई बहुत बड़ा संकट आया है तब आपने ही उनकी रक्षा की है। जिस किसी पर भी आपकी कृपा दृष्टि हो गयी, उसके तो सभी काम बन जाते हैं।
संकट दूर करो माँ भारी, भक्तजनों को आस तुम्हारी।
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी, जय जय जय शिव की महारानी।
योग सिद्धि पावें सब योगी, भोगे भोग, महा सुख भोगी।
कृपा तुम्हारी पाके माता, जीवन सुखमय है बन जाता।
हे माँ ललिता!! आपके भक्तों को आपसे बहुत आशाएं हैं और अब आप हमारे संकटों को दूर कर दीजिये। आप ही त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी तथा शिव भगवान की पटरानी हो। आपकी कृपा से योगी लोगों को योग की सिद्धियाँ प्राप्त होती है तो वहीं भोगी लोगों को सुख की प्राप्ति होती है। आपकी कृपा पाकर तो हमारा जीवन सुखी हो जाता है।
दुखियों को तुमने अपनाया, महामूढ़ जो शरण न आया।
तुमने जिसकी ओर निहारा, मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा।
आदि शक्ति जय त्रिपुर-प्यारी, महाशक्ति जय जय भयहारी।
कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा, लीला ललिते करें अनूपा।
आपने तो दुखी लोगों को अपना भक्त मान लिया है और वह व्यक्ति महामूर्ख ही होगा जो आपकी शरण में नहीं आया होगा। आपने जिस भी व्यक्ति को देखा, उसे तुरंत ही सुख-संपत्ति मिल गयी। आप ही माँ आदि शक्ति, तीनों लोकों में प्यारी, महाशक्ति तथा भय का नाश करने वाली माता हो। आप ही कुलयोगिनी व कुंडलिनी हैं और आप कई रूपों में अलग-अलग लीलाएं करती हैं।
महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे, त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।
महा महानन्दे, कल्याणी, मूकों को देती हो वाणी।
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी, होता तब सेवा अनुरागी।
जो ललिते तेरा गुण गावे, उसे न कोई कष्ट सतावे।
हे महामहेश्वरी!! आप मुझे शक्ति दे। हे त्रिपुरसुंदरी!! आप मुझे अपनी भक्ति दें। आप महानंदा के रूप में हम सभी का कल्याण करती हैं और गूंगे लोगों को आवाज देती हैं। जिस किसी को भी अपनी इच्छा पूरी करनी हो या ज्ञान प्राप्ति करनी हो तो वह आपका ही स्मरण करता है। जो कोई भी ललिता माता के गुणों का वर्णन करता है, उसे किसी भी प्रकार का संकट नहीं सताता है।
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी, तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी।
आया माँ जो शरण तुम्हारी, विपदा हरी उसी की सारी।
नामा-कर्षिणी, चित्त-कर्षिणी, सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।
महिमा तब सब जग विख्याता, तुम हो दयामयी जगमाता।
आप ज्वाला रूप में सभी का मंगल करने वाली हो। आपके अंदर ही सभी तरह की शक्तियां समाहित है। जो कोई भी आपकी शरण में आया है, आपने उसके जीवन से सभी संकटों को दूर कर दिया। आप हमारे मन, चित्त इत्यादि को आकर्षित करती हैं, सभी के मन को मोह लेती हैं तथा सभी के ऊपर सुखों की वर्षा करती हैं। आपकी महिमा को तो सारा संसार जानता है और आप इस जगत की माता के रूप में सभी पर दया करती हो।
सब सौभाग्य-दायिनी ललिता, तुम हो सुखदा करुणा कलिता।
आनन्द, सुख, सम्पति देती हो, कष्ट भयानक हर लेती हो।
मन से जो जन तुमको ध्यावे, वह तुरन्त मनवांछित पावे।
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली, तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।
