श्री गोपाल चालीसा हिंदी अर्थ सहित
(Shree Gopal Chalisa with Hindi Meaning)
॥ दोहा ॥
श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल।
वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल॥
अर्थ:
यमुना किनारे बैठकर, श्री राधाजी के चरणों की धूलि अपने सिर पर धारण कर, मैं यह चालीसा का वर्णन करता हूँ। यह चालीसा सभी शुभ मंगलों का मूल है।
॥ चौपाई ॥
जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी।
जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल पदारथ पावै॥
अर्थ:
हे पूर्ण ब्रह्म बिहारी, आपकी जय हो! आप दुष्टों का विनाश करने के लिए अवतरित हुए हैं। जो कोई आपकी लीलाओं का गायन करता है, वह बिना किसी कठिनाई के सभी इच्छित फलों को प्राप्त करता है।
श्री वसुदेव देवकी माता, प्रकट भये संग हलधर भ्राता।
मथुरा सों प्रभु गोकुल आये, नन्द भवन मे बजत बधाये॥
अर्थ:
श्री वसुदेव और देवकी के पुत्र, श्रीकृष्ण, अपने भाई बलराम के साथ प्रकट हुए। मथुरा से गोकुल आए और नन्द भवन में उत्सव का आयोजन हुआ।
जो विष देन पूतना आई, सो मुक्ति दै धाम पठाई।
तृणावर्त राक्षस संहारयौ, पग बढ़ाय सकटासुर मार्यौ॥
अर्थ:
जो पूतना विष देने आई थी, उसे मुक्ति देकर भगवान ने अपने धाम भेज दिया। तृणावर्त राक्षस का वध किया और पग बढ़ाकर सकटासुर का संहार किया।
खेल खेल में माटी खाई, मुख मे सब जग दियो दिखाई।
गोपिन घर घर माखन खायो, जसुमति बाल केलि सुख पायो॥
अर्थ:
खेल खेल में भगवान ने मिट्टी खाई और अपने मुख में समस्त जगत को दिखाया। गोपियों के घर-घर माखन खाया और यशोदा माता को बाल क्रीड़ाओं का सुख प्राप्त हुआ।
ऊखल सों निज अंग बँधाई, यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई।
बका असुर की चोंच विदारी, विकट अघासुर दियो सँहारी॥
अर्थ:
ऊखल से अपने शरीर को बांधकर भगवान ने यमलार्जुन वृक्षों को जड़ योनि से मुक्त किया। बकासुर की चोंच विदीर्ण की और विकट अघासुर का वध किया।
ब्रह्मा बालक वत्स चुराये, मोहन को मोहन हित आये।
बाल वत्स सब बने मुरारी, ब्रह्मा विनय करी तब भारी॥
अर्थ:
जब ब्रह्मा जी ने बालकों और बछड़ों को चुरा लिया, तब भगवान ने उनकी माया का खेल दिखाया। भगवान ने बालकों और बछड़ों का रूप धारण किया और ब्रह्मा जी ने उनकी विनय की।
काली नाग नाथि भगवाना, दावानल को कीन्हों पाना।
सखन संग खेलत सुख पायो, श्रीदामा निज कन्ध चढ़ायो॥
अर्थ:
भगवान ने कालिय नाग को पराजित किया और दावानल (वन में लगी आग) को समाप्त किया। सखाओं के साथ खेलते हुए आनंद लिया और श्रीदामा को अपने कंधे पर बैठाया।
चीर हरन करि सीख सिखाई, नख पर गिरवर लियो उठाई।
दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों, राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों॥
अर्थ:
द्रोपदी का चीर हरण कर सीख दी और अपनी उंगली के नख पर गिरिराज गोवर्धन को उठाया। यज्ञ पत्नियों को दर्शन देकर आशीर्वाद दिया और राधा जी के प्रेम का सुख लिया।
नन्दहिं वरुण लोक सों लाये, ग्वालन को निज लोक दिखाये।
शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई, अति सुख दीन्हों रास रचाई॥
अर्थ:
नंद बाबा को वरुण लोक से वापस लाए और ग्वालों को अपने लोक के दर्शन कराए। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा को देखकर बांसुरी बजाई और रासलीला का आनंद दिया।
अजगर सों पितु चरण छुड़ायो, शंखचूड़ को मूड़ गिरायो।
हने अरिष्टा सुर अरु केशी, व्योमासुर मार्यो छल वेषी॥
अर्थ:
अजगर से पिता के चरणों को मुक्त किया और शंखचूड़ का वध किया। अरिष्टासुर और केशी को मारा और व्योमासुर का छल से वध किया।
व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये, मारि कंस यदुवंश बसाये।
मात पिता की बन्दि छुड़ाई, सान्दीपन गृह विद्या पाई॥
अर्थ:
व्याकुल ब्रज को छोड़कर मथुरा आए और कंस का वध करके यदुवंश की स्थापना की। माता-पिता को कारावास से मुक्त कराया और सान्दीपन ऋषि से विद्या प्राप्त की।
पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी, पे्रम देखि सुधि सकल भुलानी।
कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी, हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी॥
अर्थ:
भगवान ने ज्ञानी उद्धव जी को ब्रज भेजा, परंतु प्रेम देखकर वे सुध-बुध भूल गए। भगवान ने कुब्जा को सुंदर नारी बनाया और रुक्मिणी को स्वयंवर से घर लाए।
भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये, सुरन जीति सुरतरु महि लाये।
दन्तवक्र शिशुपाल संहारे, खग मृग नृग अरु बधिक उधारे॥
अर्थ:
भौमासुर का वध करके भक्तों को मुक्त किया और देवताओं को विजय दिलाकर पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाए। दन्तवक्र और शिशुपाल का वध किया और खग, मृग, नृग एवं बधिक को उद्धार किया।
दीन सुदामा धनपति कीन्हों, पारिजात सारथि यश लीन्हों।
गीता ज्ञान सिखावन हारे, अर्जुन मोह मिटावन हारे॥
अर्थ:
दीन सुदामा को धनपति बना दिया और पारिजात वृक्ष को लेकर आए। गीता का ज्ञान देकर अर्जुन का मोह निवारण किया।
केला भक्त बिदुर घर पायो, युद्ध महाभारत रचवायो।
द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो, गर्भ परीक्षित जरत बचायो॥
अर्थ:
भगवान ने विदुर के घर में केले खाए और महाभारत के युद्ध की योजना बनाई। द्रौपदी का चीर बढ़ाया और गर्भ में जलते हुए परीक्षित को बचाया।
कच्छ मच्छ वाराह अहीशा, बावन कल्की बुद्धि मुनीशा।
ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो, राम रुप धरि रावण मार्यो॥
अर्थ:
भगवान ने कच्छप, मच्छ, वाराह, अहीश, बावन, कल्की और बुद्ध रूपों में अवतार लिया। नृसिंह अवतार में प्रह्लाद की रक्षा की और राम रूप धारण करके रावण का वध किया।
जय मधु कैटभ दैत्य हनैया, अम्बरीश प्रिय चक्र धरैया।
ब्याध अजामिल दीन्हें तारी, शबरी अरु गणिका सी नारी॥
अर्थ:
मधु-कैटभ दैत्यों का वध करने वाले, अम्बरीश के प्रिय चक्रधारी की जय हो। भगवान ने अजामिल, शबरी और गणिका जैसी नारियों का उद्धार किया।
गरुड़ासन गज फन्द निकन्दन, देहु दरश धु्रव नयनानन्दन।
देहु शुद्ध सन्तन कर सगड़ा, बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रगड़ा॥
अर्थ:
गरुड़ की सवारी करने वाले, गज (हाथी) को संकट से बचाने वाले भगवान ध्रुव को दर्शन देकर आनंदित करें। शुद्ध संतों का संग प्रदान करें, जिससे प्रेम और भक्ति का रस बढ़े।
देहु दिव्य वृन्दावन बासा, छूटै मृग तृष्णा जग आशा।
तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद, शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद॥
अर्थ:
भगवान दिव्य वृन्दावन में निवास दिलाएं, जिससे संसार की मृगतृष्णा और आशा समाप्त हो। भगवान के ध्यान में शिव, नारद, शुकदेव, सनकादिक और ब्रह्मा जैसे विद्वान निरंतर लीन रहते हैं।
जय जय राधारमण कृपाला, हरण सकल संकट भ्रम जाला।
बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी, जो सुमरैं जगपति गिरधारी॥
अर्थ:
राधारमण कृपालु भगवान की जय हो, जो सभी संकटों और भ्रमों का हरण करते हैं। जो भी जगपति गिरधारी का स्मरण करता है, उसके सारे विघ्न, रोग और दुख दूर हो जाते हैं।
जो सत बार पढ़ै चालीसा, देहि सकल बाँछित फल शीशा॥
अर्थ:
जो व्यक्ति इस चालीसा को सौ बार पढ़ता है, भगवान उसे सभी इच्छित फलों का वरदान देते हैं।
॥ छन्द ॥
गोपाल चालीसा पढ़ै नित, नेम सों चित्त लावई।
सो दिव्य तन धरि अन्त महँ, गोलोक धाम सिधावई॥
अर्थ:
जो व्यक्ति नित्य गोपाल चालीसा को नियम से पढ़ता है और चित्त को उसमें लगाता है, वह अंत समय में दिव्य शरीर धारण करके गोलोक धाम को प्राप्त करता है।
संसार सुख सम्पत्ति सकल, जो भक्तजन सन महँ चहैं।
‘जयरामदेव’ सदैव सो, गुरुदेव दाया सों लहैं॥
अर्थ:
जो भक्तजन संसार के सभी सुख और सम्पत्ति की इच्छा रखते हैं, वे ‘जयरामदेव’ की कृपा से गुरुदेव की दया प्राप्त करते हैं।
॥ दोहा ॥
प्रणत पाल अशरण शरण, करुणा—सिन्धु ब्रजेश।
चालीसा के संग मोहि, अपनावहु प्राणेश॥
अर्थ:
हे ब्रजेश (ब्रज के स्वामी), आप करुणा के सागर हैं, अशरण को शरण देने वाले हैं। इस चालीसा के साथ मुझे अपनाइए, हे मेरे प्राणेश!
