Shri Shiv Chalisa with Meaning (अर्थ सहित श्री शिव चालीसा)

श्री शिव चालीसा विडियो

श्री शिव चालीसा: सम्पूर्ण हिंदी लिरिक्स | Shri Shiv Chalisa Lyrics in Hindi

श्री शिव चालीसा भगवान शिव की स्तुति में एक महत्वपूर्ण भक्ति पाठ है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से शिव भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। यहाँ हम श्री शिव चालीसा के सम्पूर्ण हिंदी लिरिक्स प्रस्तुत कर रहे हैं।

दोहा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाई

जय गिरिजापति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥1

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥2

अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये॥3

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे॥4

मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥5

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥6

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥7

कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥8

देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥9

किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥10

तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥11

आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥12

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥13

किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥14

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥15

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥16

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला॥17

कीन्ह दया तहँ करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥18

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥19

सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥20

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥21

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥22

जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥23

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥24

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो॥25

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो॥26

मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥27

स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी॥28

धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥29

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥30

शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥31

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं॥32

नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥33

जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई॥34

ऋणिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥35

पुत्र हीन कर इच्छा कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥36

पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥37

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा॥38

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥39

जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्तवास शिवपुर में पावे॥40

कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥41

दोहा

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥1

मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥2

श्री शिव चालीसा का महत्व

शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह चालीसा शिवजी की महिमा का गुणगान करती है और उनके आशीर्वाद से जीवन के सभी कष्ट और समस्याएं समाप्त होती हैं। शिव भक्तों के लिए यह चालीसा एक महत्वपूर्ण साधन है, जिससे वे भगवान शिव के करीब आ सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

निष्कर्ष

श्री शिव चालीसा का पाठ आपको न केवल मानसिक शांति देगा बल्कि जीवन के सभी संकटों से मुक्ति दिलाएगा। इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें।

 

Shri Shiv Chalisa Lyrics in English/ Hinglish

॥ Doha ॥

Shri Ganesh Girija Suvan, Mangal Mool Sujan।
Kahat Ayodhyadas Tum, Dehu Abhay Vardan॥

॥ Chaupai ॥

Jai Girija Pati Deen Dayala।
Sada Karat Santan Pratipala॥1

Bhal Chandrama Sohat Nike।
Kanan Kundal Nagphani Ke॥2

Ang Gaur Shir Gang Bahaye।
Mundmala Tan Chhar Lagaye॥3

Vastra Khaal Baghambar Sohe।
Chhavi Ko Dekh Naag Muni Mohe॥4

Maina Matu Ki Hvai Dulaari।
Vam Ang Sohat Chhavi Nyari॥5

Kar Trishul Sohat Chhavi Bhari।
Karat Sada Shatrun Kshaykari॥6

Nandi Ganesh Sohai Tahan Kaise।
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise॥7

Kartik Shyam Aur Ganraau।
Ya Chhavi Ko Kahi Jaat Na Kaaun॥8

Devan Jabhi Jaaye Pukara।
Tab Hi Dukh Prabhu Aap Nivara॥9

Kiya Upadrav Tarak Bhari।
Devan Sab Mili Tumhi Juhari॥10

Turat Shadanan Aap Pathayau।
Lavanimesh Mahn Maari Girayau॥11

Aap Jalandhar Asur Sanhara।
Suyash Tumhar Vidit Sansara॥12

Tripurasur San Yuddh Machai।
Sabahin Kripa Kar Leen Bachai॥13

Kiya Tapahin Bhagirath Bhari।
Purab Pratigya Tasu Purari॥14

Daanin Mahan Tum Sam Kou Nahi।
Sevak Stuti Karat Sadaahi॥15

Ved Naam Mahima Tav Gaai।
Akath Anadi Bhed Nahin Paai॥16

Pragat Udadhi Manthan Mein Jwala।
Jarat Surasur Bhaye Vihala॥17

Kinha Daya Tahan Kari Sahayee।
Neelkanth Tab Naam Kahayee॥18

Poojan Ramchandra Jab Kinha।
Jeet Ke Lank Vibhishan Dinha॥19

Sahas Kamal Mein Ho Rahe Dhaari।
Kinha Pariksha Tabahi Purari॥20

Ek Kamal Prabhu Rakheu Joi।
Kamal Nayan Poojan Chah Soi॥21

Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar।
Bhaye Prasann Diye Ichchhit Var॥22

