सतगुरु तुम सागर मैं मीना,
तुम बिन रह ना पाउंगी,
तुमसे दो पल की दुरी,
गुरूजी सह ना पाउंगी।।
तर्ज – आ जाओ भोले बाबा।
ये चल रही है जिन्दगी,
उलटी भी धार में,
और दिख रही है जीत,
जीवन की हार में,
हारी बाजी जीवन की,
हारी बाजी जीवन की,
गुरूजी जीत जाउंगी,
तुमसे दो पल की दुरी,
गुरूजी सह ना पाउंगी।।
हरियाली ही हरियाली है,
जीवन के खेत में,
ठंडक सी मिल रही है,
जलती सी रेत में,
तुम साथ हो हमारे,
तुम साथ हो हमारे,
तो मैं चलती जाउंगी,
तुमसे दो पल की दुरी,
गुरूजी सह ना पाउंगी।।
खुद की समझ हुई है,
अध्यात्म से मुझे,
मिलवा दिया है तुमसे,
खुद आत्म से मुझे,
मिलने लगी हूँ खुद से,
मिलने लगी हूँ खुद से,
अब मैं मिलती जाउंगी,
तुमसे दो पल की दुरी,
गुरूजी सह ना पाउंगी।।
सतगुरु तुम सागर मैं मीना,
तुम बिन रह ना पाउंगी,
तुमसे दो पल की दुरी,
गुरूजी सह ना पाउंगी।।
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