सांवरिये की लाठी में,
आवाज़ कभी ना आएगी,
सब दरवाजे बंद मिलेंगे,
जिस दिन ये पड़ जाएगी।।
तुझसे अच्छा कोई नहीं है,
दर पे दिखावा करता है,
धीरे धीरे घड़ा पाप का,
इस दुनिया में भरता है,
जितनी भी तू अकड दिखालें,
जितनी भी तू अकड दिखालें,
धरी यही रह जाएगी,
सब दरवाजे बंद मिलेंगे,
जिस दिन ये पड़ जाएगी।।
स्वार्थ में तू होके अंधा,
भूल गया रिश्ते नाते,
समझ में आती है बस तुझको,
अपने मतलब की बातें,
चाहे जितनी जोड़ ले दौलत,
चाहे जितनी जोड़ ले दौलत,
यही धरी रही जाएगी,
सब दरवाजे बंद मिलेंगे,
जिस दिन ये पड़ जाएगी।।
खाटू वाले के खातिर तो,
प्रेमी सभी बराबर है,
एक तराजू सबको तोलें,
नजर श्याम की सब पर है,
जैसा भाव सांवरिया लाएं,
जैसा भाव सचिन लाएं,
वैसी झोली भर जाएंगी,
सब दरवाजे बंद मिलेंगे,
जिस दिन ये पड़ जाएगी।।
सांवरिये की लाठी में,
आवाज़ कभी ना आएगी,
सब दरवाजे बंद मिलेंगे,
जिस दिन ये पड़ जाएगी।।
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