रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन एक दूसरे के प्रति अपने स्नेह और सम्मान को प्रकट करते हैं। इस दिन की पूजा विधि बहुत महत्वपूर्ण होती है, जो इस पर्व को और भी पवित्र बनाती है। यहाँ रक्षाबंधन की पूजा विधि को विस्तार से बताया गया है:
रक्षाबंधन पूजा विधि:
- सामग्री की तैयारी:
- राखी
- पूजा की थाली
- दीया (दीपक)
- अक्षत (चावल)
- कुमकुम (सिंदूर)
- मिठाई
- नारियल
- कलावा (रक्षा सूत्र)
- गंगाजल (पवित्र जल)
- फूल
- धूप
- पूजा थाली की सजावट:
- सबसे पहले एक साफ थाली में सारी सामग्री को व्यवस्थित करें।
- थाली में दीया रखें और उसे जलाएं।
- कुमकुम, अक्षत, फूल, और मिठाई भी थाली में रखें।
- भाई को आसन पर बैठाएं:
- अपने भाई को एक साफ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं।
- भाई के माथे पर कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं।
- राखी बाँधना:
- राखी को गंगाजल से शुद्ध करें और फिर उसे अपने भाई की दाहिनी कलाई पर बाँधें।
- राखी बाँधते समय भाई के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करें।
- आरती:
- राखी बांधने के बाद, भाई की आरती उतारें।
- आरती के समय दीया, धूप और फूलों का प्रयोग करें।
- भाई के मस्तक पर अक्षत छिड़कें।
- मिठाई खिलाना:
- आरती के बाद अपने भाई को मिठाई खिलाएं।
- भाई भी अपनी बहन को मिठाई खिलाए।
- उपहार देना:
- भाई अपनी बहन को उपहार या धन (शगुन) देकर उसके प्रति अपने प्रेम और स्नेह को प्रकट करता है।
- यह उपहार बहन की सुरक्षा और भलाई के वचन के रूप में दिया जाता है।
- प्रसाद वितरण:
- अंत में, थाली में रखे प्रसाद को सभी परिजनों में बांट दें।
विशेष ध्यान:
- पूजा के दौरान मन में पवित्रता और स्नेह की भावना बनाए रखें।
- राखी बाँधते समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को दूर रखें और सकारात्मक विचारों को अपने मन में स्थान दें।
- इस दिन को विशेष और यादगार बनाने के लिए सभी परिजन मिलकर त्योहार का आनंद लें।
रक्षाबंधन की यह पूजा विधि भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाती है और इस पर्व के महत्व को और भी गहरा करती है।