खाटू वाले तू प्रेम की,
पाठशाला है,
प्यार के सांचे में तूने,
सबको ढाला है,
खाटू वाले तु प्रेम की,
पाठशाला है।।
तर्ज – तेरी गलियों का हूँ आशिक।
यहाँ की मिट्टी से खुशबु भी,
प्यार की आती,
बोलियां प्यार से यहाँ पर,
है बोली जाती,
हर तरफ प्यार प्यार का,
बोलबाला है,
खाटू वाले तु प्रेम की,
पाठशाला है।।
तेरे खाटू में हवाएं भी,
प्यार से चलती,
बारिशें होती बूंदें भी,
प्यार से गिरती,
तेरी कुदरत का करिश्मा,
तो निराला है,
खाटू वाले तु प्रेम की,
पाठशाला है।।
प्यार लेना प्यार देना,
है तेरा काम यही,
देव तुझसा नहीं ‘कुंदन’ ने,
देखा है कहीं,
दानी दातार तू बड़ा,
ही दिलवाला है,
खाटू वाले तु प्रेम की,
पाठशाला है।।
खाटू वाले तू प्रेम की,
पाठशाला है,
प्यार के सांचे में तूने,
सबको ढाला है,
खाटू वाले तु प्रेम की,
पाठशाला है।।
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