Jai Jai Jai Anant Avinashi।
Karat Kripa Sab Ke Ghatwasi॥23

Dusht Sakal Nit Mohin Satavai।
Bhramat Rahe Mohin Chain Na Aavai॥24

Trahi Trahi Main Nath Pukaro।
Yahi Avasar Mohi Aan Ubaro॥25

Lai Trishul Shatrun Ko Maaro।
Sankat Se Mohi Aan Ubaro॥26

Matu Pita Bhrata Sab Koi।
Sankat Mein Poochat Nahin Koi॥27

Swami Ek Hai Aas Tumhari।
Aayi Harahu Ab Sankat Bhari॥28

Dhan Nirdhan Ko Det Sadahin।
Jo Koi Jaanche Wo Phal Paahi॥29

Astuti Kehi Vidhi Karoon Tumhari।
Kshamahu Nath Ab Chook Hamari॥30

Shankar Ho Sankat Ke Naashan।
Mangal Karan Vighn Vinashan॥31

Yogi Yati Muni Dhyaan Lagaven।
Naard Sharad Sheesh Navaven॥32

Namo Namo Jai Namah Shivaya।
Sur Brahmadik Paar Na Paaya॥33

Jo Yah Paath Kare Man Laai।
Ta Par Hota Hai Shambhu Sahai॥34

Riniya Jo Koi Ho Adhikari।
Paath Kare So Paavan Haari॥35

Putraheen Ichchha Kar Koi।
Nischay Shiva Prasad Tehi Hoi॥36

Pandit Trayodashi Ko Lavai।
Dhyan Poorvak Hom Karavai॥37

Trayodashi Vrat Kare Hamesha।
Tan Nahin Take Rahe Kalesha॥38

Dhoop Deep Naivedya Chadhaave।
Shankar Sammukh Paath Sunaave॥39

Janm Janm Ke Paap Nasaave।
Antwas Shivpur Mein Paave॥40

Kahe Ayodhya Aas Tumhari।
Jaani Sakal Dukh Harahu Hamari॥41

॥ Doha ॥

Nitya Nem Kar Pratah Hi, Paath Karoon Chaleesa।
Tum Meri Manokamna, Purn Karo Jagdeesh॥1

Magsar Chhath Hemant Ritu, Samvat Chausath Jaan।
Astuti Chaleesa Shivahi, Purn Kinh Kalyaan॥2

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श्री शिव चालीसा का हिन्दी अनुवाद

॥दोहा॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

अर्थ- पार्वती सुत, समस्त मंगलो के ज्ञाता श्री गणेश की जय हो। मैं अयोध्यादास आपसे वरदान मांगता हूँ।

॥चौपाई॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

अर्थ- पार्वतीजी के स्वामी, आपकी जय हो! आप दीन लोगों पर कृपा करते हैं और साधु-संतजनों की रक्षा करते हैं।

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अर्थ- हे त्रिशूलधारी, नीलकण्ठ! आपके मस्तक पर चन्द्रमा सुशोभित है औ कानो में नागफनी के कुण्डल शोभायमान हैं।

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

अर्थ- आप गौर वर्णी हैं और सिर की जटाओं में गंगाजी बह रही हैं, गले में मूण्डों की माला है और शरीर पर भस्म लगा रखी है।

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

अर्थ- हे त्रिलोकी! आपके वस्त्र बाघ की खाल के हैं। आपकी शोभा को देखकर नाग और मुनिजन मोहित हो रहे हैं।

मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

अर्थ- माता मैना की प्रिय पुत्री पार्वतीजी आपके बाईं ओर सुशोभित हैं इनकी शोभा अत्यंत निराली और न्यारी है।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

अर्थ- आपके हाथ में त्रिशल अपनी उत्तम छवि से शोभामान हो रहा है जिससे आप सदैव शत्रुओं का संहार करते रहते हैं।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