॥ Doha ॥
Shri Radha-pada kamal raj, sir dhari Yamuna kool.
Varano Chalisa saras, sakal sumangal mool.
Translation:
By placing the dust of Shri Radha’s lotus feet on my head, I describe this Chalisā, which is the essence of all auspiciousness.
॥ Chaupai ॥
Jai Jai Pooran Brahm Bihari, dusht dalan leela avataari.
Jo koi tumhari leela gavai, bin shram sakal padarath paavai.
Translation:
Victory to the Complete Brahman, who appears in the form of a leela to destroy the wicked. Those who sing your divine pastimes receive all desired things without effort.
Shri Vasudev Devaki mata, prakata bhaye sang haladhar bhrata.
Mathura se Prabhu Gokul aaye, Nand Bhavan mein bajat bdhaye.
Translation:
Shri Krishna, the son of Vasudev and Devaki, along with His brother Balram, appeared. He came from Mathura to Gokul, where the Nand house rejoiced in celebration.
Jo vish den Putana aayi, so mukti dai dham pathayi.
Trinavart rakshas sanhaarayou, pag badhayi Sakat Asur maaryo.
Translation:
The demoness Putana, who came to poison, was given liberation and sent to her abode. The demon Trinavarta was destroyed, and the demon Sakat was vanquished.
Khel khel mein maati khai, mukh mein sab jag diyo dikhai.
Gopin ghar ghar makhan khayo, Yashoda baal keli sukh paayo.
Translation:
In playful antics, Krishna ate mud and showed the entire universe in His mouth. He ate butter in every Gopi’s house and brought joy to Yashoda with His childhood pastimes.
Ukhal se nij ang bandhai, Yamalarjun jad yoni chhudai.
Baka asur ki chonch vidari, Vikata Aghasur diyo sanhaari.
Translation:
Tied to the mortar, Krishna freed the Yamalarjun trees from their cursed state. He broke the beak of Baka Asur and vanquished the fierce Aghasur.
Brahma balak vats churaye, Mohan ko Mohan hit aaye.
Bal vats sab bane Murari, Brahma vinay kari tab bhaari.
Translation:
When Brahma stole the calves and the cowherd boys, Krishna took their form to protect them. Brahma, seeing this, was overwhelmed and humbled.
Kaali nag nathi Bhagwana, daavanala ko keenho paana.
Sakhan sang khelat sukh paayo, Shridama nij kandh chadhayo.
Translation:
Krishna subdued the serpent Kaliya and extinguished the forest fire. He played happily with His friends and carried Shridama on His shoulder.
Chir haran kari seekh sikhai, nakh par Girivar liyo uthai.
Darash yajna patnin ko deenh, Radha prem sudha sukh leenh.
Translation:
By removing the cloth of Draupadi, Krishna gave a lesson and lifted Mount Govardhan on His little finger. He granted the vision of Yajna’s wives and enjoyed the nectar of Radha’s love.
Nandhin Varun lok se laaye, Gwalon ko nij lok dikhaye.
Sharad chandra lakhi venu bajai, ati sukh dinho ras rachai.
Translation:
Krishna brought Nand Baba from Varun’s realm and showed the cowherds His divine abode. On the full moon night, He played the flute, creating a delightful rasa dance.
