श्री दुर्गा चालीसा विडियो
श्री दुर्गा चालीसा – हिंदी में
श्री दुर्गा चालीसा एक महत्वपूर्ण भक्ति स्तोत्र है जो माँ दुर्गा की स्तुति में पढ़ा जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है। यहाँ पर हम श्री दुर्गा चालीसा के संपूर्ण हिंदी में लिरिक्स प्रस्तुत कर रहे हैं।
॥ चौपाई ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥1
निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी॥2
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥3
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥4
तुम संसार शक्ति लय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥5
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥6
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥7
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥8
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥9
धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥10
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥11
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥12
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥13
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥14
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥15
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥16
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥17
कर में खप्पर-खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजे॥18
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥19
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥20
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥21
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥22
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥23
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥24
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥25
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥26
प्रेम भक्ति से जो यश गावै।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥27
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥28
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥29
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥30
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥31
शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥32
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥33
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥34
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥35
आशा तृष्णा निपट सतावे।
मोह मदादिक सब विनशावै॥36
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥37
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥38
जब लगि जियउं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥39
दुर्गा चालीसा जो नित गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥40
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥41
Shri Durga Chalisa Lyrics (English/Hinglish)
॥ Chopai ॥
Namo Namo Durge Sukh Karni।
Namo Namo Ambe Dukh Harni॥1
Niraakar Hai Jyoti Tumhari।
Tihun Lok Phaili Ujiyari॥2
Shashi Lalat Mukh Mahavishala।
Netra Laal Bhrikuti Vikrala॥3
Roop Maatu Ko Adhik Suhaave।
Darsh Karat Jan Ati Sukh Paave॥4
Tum Sansaar Shakti Lay Keena।
Paalan Hetu Ann Dhan Deena॥5
Annapurna Hui Jag Paala।
Tum Hi Aadi Sundari Baala॥6
Pralayakaal Sab Naashan Haari।
Tum Gauri Shivshankar Pyari॥7
Shiv Yogi Tumhare Gun Gaave।
Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyaave॥8
Roop Saraswati Ko Tum Dhaara।
De Subuddhi Rishi-Munin Ubhaara॥9
Dhara Roop Narasinh Ko Amba।
Pragat Bhai Phadkar Khamba॥10
Raksha Kar Prahlad Bachayo।
Hiranyaksh Ko Swarg Pathayo॥11
Lakshmi Roop Dharo Jag Mahin।
Shri Narayan Ang Samaahin॥12
Ksheer-Sindhu Mein Karat Vilasa।
Dayasindhu Deejai Man Aasa॥13
Hinglaj Mein Tumhi Bhavani।
Mahima Amit Na Jaat Bakhaani॥14
Matangi Aru Dhoomavati Mata।
Bhuwaneswari Bagla Sukh Data॥15
Shri Bhairav Tara Jag Taarini।