अर्थ- आपके पास आपका वाहन नन्दी और गणेशजी कुछ इस प्रकार शोभायमान हो रहे हैं जैसे समुद्र के बीच में कमल खिले हों।

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

अर्थ- कार्तिकेयजी और उनके गण वहां पर विराजमान हैं। इस दृश्य की शोभा का वर्णन कोई नहीं कर सकता।

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

अर्थ- हे त्रिपुरारी! देवताओं ने जब भी सहायता की पुकार की, हे नाथ! आपने बिना विलम्ब किए उनके दु:ख दूर किए।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

अर्थ- जब ताड़कासुर ने बहुत अत्याचार करने आरंभ किए तो सभी देवताओं ने आपसे रक्षा करने की प्रार्थना की।

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

अर्थ- आपने उसी समय कार्तिकेयजी को वहां भेजा और उन्होने पलक झपकने की देरी में उस राक्षस को मार गिराया।

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

अर्थ- आपने जलंधर नामक भयंकर राक्षस का संहार किया। उससे आपका जो यश फैला उससे सारा संसार परिचित है।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

अर्थ- त्रिपुर नामक राक्षस से युद्ध करके आपने सभी देवताओं पर कृपा की और उनको उस दुष्ट के आतंक से मुक्त किया।

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

अर्थ- राजा भगीरथ के तप के बाद आपने अपनी जटाओं में वास करती गंगा को जाने की आज्ञा दी। भगीरथ की प्रतिज्ञा आपके कारण ही पूरी हुई।

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

अर्थ- आपकी बराबरी करने वाला कोई दानी नहीं है। भक्त लोग सदा ही आपका गुणगान व यशोगान करते रहते हैं।

वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

अर्थ- वेदों में भी आपकी महिमा का वर्णन है। परंतु अनादि होने के कारण आपका रहस्य कोई भी नहीं पा सका।

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥

अर्थ- समुद्र मंथन से जो विषरूपी ज्वाला निकली उससे देवता और राक्षस दोनों जलने लगे और विह्वल हो गए।

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

अर्थ- हे नीलकंठ! तब आपने उस ज्वालारूपी विष का पान करके उनकी सहायता की। तभी से आपका नाम नीलकंठ पड़ गया।

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

अर्थ- लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व श्रीराम ने आपकी पूजा के बाद ही विजय प्राप्त की और विभीषण को लंका का राजा बना दिया।

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

अर्थ- हे महादेव! जब श्री रामचन्द्रजी सहस्त्र कमलों से आपकी पूजा कर रहे थे तब आपने फूलों में रहकर उनकी परीक्षा ली।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

अर्थ- आपने अपनी माया से एक कमल का फूल छिपा दिया। तब रामचन्द्रजी ने नयनरूपी कमल से पूजा करने की बात सोची।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

अर्थ- इस प्रकार जब शिवजी ने अपने में रामचन्द्रजी की यह दृढ़ आस्था देखी तब आपने प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान दिया।

जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

अर्थ- हे शिव आप अनन्त हैं, अनश्वर हैं। आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप सबके हृदय में रहकर उन पर कृपा करते हैं।

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

अर्थ- दुष्ट विचार सदैव मुझे पीड़ित कर सताते रहते हैं और मैं भ्रमित रहता हूं जिसके कारण मुझे कहीं चैन नहीं मिलता है।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

अर्थ- हे नाथ! मेरी रक्षा करो, मेरी रक्षा करो- इस प्रकार मैं आपको पुकार रहा हूं। आप आकर मुझे संकटों व कष्टो से उबारें।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥

अर्थ- हे पापसंहारक! अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं को नष्ट करो और संकट से मेरा उद्धार कर मुझे भवसागर से पार लगाओ।

मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

अर्थ- माता-पिता, भाई-बंधु सब सुख के साथी हैं। दुखों में कोई साथ नहीं देता, संकट आने पर कोई नहीं पूछता।

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥

अर्थ- हे स्वामी! मुझे तो केवल आपसे ही आशा है, आप पर ही विश्वास है। आप आकर मेरा घोर संकट तथा कष्ट दूर करें।

धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

अर्थ- आप सदा निर्धनों की धन द्वारा सहायता करते हैं। आपसे जिस फल की कामना की जाती है वही फल प्राप्त होता है।

