Raksha Bandhan Stories

रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियाँ हैं। प्रत्येक कहानी इस त्योहार के महत्व को और गहराई से समझने में मदद करती है। आइए इन कहानियों को विस्तार से जानें:

1. श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी:

महाभारत की यह कहानी रक्षाबंधन के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है।

एक बार श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया। इस दौरान, जब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का सिर काटा, तो उनकी उंगली कट गई और खून बहने लगा। इसे देखकर, पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने बिना कुछ सोचे-समझे अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के इस कार्य को राखी के रूप में माना और उन्हें वचन दिया कि जब भी द्रौपदी को उनकी आवश्यकता होगी, वे उनकी रक्षा करेंगे।

यह वचन महाभारत के युद्ध के दौरान सच हुआ। जब कौरव सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था और कोई भी उनकी मदद करने के लिए आगे नहीं आया, तो उन्होंने श्रीकृष्ण को याद किया। श्रीकृष्ण ने दिव्य शक्ति से उनकी साड़ी को इतना लंबा कर दिया कि द्रौपदी का चीरहरण असंभव हो गया। इस प्रकार, द्रौपदी की लाज श्रीकृष्ण ने बचाई और अपने वचन को पूरा किया।

2. रानी कर्णावती और हुमायूँ की कहानी:

यह कहानी मध्यकालीन भारत की है और यह धार्मिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है।

16वीं शताब्दी में, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने तब के मुगल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी रक्षा का निवेदन किया। रानी कर्णावती, जो महाराणा संग्राम सिंह की विधवा थीं, को बहादुर शाह के आक्रमण का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें अपने राज्य की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली सहयोगी की आवश्यकता थी, इसलिए उन्होंने हुमायूँ को राखी भेजी।

रानी के इस कदम से हुमायूँ भावुक हो गए और उन्होंने राखी के सम्मान में अपने भाई होने का फर्ज निभाने का फैसला किया। हुमायूँ ने अपनी सेना को तुरंत चित्तौड़ भेजा और बहादुर शाह के खिलाफ युद्ध में रानी कर्णावती की मदद की। हालाँकि युद्ध की स्थिति में हुमायूँ की सेना समय पर नहीं पहुँच सकी और रानी कर्णावती ने जौहर कर लिया, लेकिन इस घटना ने राखी के प्रति हुमायूँ की भावनाओं को उजागर किया और हिंदू-मुस्लिम एकता का एक उदाहरण प्रस्तुत किया।

3. यमराज और यमुनाजी की कहानी:

यह कथा भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की ओर इशारा करती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज (मृत्यु के देवता) और यमुनाजी (यमुना नदी) भाई-बहन थे। यमुनाजी अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और चाहती थीं कि वे उनसे मिलने आएं। लेकिन यमराज अपने कर्तव्यों में इतने व्यस्त थे कि उन्हें समय नहीं मिल पाता था।

एक दिन, यमुनाजी ने यमराज को अपने घर आने का निमंत्रण दिया और उनके आने पर उन्हें राखी बाँधी। यमराज ने इस प्रेम भरे भाव से प्रभावित होकर यमुनाजी से वरदान मांगने को कहा। यमुनाजी ने अपने भाई से यह वरदान मांगा कि जो भी भाई अपनी बहन से राखी बंधवाएगा, उसे लंबी उम्र मिलेगी और वह सुरक्षित रहेगा। यमराज ने इसे स्वीकार कर लिया और यमुनाजी को अमरत्व का वरदान दिया।

इस प्रकार, यह कथा बताती है कि राखी केवल एक धागा नहीं बल्कि जीवन की सुरक्षा और भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है।

4. अलेक्ज़ेंडर और पुरु की कहानी:

यह कहानी सिकंदर (अलेक्ज़ेंडर) और भारतीय राजा पुरु के बीच हुई लड़ाई की है, जो कि रक्षाबंधन के महत्व को और गहराई से समझाती है।

जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया, तो उसे राजा पुरु (पोरस) से मुकाबला करना पड़ा। सिकंदर की पत्नी रोशानक (रोक्साना) इस बात को लेकर चिंतित थीं कि युद्ध में सिकंदर की जान को खतरा हो सकता है। उन्होंने पुरु को एक राखी भेजी और अपने पति की रक्षा करने का अनुरोध किया।

पुरु ने राखी का सम्मान करते हुए युद्ध में सिकंदर को मारने से परहेज किया। इस प्रकार, राखी ने एक युद्ध के दौरान भी शांति और भाईचारे का संदेश दिया, जो इसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण बनाता है।

5. विष्णु और बलि की कहानी:

यह कथा भगवान विष्णु और उनके परम भक्त राजा बलि से जुड़ी है, जो रक्षाबंधन के धार्मिक महत्व को दर्शाती है।

भक्त राजा बलि के पास अपार संपत्ति थी, और वह इतना शक्तिशाली था कि उसने स्वर्ग लोक को भी जीत लिया था। उसकी इस ताकत से देवता घबरा गए और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया और बलि के पास तीन पग भूमि मांगने पहुँचे। बलि ने सहर्ष भूमि देने का वचन दिया। विष्णु जी ने पहले पग में धरती, दूसरे पग में स्वर्ग और तीसरे पग में बलि के सिर को नाप लिया, जिससे बलि का सारा साम्राज्य चला गया।

बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ हमेशा रहने का निवेदन किया। विष्णु जी ने यह निवेदन स्वीकार कर लिया और बलि के साथ रहने लगे। लेकिन उनकी अनुपस्थिति से लक्ष्मी देवी चिंतित हो गईं। उन्होंने बलि के पास जाकर उसे राखी बाँधी और बदले में अपने पति को वापस मांगा। बलि ने अपनी बहन की इच्छा का सम्मान किया और विष्णु जी को वापस जाने दिया।

इस प्रकार, यह कथा हमें यह सिखाती है कि राखी केवल भाई-बहन के बीच का त्यौहार नहीं, बल्कि यह प्रेम और विश्वास का प्रतीक भी है।

रक्षाबंधन का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:

रक्षाबंधन केवल एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक बंधन और सुरक्षा का प्रतीक भी है। इस दिन, न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मनाया जाता है, बल्कि समाज के अन्य रिश्तों में भी प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का संदेश दिया जाता है। राखी का यह धागा हर रिश्ते में मिठास, स्नेह और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।

ये सभी कहानियाँ रक्षाबंधन के महत्व को बताती हैं और यह दर्शाती हैं कि यह त्यौहार कितना गहरा और पवित्र है।


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