मैं तो रमता जोगी राम,
मेरा क्या दुनिया से काम,
मैं तो रमता जोगी राम।।
हाड़ माँस की बनी पुतलिया,
ऊपर जड़िया चाम,
देख देख सब लोग रिझावे,
मेरो तन उपराम,
मैं तो रमता जोगी राम।।
माल खजाने बाग बगीचे,
सुंदर महल मुकाम,
एक पलक में सब ही छूटे,
संग चले नहीं दाम,
मैं तो रमता जोगी राम।।
मात पिता और मीत प्यारे,
भाई बंधू सुत बान,
स्वार्थ का सब खेल बना है,
नहीं इनमे आराम,
मैं तो रमता जोगी राम।।
दिन दिन पल पल छिन छिन काया,
छीजत जाए तमाम,
‘ब्रह्मानंद’ भजन कर प्रभु का,
मैं पाऊं विश्राम,
मैं तो रमता जोगी राम।।
मैं तो रमता जोगी राम,
मेरा क्या दुनिया से काम,
मैं तो रमता जोगी राम।।
Discover more from Brij Ke Rasiya
Subscribe to get the latest posts sent to your email.