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

अर्थ- आपकी पूजा-अर्चना कैसे की जाती है, हमें तो यह भी मालूम नहीं। अतः हमारी जो भी भूल-चूक हुई हो उसे क्षमा कर दें।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

अर्थ- आप ही कष्टों को नष्ट करने वाले हैं। सभी शुभ कार्यो को कराने वाले हैं तथा सब विध्न-बाधाओं को दूर करके कल्याण करते हैं।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

अर्थ- योगी, यति और मुनि सभी आपका ध्यान करते हैं। नारद मुनि और देवी सरस्वती (शारदा) भी आपको नमन करते हैं।

नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

अर्थ- ‘ॐ नमः शिवाय’ इस पञ्चाक्षर मंत्र का जाप करके भी ब्रह्मा आदि देवता आपकी महिमा का पार नहीं प सके।

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥

अर्थ- जो कोई भी मन तथा निष्ठा से शिव चालीसा का पाठ करता है, शंकर भगवान उसकी सहायता कर उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

अर्थ- हे करुणानिधान! कर्ज के बोझ से दबा हुआ वयक्ति आपके नाम का जाप करे तो वह ऋण-मुक्त हो सुख-समृद्धि प्राप्त करता है।

पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

अर्थ- जो कोई भक्त पुत्र प्राप्ति की कामना से पाठ करता है, तो आपकी क्रिपा से उसे पुत्र-रत्न की प्राप्ति होती है।

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥

अर्थ- हर श्रद्धालु तथा भक्त ओ प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को विद्वान पण्डित को बुलाकर पूजा तथा हवन करवाना चाहिए।

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥

अर्थ- जो भक्त सदैव त्रयोदशी का व्रत करता है, उसके शरीर में कोई रोग नहीं रहता और किसी प्रकार का क्लेश भी मन में नहीं रहता।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

अर्थ- धूप-दीप और नैवेध से पूजन करके शिवजी की मूर्ति या चित्र के सम्मुख बैठकर शिव चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए।

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

अर्थ- इससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में मनुष्य शिवलोक में वास करने लगता है अथार्त मुक्त हो जाता है।

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

अर्थ- अयोध्यादासजी कहते हैं कि शंकर भगवान, हमें आपसे ही आशा है। आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करके हमारे दुखों को दूर करें।

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

अर्थ- इस शिव चालीसा का चालीस बार प्रतिदिन पाठ करने से भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं। मृगशिर मास कि छ्ठी तिथि हेमंत ऋतु संवत ६४ में यह चालीसा रूपी शिव स्तुति लोक कल्याण के लिए पूर्ण हुई ।

 

Shri Shiv Chalisa in Hinglish transliteration with the English meanings:

॥Doha॥

Jai Ganesh Girija Suvan, Mangal Mool Sujaan।
Kahat Ayodhyadas Tum, Dehu Abhay Vardaan॥

Meaning:
Victory to Lord Ganesha, the beloved son of Goddess Parvati, the root of all auspiciousness and wisdom. Ayodhyadas humbly prays to you for granting the boon of fearlessness.

॥Chaupai॥

Jai Girija Pati Deen Dayala।
Sada Karat Santan Pratipala॥

Meaning:
Victory to the husband of Girija (Parvati), the compassionate one who always protects the saints.

Bhaal Chandrama Sohat Neeke।
Kaanan Kundal Naagphani Ke॥

Meaning:
The moon adorns your forehead beautifully, and earrings made of serpents enhance your appearance.

Ang Gaur Shir Gang Bahaye।
Mundamaal Tan Kshar Lagaye॥

Meaning:
Your fair body is adorned with the Ganga flowing from your head, a garland of skulls around your neck, and ashes smeared all over your body.

Vastr Khaal Baaghamber Sohe।
Chhavi Ko Dekhi Naag Man Mohe॥

Meaning:
You are dressed in tiger skin, and your divine appearance enchants even the serpents and sages.

Maina Maatu Ki Have Dulaari।
Baam Ang Sohat Chhavi Nyaari॥

Meaning:
Parvati, the beloved daughter of Maina, graces your left side, enhancing your divine beauty with her unique radiance.