Chhinn Bhaal Bhav Dukh Nivaarini॥16
Kehri Vahan Soh Bhavani।
Langur Veer Chalat Agavani॥17
Kar Mein Khappar-Khadg Virajai।
Jako Dekh Kaal Dar Bhaje॥18
Sohai Astra Aur Trishula।
Jaate Uthat Shatru Hiy Shula॥19
Nagar Koti Mein Tumhi Virajat।
Tihun Lok Mein Danka Bajat॥20
Shumbh Nishumbh Danav Tum Maare।
Raktbeej Shankhan Sanhaare॥21
Mahishasur Nrip Ati Abhimani।
Jehi Agh Bhaar Mahee Akulani॥22
Roop Karal Kalika Dhaara।
Sen Sahit Tum Tihi Sanhaara॥23
Pari Gaadh Santan Par Jab-Jab।
Bhai Sahay Mata Tum Tab Tab॥24
Amarpuri Aru Basav Loka।
Tab Mahima Sab Rahen Ashoka॥25
Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari।
Tumhein Sada Poojen Nar-Nari॥26
Prem Bhakti Se Jo Yash Gaave।
Dukh Daaridra Nikat Nahin Aave॥27
Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Laai।
Janm-Maran Takaau Chhuti Jaai॥28
Yogi Sur Muni Kahat Pukaari।
Yog Na Ho Bin Shakti Tumhaari॥29
Shankar Aachary Tap Keeno।
Kaam Aru Krodh Jeet Sab Leeno॥30
Nishidin Dhyaan Dharo Shankar Ko।
Kaahu Kaal Nahin Sumiro Tumko॥31
Shakti Roop Ko Maram Na Paayo।
Shakti Gayi Tab Man Pachtayo॥32
Sharanagat Hui Kirti Bakhaani।
Jai Jai Jai Jagadamba Bhavani॥33
Bhai Prasann Aadi Jagadamba।
Dai Shakti Nahin Keen Vilamba॥34
Moko Maatu Kasht Ati Ghero।
Tum Bin Kaun Harai Dukh Mero॥35
Asha Trishna Nipat Satave।
Moh Madadik Sab Vinashave॥36
Shatru Naash Keejai Maharani।
Sumiron Ikchit Tumhein Bhavani॥37
Karo Kripa He Maatu Dayala।
Riddhi-Siddhi De Karahu Nihala॥38
Jab Lagi Jiyau Dayaa Phal Paun।
Tumharo Yash Main Sada Sunaaun॥39
Durga Chalisa Jo Nit Gaavai।
Sab Sukh Bhog Paramapad Paavai॥40
Devi Das Sharan Nij Jaani।
Karahu Kripa Jagadamba Bhavani॥41
श्री दुर्गा चालीसा का अर्थ
श्री दुर्गा चालीसा एक प्रमुख भक्ति स्तोत्र है जो माँ दुर्गा की स्तुति में पढ़ा जाता है। इस चालीसा के हर चौपाई का अर्थ भक्तों को माँ दुर्गा की शक्ति और कृपा को समझने में मदद करता है। नीचे श्री दुर्गा चालीसा के हर चौपाई का अर्थ प्रस्तुत किया गया है।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥
अर्थ: सुख प्रदान करने वाली माँ दुर्गा को मेरा नमस्कार है। दुख हरने वाली माँ श्री अम्बा को मेरा नमस्कार है।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ॥
अर्थ: आपकी ज्योति अमूर्त है, जिसका तीनों लोकों में प्रकाश फैल रहा है।
शशि लिलाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ॥
अर्थ: आपका मस्तक चन्द्रमा के समान और मुख अति विशाल है। नेत्र रक्त के समान लाल एवं भौंहें विकराल रूप वाली हैं।
रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥
अर्थ: हे माँ दुर्गा, आपका रूप बहुत सुंदर और सुहावना है, जिसे देखकर भक्तों को परम सुख मिलता है।
तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अर्थ: संसार की सभी शक्तियों को आपने अपने में समेटा हुआ है। जगत के पालन हेतु अन्न और धन प्रदान किया है।
अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
अर्थ: अन्नपूर्णा का रूप धारण कर आप ही जगत का पालन करती हैं। इस जगत में सबसे खूबसूरत छवि आपकी ही है।
प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
अर्थ: प्रलयकाल में आप ही विश्व का नाश करती हैं। भगवान शिव की प्यारी गौरी (पार्वती) भी आप ही हैं।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
अर्थ: शिव और सभी योगी आपका गुणगान करते हैं। ब्रह्मा और विष्णु सहित सभी देवता नित्य आपका ध्यान करते हैं।
रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा ॥
अर्थ: आपने मां सरस्वती का रूप धारण कर ऋषि-मुनियों को सद्बुद्धि प्रदान की और उनका उद्धार किया।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भईं फाड़कर खम्बा ॥
अर्थ: हे अम्बा माता! आपने श्री नरसिंह का रूप धारण किया और खम्बे को चीरकर प्रकट हुईं।
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो । हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
अर्थ: आपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और हिरण्याक्ष को स्वर्ग भेजा, क्योंकि वह आपके हाथों मारा गया।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ॥
