मैं तो आरती उतारूं रे,
अंजनी दुलारे की,
मैं तो आरती उतारूं रे,
हनुमत हमारे की,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम।।
तर्ज – मैं तो आरती उतारू रे।
तेरी लाली भरा सिंदूर,
लाल ही वस्त्र तेरा,
ओ बाला सोटा है वज्र समान,
बीरा अस्त्र तेरा,
तेरे मंदिर फहराते लाल,
गोटे वाले लीरा,
स्वीकारों मेरा उपहार,
बजरंग बलवीरा,
सोने के थाल लिए,
हर चीज लाल लिए,
बलिहारी जाऊं रे,
ओ बाला तोपे बलिहारी जाऊं रे,
मैं तो आरती उतारूं रे,
हनुमत हमारे की,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम।।
बाला घृत में मिलाउं सिंदूर,
तुझको अर्पण करूँ,
बाला श्रीफल समर्पित आज,
साँचा तर्पण करूँ,
मैं तो लड्डू चढ़ाऊंगा,
चूरमे को चरण धरूँ,
लेकर गंगा जल की धार,
केसर कलश भरूँ,
पेड़ों में प्यार भरूँ,
सबकुछ न्योछार करूँ,
तुझको पुकारूँ रे,
ओ बाला मेरे तुझको पुकारूँ रे,
मैं तो आरती उतारूं रे,
हनुमत हमारे की,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम।।
प्रभु पूजा की थाली सजाए,
दीपक जलाऊं मैं,
प्रभु गंध सुगंध मिलाए,
अर्क बनाऊं मैं,
बाला केसर कपूर और धुप,
तुझको चढ़ाऊँ मैं,
बाला केसरी जी के लाल,
तुझको मनाऊं मैं,
छत्तर हजार धरूँ,
अनुपम श्रृंगार करूँ,
अंगिया सजाऊँ रे,
ओ बाला तेरी अंगिया सजाऊँ रे,
मैं तो आरती उतारूं रे,
हनुमत हमारे की,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम।।
मैं तो आरती उतारूं रे,
अंजनी दुलारे की,
मैं तो आरती उतारूं रे,
हनुमत हमारे की,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम,
जय जय बजरंगबली,
जय श्री राम।।
Discover more from Brij Ke Rasiya
Subscribe to get the latest posts sent to your email.