Kar Trishul Sohat Chhavi Bhaari।
Karat Sada Shatrun Kshaya Kaari॥

Meaning:
The trident in your hand shines with immense power, always destroying enemies and protecting devotees.

Nandi Ganesh Sohai Tahan Kaise।
Saagar Madhya Kamal Hain Jaise॥

Meaning:
Your divine mount Nandi and Lord Ganesha are resplendent by your side, just like lotuses in the midst of the ocean.

Kaartik Shyam Aur Ganaraau।
Ya Chhavi Ko Kahi Jaata Na Kaau॥

Meaning:
Kartikeya and his companions are present there; the beauty of this scene is beyond description.

Devan Jabahi Jaay Pukaara।
Tabahi Dukh Prabhu Aap Nivaara॥

Meaning:
Whenever the gods cried out for help, O Lord, you swiftly alleviated their sufferings.

Kiya Upadrav Taarak Bhaari।
Devan Sab Mili Tumahin Juhari॥

Meaning:
When Tarakasura caused great distress, all the gods united in prayer, seeking your intervention.

Turat Shadaanand Aap Pathaayau।
Lavinimesh Mah Maari Girayau॥

Meaning:
You immediately sent Kartikeya, who vanquished the demon with a mere blink of an eye.

Aap Jalandhar Asur Sanhaara।
Suyash Tumhar Vidit Sansaara॥

Meaning:
You destroyed the demon Jalandhar, spreading your glory throughout the world.

Tripurasur San Yudh Machaai।
Sabahin Kripa Kar Leen Bachaai॥

Meaning:
You fought the battle against Tripurasura and saved all the gods through your mercy.

Kiya Tapahin Bhagirath Bhaari।
Purab Pratigya Taasu Puraari॥

Meaning:
You fulfilled the arduous penance of King Bhagirath by allowing the Ganga to descend from your matted hair, thus keeping your ancient vow.

Daanin Mah Tum Sam Kou Naahi।
Sevak Stuti Karat Sadaahi॥

Meaning:
No one is as generous as you. Your devotees always sing your praises and glorify your name.

Ved Maahi Mahima Tum Gaai।
Akath Anaadi Bhed Nahin Paai॥

Meaning:
The Vedas sing of your glory, yet your infinite and eternal nature remains a mystery beyond understanding.

Prakati Udadh Manthan Mein Jwaala।
Jarat Surasur Bhaye Vihaala॥

Meaning:
During the churning of the ocean, a deadly poison emerged, causing distress to both gods and demons.

Kinha Daya Tahan Kari Sahaai।
Neelkanth Tab Naam Kahaai॥

Meaning:
In your compassion, you consumed the poison, saving them and earning the name Neelkanth (the blue-throated one).

Poojan Ramchandra Jab Kinha।
Jeet Ke Lank Vibhishan Dinha॥

Meaning:
Before attacking Lanka, Lord Ram worshipped you, and only then did he achieve victory and make Vibhishan the king of Lanka.

Sahas Kamal Mein Ho Rahe Dhaari।
Kinha Pareeksha Tabahin Puraari॥

Meaning:
When Lord Ram was offering a thousand lotuses in your worship, you tested his devotion by hiding one of the flowers.

Ek Kamal Prabhu Rakheu Joi।
Kamal Nayan Poojan Chah Soi॥

Meaning:
You hid one lotus with your divine play, prompting Lord Ram to offer his lotus-like eye in devotion.

Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar।
Bhaye Prasann Diye Ichhit Var॥

Meaning:
Seeing such intense devotion, Lord Shankar was pleased and granted Lord Ram his desired boon.

Jai Jai Jai Anant Avinaashi।
Karat Kripa Sab Ke Ghatvaasi॥

Meaning:
Victory to you, O infinite and eternal Lord, who resides in everyone’s heart and showers your grace on all.

Dusht Sakal Nit Mohi Sataavai।
Bhramat Rahun Mohi Chain Na Aavai॥

Meaning:
Wicked thoughts constantly torment and disturb me, leaving me restless and confused.

Traahi Traahi Main Naath Pukaara।
Yehi Avasar Mohi Aan Ubaara॥

Meaning:
O Lord, I cry out for help—save me from this torment and lift me out of my suffering.