अर्थ: लक्ष्मी का रूप धारण करके आप श्री नारायण के साथ समाहित हैं।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दया सिन्धु दीजै मन आसा ॥
अर्थ: क्षीरसागर में भगवान विष्णु के साथ विराजमान हे दयासिन्धु देवी! आप सभी की आशाओं को पूरा करती हैं।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ॥
अर्थ: हिंगलाज की देवी भी आप ही हैं। आपकी महिमा का बखान नहीं किया जा सकता।
मातंगी अरु धूमावति माता । भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
अर्थ: मातंगी देवी और धूमावती भी आप ही हैं। भुवनेश्वरी और बगलामुखी देवी के रूप में भी आप सुख की दात्री हैं।
श्री भैरव तारा जग तारिणी । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
अर्थ: माँ भैरवी और माँ तारा के रूप में आप जगत का उद्धार करती हैं। माँ छिन्नमस्ता के रूप में आप इस सृष्टि का दुःख और कष्ट दूर करती हैं।
केहरी वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
अर्थ: आपके वाहन शेर पर आप भवानी रूप में विराजमान हैं। स्वयं दुर्गा जी भी आपकी सेवा में तत्पर रहते हैं।
कर में खप्पर-खड्ग विराजे । जाको देख काल डर भाजे ॥
अर्थ: आपके हाथों में राक्षसों की खोपड़ियाँ और तलवार होती हैं, जिसे देखकर स्वयं काल भी भयभीत हो जाता है।
सोहे अस्त्र और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
अर्थ: आपके हाथों में अस्त्र और त्रिशूल बहुत सुंदर लगते हैं। इन्हें देखकर सभी दुष्ट और राक्षस भयभीत हो उठते हैं।
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत । तिहूं लोक में डंका बाजत ॥
अर्थ: आप हर नगर में निवास करती हैं और तीनों लोकों में आपकी जय-जयकार होती है।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ॥
अर्थ: शुम्भ और निशुम्भ नामक राक्षसों का वध आपने किया। रक्तबीज और शंख नामक भयंकर राक्षसों का संहार भी आपने किया।
महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
अर्थ: महिषासुर नामक अभिमानी राक्षस के पापों के भार से धरती व्याकुल हो उठी थी।
रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
अर्थ: तब काली का विकराल रूप धारण कर आपने उस पापी राक्षस (महिषासुर) का सेना सहित संहार कर दिया।
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अर्थ: जब भी इस सृष्टि में आपके भक्तों पर संकट आया, आपने उन्हें माता के रूप में सहारा दिया।
अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहें अशोका ॥
अर्थ: जब तक देवों की अमरपुरी और तीनों लोकों का अस्तित्व है, तब तक आपके भक्तों को कोई शोक नहीं घेर सकता है।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ॥
अर्थ: ज्वाला की ज्योति में समाहित होने से आपकी ज्योति अनंत काल से जलती चली आ रही है। सभी नर-नारी सदा आपकी पूजा करते हैं।
प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे ॥
अर्थ: जो प्रेम और भक्ति से आपके गुणगान करता है, उसके जीवन में दुख और दरिद्रता कभी भी नहीं आती।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ॥
अर्थ: जो भी सच्चे मन से आपकी आराधना करता है, वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
अर्थ: सभी योगी, देवता और ऋषि-मुनि भी आपको पुकारते हैं और कहते हैं कि आपके बिना योग संभव नहीं है।
शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
अर्थ: शंकराचार्यजी ने आचारज नामक तप करके काम, क्रोध, मद और लोभ को जीत लिया।
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
अर्थ: उन्होंने हर दिन भगवान शंकर का ध्यान किया, मगर आपको स्मरण नहीं किया।
शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछितायो ॥
अर्थ: वे आपके शक्ति रूप को समझ नहीं पाए। जब उनकी शक्तियाँ समाप्त हो गईं, तो उन्हें पछतावा हुआ।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
अर्थ: आपकी शरण में आने से उन्होंने आपकी कीर्ति का बखान किया और जय जय जय जगदम्बा भवानी का गुणगान किया।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
अर्थ: आपकी कृपा से वे बहुत प्रसन्न हुए और आपने उन्हें पुनः सभी शक्तियाँ प्रदान कीं, बिना किसी विलंब के।
मोको मात कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ॥
अर्थ: हे माँ दुर्गा! मेरे जीवन में बहुत सारे संकट हैं। आपके सिवा कौन मेरे दुखों को दूर कर सकता है?
