मेरे सांवरिया नैन जरा अब खोल,
बिकने आया दर पे तेरे,
क्या देगा तू मोल,
मेरे सावरिया नैन जरा अब खोल।।
जिसकी कोई कीमत ना हो,
कौन खरीदे उसको,
बेबस और लाचार बड़ा हूँ,
और कहूं क्या तुझको,
मैं निर्बल कमज़ोर हूँ बाबा,
हो गया डांवाडोल,
मेरे सावरिया नैन जरा अब खोल।।
तुझसे अच्छा कौन मिलेगा,
मुझको मेरा मालिक,
अगर खरीदेगी दुनिया,
मल देगी मुख पे कालिख,
अपनी हालात तुझसे कह दी,
दे दी सारी पोल,
मेरे सावरिया नैन जरा अब खोल।।
चरणों की सेवा मिल जाये,
करूं गुलामी तेरी,
अगर मैं खाली लौट गया तो,
हो बदनामी तेरी,
‘हर्ष’ तुझे महँगा लागे तो,
ले ले तू बिन मोल,
मेरे सावरिया नैन जरा अब खोल।।
मेरे सांवरिया नैन जरा अब खोल,
बिकने आया दर पे तेरे,
क्या देगा तू मोल,
मेरे सावरिया नैन जरा अब खोल।।
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