Navneet Priya Mandir, situated in the serene town of Nathdwara in Rajasthan, is a sacred pilgrimage spot for devotees of Lord Krishna. Known locally as Shrinathji Mandir ka Chhota Roop, this temple represents Krishna in his bal swaroop, holding a ball of butter (makhan) in his hand. The name “Navneet Priya” translates to “beloved of fresh butter,” highlighting Krishna’s playful and innocent childhood.
Navneet Priya का इतिहास Vallabh Sampradaya (पुष्टिमार्ग) से जुड़ा हुआ है, जिसे महाप्रभु वल्लभाचार्य ने स्थापित किया। यह मंदिर मूलतः मथुरा से जुड़ा था, लेकिन मुगल काल में मूर्ति को संरक्षण देने के लिए इसे नाथद्वारा लाया गया। यह घटना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दर्शाती है कि किस प्रकार भगवान की भक्ति में लोग हर कठिनाई का सामना करते हैं।
मंदिर की बनावट में पारंपरिक राजस्थानी स्थापत्य कला की झलक मिलती है। गर्भगृह (sanctum sanctorum) में कृष्ण भगवान की सुंदर मूर्ति स्थापित है, जो सफेद संगमरमर से बनी हुई है। दीवारों पर कृष्ण लीला के चित्र और रंग-बिरंगे फ्रेस्को देखने लायक हैं। इसके अलावा, मंदिर के मुख्य द्वार और आंगन को भी सुंदर झूमरों और सजावट से अलंकृत किया गया है।
Navneet Priya Mandir में मंगला आरती से लेकर शयन आरती तक के विभिन्न दर्शन होते हैं। विशेष रूप से Janmashtami और Annakut जैसे त्यौहार यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। श्रद्धालु इन अवसरों पर भजन-कीर्तन और विशेष प्रसाद का आनंद लेते हैं। मंदिर में सेवा पद्धति पुष्टिमार्ग पर आधारित है, जहाँ भक्त भगवान को भोग लगाने से पहले अपनी भक्ति दिखाते हैं।
नाथद्वारा उदयपुर से लगभग 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए आप बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी का उपयोग कर सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट उदयपुर में स्थित है, जो इसे देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
मंदिर में आते ही मन एक विशेष शांति का अनुभव करता है। भजन, कीर्तन, और मंदिर की दिव्य सजावट मन को शांति और भक्ति से भर देती है।
यह मंदिर न केवल भगवान कृष्ण के प्रति असीम श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि भक्तों को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ता है।
जय श्री कृष्ण!
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