आशा तृष्णा निपट सतावै । मोह मदादिक सब विनशावै ॥
अर्थ: आशा और तृष्णा मुझे हमेशा परेशान करती हैं। मोह, मद, क्रोध, और लोभ जैसे भाव मुझसे दूर नहीं होते।
शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
अर्थ: हे महारानी! आप मेरे शत्रुओं का नाश कीजिए। मैं पूरी श्रद्धा से आपका ध्यान करता हूँ।
करो कृपा हे मात दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ॥
अर्थ: हे मातर दयालु! कृपा करके मुझे ऋद्धि और सिद्धि प्रदान करें और मेरे जीवन को संपूर्ण बनाएं।
जब लगी जियौ दया फल पाऊं । तुम्हारो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
अर्थ: जब तक मैं जीवित हूँ, तब तक मैं आपकी दया का पात्र रहूँ और आपकी महिमा का प्रचार करता रहूँ।
दुर्गा चालीसा जो जन गावे । सब सुख भोग परमपद पावे ॥
अर्थ: जो व्यक्ति नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, वह सभी सुखों का भोग करता है और परम आनंद प्राप्त करता है।
देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
अर्थ: हे जगदम्बा भवानी! इस देवी के दास को अपनी शरण में जानकर कृपा बनाए रखें।
इति श्री दुर्गा चालीसा
दुर्गामाता की जय!
श्री दुर्गा चालीसा का महत्व
श्री दुर्गा चालीसा का पाठ माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को जीवन के सभी कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र माँ दुर्गा की शक्ति और उनके द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा को दर्शाता है।
- दुर्गा चालीसा पढ़ने से क्या फल मिलता है?
दुर्गा चालीसा का नियमित रूप से जाप करने से देवी मां का आशीर्वाद जीवन भर मिलता रहता है। दुर्गा चालीसा का पढ़ने से मां प्रसन्न होती हैं और मनोवांछित आशीर्वाद देती हैं। दुर्गा चालीसा के पाठ से सकारात्मक विचार आते है, जिससे मन शांत रहता है।
- क्या हमें दुर्गा चालीसा रोज पढ़ना चाहिए?
दुर्गा चालीसा का जाप नियमित रूप से करने से देवी का आशीर्वाद जीवन में विद्यमान रहता है। कई लोगों का मानना है कि दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है और बुरी ताकतों को दूर रखने में मदद कर सकता है।
- दुर्गा चालीसा पढ़ने से क्या फायदा होता है?
दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जातक के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और उसके सभी कार्य सफल होते हैं। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन में बुरी शक्तियों से निजात मिलती है और बुरी शक्तियों से परिवार का भी बचाव होता है। दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है और घर में लक्ष्मी जी का वास होता है।
- श्री दुर्गा चालीसा को 11 बार करने से क्या होता है?
नवरात्रो में माँ दुर्गा की चालीसा का 11 बार पाठ सुनने से घर परिवार के सभी दुःख दूर हो जाते है |
दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करें?
- दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान करके साफ़ सुथरे वस्त्र धारण करें।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर, उस पर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
- सबसे पहले माता दुर्गा की फूल, रोली, धूप, दीप आदि से पूजा अर्चना करें।
- पूजा के दौरान दुर्गा यंत्र का प्रयोग आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
- अब दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू करें।
निष्कर्ष
श्री दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि लाता है। इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।
Shri Durga Chalisa with English transliteration with the English meanings
Shri Durga Chalisa is a significant devotional hymn recited in praise of Goddess Durga. Each verse of this Chalisa helps devotees understand the power and grace of Goddess Durga. Below is the meaning of each verse of the Shri Durga Chalisa:
Namo Namo Durge Sukh Karni, Namo Namo Ambe Dukh Harni.
Meaning: I bow to you, O Durga, the giver of happiness. I bow to you, O Amba, the remover of sorrow.
