साँची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा,
किस्मत संवर गई हालत सुधर गई,
इतनो मिल्यो थारो प्यार बाबा,
सांची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा।।
तर्ज – साँची कहे तोरे आवन से।
पतझड़ सा जीवन में छाई खुशहाली,
होली सा दिन होग्या राता दिवाली,
के के बतावा मैं तो मनावा,
बारह महीने त्यौहार बाबा,
सांची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा।।
जिसे मिलां लागे थारो दीवानों,
पहली झलक में लागे जानो पहचानो,
हिवड़ो यो खिल गयो म्हाने तो मिल गयो,
इतनो बड़ो परिवार बाबा,
सांची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा।।
जीवन बदन पे बाबा जदसु मैं पहनयो,
भक्ति की चुनर भजना को गहनों,
कैसो सजायो दुनिया ने भायो,
ऐसो कियो सिंगार बाबा,
सांची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा।।
पत्थर ने छुल्यो तो पारस बनादयो,
दीया की लो ने थे सूरज बनादयो,
‘रजनी’ भी मानी ‘सोनू’ ने जानी,
लीला को थारी ना पार बाबा,
सांची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा।।
साँची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा,
किस्मत संवर गई हालत सुधर गई,
इतनो मिल्यो थारो प्यार बाबा,
सांची कहूं थारे आने से म्हारे,
जीवन में आई बहार बाबा।।
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