आप स्त्रियों को सौभाग्य प्रदान करती हैं। आप ही हमें सुख प्रदान करती हो और आप ही करुणा का रूप हो। आप ही हमें आनंद, सुख, संपत्ति प्रदान करती हो तथा हमारे कष्टों व भय को दूर कर देती हो। जो कोई भी सच्चे मन से आपका ध्यान करता है, आप उसकी हरेक मनोकामना पूरी कर देती हो। आप ही माँ लक्ष्मी, दुर्गा, काली व शारदा हो।
मूलाधार निवासिनी जय-जय, सहस्रार गामिनी माँ जय-जय।
छः चक्रों को भेदने वाली, करती हो सबकी रखवाली।
योगी भोगी क्रोधी कामी, सब हैं सेवक सब अनुगामी।
सबको पार लगाती हो माँ, सब पर दया दिखाती हो माँ।
आप इस सृष्टि के मूल आधार में निवास करती हो और आपकी जय हो, जय हो। आप सभी दिशाओं में विचरण करने वाली मातारानी हो और आपकी जय हो। आप छह चक्रों को भी भेद देती हो और हम सभी की रखवाली करती हो। योगी, भोगी, क्रोधी व कामी इत्यादि सभी ही आपके सेवक हैं और आपका अनुसरण करते हैं। आप सभी को भवसागर पार करवा देती हो और हम सभी पर ही समान रूप से दया दिखाती हो।
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी, भण्डासुर का, हृदय विदारिणी।
सर्व विपति हर, सर्वाधारे, तुमने कुटिल कुपंथी तारे।
चन्द्र-धारणी, नैमिषवासिनी, कृपा करो ललिते अघनाशिनी।
भक्तजनों को दरस दिखाओ, संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।
आप ही माँ हेमावती, उमा, ब्रह्माणी तथा भंडासुर का हृदय परिवर्तित करने वाली मातारानी हो। आपने हम सभी की विपत्ति को दूर किया है और कुटील व दुष्ट लोगों का संहार किया है। आपने चन्द्रमा को धारण किया हुआ है और नैमिष में वास करती हो। हे संकटों का नाश करने वाली ललिता मां!! अब आप मुझ पर दया कीजिये। अब आप अपने भक्तों को दर्शन दीजिये और हमारी सभी तरह की शंकाओं और भय को दूर कर दीजिये।
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा, होवे सुख आनन्द अधीसा।
जिस पर कोई संकट आवे, पाठ करे संकट मिट जावे।
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा, पूर्ण मनोरथ होवे सारा।
पुत्र हीन सन्तति सुख पावे, निर्धन धनी बने गुण गावे।
जो कोई भी ललिता चालीसा का पाठ करता है, उसे परम सुख व आनंद की प्राप्ति होती है। यदि हम पर कोई संकट आता है तो ललिता चालीसा के पाठ से वह दूर हो जाता है। यदि हम इक्कीस बार ललिता माता चालीसा का पाठ कर लेते हैं तो हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। जिसके संतान नहीं है, उसे संतान प्राप्ति होती है तो निर्धन व्यक्ति धनवान बन जाता है।
इस विधि पाठ करे जो कोई, दुःख बन्धन छूटे सुख होई।
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें, पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।
सबसे लघु उपाय यह जानो, सिद्ध होय मन में जो ठानो।
ललिता करे हृदय में बासा, सिद्धि देत ललिता चालीसा।
जो कोई भी विधि पूर्वक माता ललिता चालीसा का पाठ कर लेता है, उसके सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं तथा वह बंधन मुक्त हो जाता है। जितेन्द्र चन्द्र भारतीय कहते हैं कि जो कोई भी ललिता देवी चालीसा का पाठ करता है, उसे सुख मिलता है। सुख प्राप्ति का यह सबसे छोटा उपाय है और इसे मन में ठान कर सिद्ध कर लीजिये। ललिता चालीसा के जाप से वे हमारे हृदय में निवास करती हैं और हमें सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।
॥ दोहा ॥
ललिते माँ अब कृपा करो, सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय कर, करते तुम्हें प्रणाम॥
हे ललिता माँ!! अब आप अपने भक्तों पर कृपा कर हमारे सभी काम सिद्ध कर दीजिये। हम सभी श्रद्धा पूर्वक आपके सामने सिर झुकाकर आपको प्रणाम करते हैं।
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