Ajgar se pitu charan chhudayo, Shankhachur ko mood girayo.
Hane Arishta sur aru Keshi, Vyomasur maaryo chal veshi.
Translation:
Krishna freed His father from the serpent Kaliya and defeated Shankhachur. He also killed the demons Arishta and Keshi, and vanquished Vyomasur in disguise.
Vyakul Braj taji Mathura aaye, mari Kamsa Yaduvansh basaye.
Mata pita ki bandi chhudayi, Sandipani griha vidya pai.
Translation:
Krishna left Braj, went to Mathura, killed Kamsa, and established the Yadu dynasty. He freed His parents from captivity and obtained knowledge from Sage Sandipani.
Puni Pathayo Braj Udho Gyani, prem dekhi sudhi sakal bhulani.
Keenhi Kubari sundar nari, Hari laaye Rukmini sukumari.
Translation:
Krishna sent the wise Uddhav back to Braj, where he was overwhelmed by the love he witnessed. He transformed Kubja into a beautiful woman and brought Rukmini to Dwarka.
Bhaumasur hani bhakt chhudaye, suran jeeti surataru mahi laaye.
Dantavakra Shishupal sanhaare, khag mrig nrig aru baddhik udhaare.
Translation:
Krishna killed the demon Bhaumasura, freed His devotees, and brought the celestial tree to earth. He defeated Dantavakra and Shishupal, and rescued birds, animals, and hunters.
Deen Sudama dhanapati keenho, Parijat rath sarathi yash leeno.
Geeta gyaan sikhavan haare, Arjun moh mitaavan haare.
Translation:
Krishna elevated the impoverished Sudama to wealth and made the Parijat tree His charioteer. He imparted the knowledge of the Gita and removed Arjun’s delusion.
Kachchh machchh varah ahisha, Bavan Kalki buddhi muneesha.
Hwai Narasimha Prahlad ubharyo, Ram roop dhari Ravan maaryo.
Translation:
Krishna incarnated as the tortoise, fish, boar, and other forms, including Kalki, the future savior. He rescued Prahlad as Narasimha and defeated Ravana as Rama.
Jai Madhu Kaitabh daitya hanaiya, Ambarish priya chakra dharaya.
Vyadh Ajamil deene tari, Shabari aru ganika see naari.
Translation:
Victory to Krishna, who defeated the demons Madhu and Kaitabh and wielded the beloved Sudarshan chakra. He saved Ajamil, Shabari, and the fallen women.
Garud asan gaj phand nikandan, dehu darsh Dhruv nayananandan.
Dehu shuddha santan kar sagda, baadhai prem bhakti ras ragda.
Translation:
Krishna, who rides Garuda and rescues elephants from snares, grant me the vision of Dhruva. Give me the company of pure saints, and increase my love and devotion.
Dehu divya Vrindavan basa, chhutai mrig trishna jag asha.
Tumharo dhyan dharat Shiv Narad, Shuk Sanakadik Brahma Visharad.
Translation:
Grant me residence in the divine Vrindavan, so that I may be freed from the thirst for worldly pleasures. Those who meditate on You include Shiva, Narada, Shukadeva, Sanaka, and Brahma.
Jai Jai Radha Ramana Kripala, haran sakal sankat bhram jala.
Binsein bighna rog dukh bhari, jo sumarai Jagapati Giridhari.
Translation:
Victory to Radha Ramana, the compassionate one, who removes all calamities and illusions. Whoever remembers Lord Giridhari is freed from obstacles, diseases, and sorrows.
Jo sat bar padhai chalisa, dehi sakal banshit phal sheesha.
Translation:
Whoever reads this Chalisā a hundred times will be granted all desired fruits and blessings.
॥ Chhand ॥
Gopal Chalisā padhai nit, nem se chitt laavai.
So divya tan dhari ant mah, Golok dham sidhavai.
Translation:
Those who regularly read the Gopal Chalisā with devotion will attain a divine body and reach Goloka at the end of their life.
Sansar sukh sampatti sakal, jo bhaktjan san mahan chahain.
Jayarama dev sadaiva so, Gurudev daya se lahain.
Translation:
Those devotees who desire all worldly happiness and wealth will receive the grace of Gurudev through the blessings of Jayaram Dev.
॥ Doha ॥
Pranat paal asharan sharan, karuna-sindhu Brajesh.
Chalisa ke sang mohi, apnawahu pranesh.
Translation:
O Brajesh (Lord of Braj), the ocean of compassion, please accept me, your devotee, along with this Chalisā, O my Lord of Life.