अपना तो सब कुछ कन्हैया,
एक तू संसार में,
जी रहा ये ज़िन्दगी मैं,
आपके ही प्यार में,
अपना तो सबकुछ कन्हैया,
एक तू संसार में।।
तर्ज – दिल से दिल भरकर।
थे जो हमारे कल तलक वो,
आज मुख को फेरते,
आ गया है फर्क इतना,
इनके अब व्यवहार में,
अपना तो सबकुछ कन्हैया,
एक तू संसार में।।
बस यही दिल की तमन्ना,
है मेरी मेरे सांवरे,
रखलो चाकर मुझको अपना,
सांवरे दरबार में,
अपना तो सबकुछ कन्हैया,
एक तू संसार में।।
जबसे मांझी तुम बने हो,
सांवरे मेरी नाव के,
अब कभी फंसती नहीं है,
नाव ये मझधार में,
अपना तो सबकुछ कन्हैया,
एक तू संसार में।।
तुमसे रिश्ता जोड़कर,
‘कुंदन’ बड़ी मस्ती में है
मुश्किलें कोई ना आती,
अब मेरे परिवार में,
अपना तो सबकुछ कन्हैया,
एक तू संसार में।।
अपना तो सब कुछ कन्हैया,
एक तू संसार में,
जी रहा ये ज़िन्दगी मैं,
आपके ही प्यार में,
अपना तो सबकुछ कन्हैया,
एक तू संसार में।।
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