Nirankar Hai Jyoti Tumhari, Tihun Lok Phaili Ujiyaari.
Meaning: Your divine light is formless, yet it illuminates the three worlds.
Shashi Lilaat Mukh Maha Vishala, Netra Laal Bhurkuti Vikrala.
Meaning: Your forehead shines like the moon, your face is vast, your eyes are as red as blood, and your eyebrows are fierce.
Roop Maatu Ko Adhik Suhaave, Darsh Karat Jan Ati Sukh Paave.
Meaning: O Mother Durga, your form is extremely beautiful and pleasing, and those who behold you experience great joy.
Tum Sansar Shakti Lay Keena, Palan Hetu Ann Dhan Deena.
Meaning: You have absorbed all the powers of the universe within yourself. To sustain the world, you have provided food and wealth.
Annapurna Hui Jag Paala, Tum Hi Aadi Sundari Baala.
Meaning: Taking the form of Annapurna, you nurture the world. You are the most beautiful of all beings.
Pralayakaal Sab Naashan Haari, Tum Gauri Shivshankar Pyari.
Meaning: At the time of cosmic dissolution, you destroy everything. You are also Gauri, the beloved of Lord Shiva.
Shiv Yogi Tumhare Gun Gaave, Brahma Vishnu Tumhein Nit Dhyaave.
Meaning: Lord Shiva and all the yogis sing your praises. Brahma and Vishnu, along with all the deities, constantly meditate upon you.
Roop Saraswati Ko Tum Dhaara, De Subuddhi Rishi-Munin Ubaara.
Meaning: You took the form of Saraswati to bestow wisdom and saved the sages and ascetics.
Dhara Roop Narsingh Ko Amba, Pragat Bhain Faadkar Khamba.
Meaning: O Mother Amba! You assumed the form of Narsingh and manifested by tearing apart the pillar.
Raksha Kar Prahlaad Bachaayo, Hiranyaaksh Ko Swarg Pathaayo.
Meaning: You protected devotee Prahlad and sent Hiranyakashipu to heaven after slaying him.
Lakshmi Roop Dharo Jag Maahin, Shri Narayan Ang Samahin.
Meaning: Taking the form of Lakshmi, you are united with Lord Narayan.
Ksheer Sindhu Mein Karat Vilasa, Daya Sindhu Deejai Man Asa.
Meaning: Dwelling in the ocean of milk, O Ocean of Compassion, you fulfill all desires.
Hinglaaj Mein Tumhi Bhavaani, Mahima Amit Na Jaat Bakhaani.
Meaning: You are the Goddess of Hinglaj. Your greatness is beyond description.
Maatangi Aru Dhoomavati Maata, Bhuvaneshwari Bagla Sukh Daata.
Meaning: You are also the Goddess Maatangi and Dhoomavati. As Bhuvaneshwari and Baglamukhi, you grant happiness.
Shri Bhairav Taara Jag Taarini, Chhinn Bhaal Bhav Dukh Nivaarini.
Meaning: As Goddess Bhairavi and Goddess Tara, you save the world. As Chhinnamasta, you remove the sorrows and sufferings of the world.
Kehari Vahan Soh Bhavaani, Langur Veer Chalat Agavaani.
Meaning: Mounted on a lion, you are present as Bhavani. Even Lord Hanuman stands in your service.
Kar Mein Khappar-Khdag Viraaje, Jaako Dekh Kaal Dar Bhaaje.
Meaning: In your hands, you hold a skull and a sword. Seeing them, even time itself flees in fear.
Sohe Astra Aur Trishula, Jaate Uthat Shatru Hiy Shoola.
Meaning: Your weapons and trident look magnificent. Seeing them, all evildoers and demons are filled with terror.
Nagar Koti Mein Tumhi Viraajat, Tihun Lok Mein Danka Baajat.
Meaning: You reside in every city, and your glory resounds throughout the three worlds.
Shumbh Nishumbh Daanav Tum Maare, Raktabeej Shankhan Sanhaare.