Lai Trishul Shatrun Ko Maara।
Sankat Te Mohi Aan Ubaara॥

Meaning:
Wield your trident, destroy my enemies, and rescue me from this sea of troubles.

Maat-Pita Bhraata Sab Hoi।
Sankat Mein Poochat Nahin Koi॥

Meaning:
In times of happiness, family and friends are always with you, but in distress, no one comes to your aid.

Swami Ek Hai Aas Tumhaari।
Aay Harhu Mam Sankat Bhaari॥

Meaning:
O Lord, I only have hope in you. Please come and remove my severe troubles and sufferings.

Dhan Nirdhan Ko Det Sadaa Hi।
Jo Koi Jaanche So Phal Paahi॥

Meaning:
You always grant wealth to the poor. Whatever one desires from you, that wish is fulfilled.

Astuti Kehi Vidhi Karain Tumhaari।
Kshamahu Naath Ab Chook Hamaari॥

Meaning:
How should I sing your praises, O Lord? Please forgive my shortcomings and mistakes.

Shankar Ho Sankat Ke Naashan।
Mangal Karan Vighn Vinaashan॥

Meaning:
You are the destroyer of all sorrows, the remover of obstacles, and the harbinger of auspiciousness.

Yogi Yati Muni Dhyaan Lagaavai।
Shaarad Naarad Sheesh Navaavai॥

Meaning:
Yogis, ascetics, and sages meditate on you. Even Saraswati and Narad bow their heads in reverence to you.

Namo Namo Jai Namah Shivaaya।
Sur Brahmaadik Paar Na Paaya॥

Meaning:
Hail, hail, hail to you, O Shiva! Even gods like Brahma cannot fathom the extent of your greatness.

Jo Yah Paath Kare Man Laayi।
Taa Par Hot Hai Shambhu Sahaai॥

Meaning:
Whoever reads this Shiv Chalisa with full concentration, Lord Shambhu will surely assist them.

Riniyaan Jo Koi Ho Adhikaari।
Paath Kare So Paavan Haari॥

Meaning:
O compassionate one! Anyone burdened with debt who reads this prayer will be liberated and attain prosperity.

Putr Hoon Kar Iccha Joi।
Nishchay Shiv Prasad Tehi Hoi॥

Meaning:
Any devotee who desires a son will undoubtedly be blessed with one by Lord Shiva’s grace.

Pandit Trayodashi Ko Laave।
Dhyaan Poorvak Hom Karaave॥

Meaning:
Every devotee should call a learned priest on the thirteenth day of the lunar fortnight and perform a homa (fire ritual) with full concentration.

Trayodashi Vrat Karai Hamesha।
Taake Tan Nahin Rahai Kalesha॥

Meaning:
Anyone who observes the Trayodashi fast regularly will be free from all ailments and sufferings.

Dhoop Deep Naivedya Chadhaave।
Shankar Sammukh Paath Sunaave॥

Meaning:
One should offer incense, lamps, and food to Lord Shiva, and then recite the Shiv Chalisa in front of his idol or picture.

Janm Janm Ke Paap Nasaave।
Ant Dhaam Shivpur Mein Paave॥

Meaning:
This destroys the sins of many lifetimes, and at the end of this life, one will attain the abode of Lord Shiva.

Kahain Ayodhyaadas Aas Tumhari ।

Jaani Sakal Dukh Harahu Hamari ॥

Meaning: Ayodhyaadasji says”O Lord Shankar, we have all our hopes pinned on you. Please fulfill our desires and remove all our sorrows.

Doha:

Nitt Nem Kar Praatah Hi, Paath Karau Chalisa ।
Tum Meri Manokamna, Poorn Karo Jagdish॥

Meaning: I will recite this Chalisa every morning with unwavering discipline.O Lord of the Universe, fulfill my heart’s desires.

Magsar Chhathi Hemant Ritu, Samvat Chaushath Jaan ।
Astuti Chalisa Shivahi, Poorn Keen Kalyaan॥

Meaning: On the sixth day of the month of Margsheersh in the Hemant season of Samvat 64, this Chalisa (hymn) dedicated to Lord Shiva was completed for the welfare of the world.


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