आयो फागण रंग रंगीलो,
हो जाओ तैयार,
हाथां लेर निशान चालस्या,
बाबा के दरबार।।
तर्ज – चांदी जैसा रंग है।
श्याम धणी का मोकळा,
भांत भांत से आवे,
कोई पेट पलनिया कोई,
सिर पर सिगड़ी ल्यावे,
पगा उबाना चलकर पहुंचे,
कोई से परिवार,
हाथां लेर निशान चालस्या,
बाबा के दरबार।।
मारवाड़ की धरा पे बरसे,
पावन अमृत झारी,
भक्ता बिच रमण में आवे,
कृष्ण कला अवतारी,
रींगस से खाटू तक गूंजे,
बाबा की जयकार,
हाथां लेर निशान चालस्या,
बाबा के दरबार।।
मंदिर के चौबारे आगे,
सेवक उधम मचावे,
श्याम के काना भनक पड़े,
ऐसी जयकार लगावे,
ठुमक ठुमक कर नाचे सेवक,
बाबो देवे ताल,
हाथां लेर निशान चालस्या,
बाबा के दरबार।।
रकम रकम का फरियादी,
ल्यावे अपनी परेशानी,
सबकी मनश्या तुरत पुरावे,
बाबो शीश को दानी,
श्याम राज में प्रजा है राजी,
सरिता यो ही सार,
हाथां लेर निशान चालस्या,
बाबा के दरबार।।
आयो फागण रंग रंगीलो,
हो जाओ तैयार,
हाथां लेर निशान चालस्या,
बाबा के दरबार।।
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