Meaning: You vanquished the demons Shumbh and Nishumbh. You also annihilated the terrifying demons Raktabeej and Shankh.
Mahishasur Nrip Ati Abhimaani, Jehi Agh Bhar Mahi Akulaani.
Meaning: The proud and wicked demon king Mahishasur had burdened the earth with his sins.
Roop Karaal Kaalika Dhaara, Sena Sahit Tum Tihi Sanhaara.
Meaning: Assuming the terrifying form of Kali, you annihilated him along with his army.
Pari Gaadh Santan Par Jab-Jab, Bhayi Sahay Maatu Tum Tab-Tab.
Meaning: Whenever your devotees were in deep trouble, you came to their aid as a protective mother.
Amarpuri Aru Baasav Loka, Tab Mahima Sab Rahen Ashoka.
Meaning: As long as the immortal city of gods and the three worlds exist, your devotees will remain free from sorrow.
Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari, Tumhein Sada Poojen Nar-Naari.
Meaning: Your divine light resides in the flames. Men and women always worship you.
Prem Bhakti Se Jo Yash Gaave, Dukh Daridra Nikat Nahin Aave.
Meaning: Those who sing your praises with love and devotion are never afflicted by sorrow or poverty.
Dhyaave Tumhein Jo Nar Man Laai, Janm-Maran Taako Chhuti Jaai.
Meaning: Whoever worships you with sincere devotion is freed from the cycle of birth and death.
Jogi Sur Muni Kahat Pukaari, Yog Na Ho Bin Shakti Tumhari.
Meaning: All yogis, gods, and sages call out, saying that without your power, yoga is not possible.
Shankar Aacharaj Tap Keeno, Kaam Aru Krodh Jeet Sab Leeno.
Meaning: Shankaracharya performed severe penance and conquered desires, anger, and all worldly attachments.
Nishidin Dhyaan Dharo Shankar Ko, Kaahu Kaal Nahin Sumiro Tumko.
Meaning: He meditated on Lord Shiva day and night but never once remembered you.
Shakti Roop Ko Maram Na Paayo, Shakti Gayi Tab Man Pashchitaayo.
Meaning: He failed to understand the essence of your power. When he lost his strength, he regretted it.
Sharanagat Hui Kirti Bakhaani, Jai Jai Jai Jagdamb Bhavaani.
Meaning: Coming under your refuge, he praised your glory and sang, “Victory, Victory to Jagdamba Bhavani!”
Bhai Prasann Aadi Jagdamba, Deyi Shakti Nahin Keen Vilamba.
Meaning: The primal Goddess Jagdamba was pleased and immediately restored his powers.
Moko Maat Kasht Ati Ghero, Tum Bin Kaun Hare Dukh Mero.
Meaning: O Mother Durga! My life is filled with immense suffering. Who else but you can alleviate my pain?
Aasha Trishna Nipat Sataave, Moh Madaadik Sab Vinshaave.
Meaning: Desires and yearnings always trouble me. Please destroy all my illusions, pride, and other evil tendencies.
Shatru Naash Keejai Maharaani, Sumiron Ikachit Tumhein Bhavaani.
Meaning: O Great Queen! Destroy my enemies. With unwavering devotion, I meditate on you, O Bhavani.
Karo Kripa Hey Maat Dayaala, Riddhi-Siddhi De Karahu Nihaala.
Meaning: O Merciful Mother! Please grant me wealth and spiritual powers, and make my life blessed.
Jab Lagi Jiyeu Daya Phal Paaoon, Tumharo Yash Main Sada Sunaaoon.
Meaning: As long as I live, may I receive your mercy and always sing of your glory.
Durga Chalisa Jo Jan Gaave, Sab Sukh Bhog Parampad Paave.
Meaning: Whoever recites the Durga Chalisa regularly will enjoy all the pleasures and attain the supreme state.
Devidaas Sharan Nij Jaani, Karahu Kripa Jagdamb Bhavaani.
Meaning: Knowing this servant Devidas to be in your shelter, O Jagdamba Bhavani, please continue to shower your grace.
Iti Shri Durga Chalisa
Durga Maata Ki Jai!
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