आदत है खाटू वाले की,
दोहा – ओ मतवारे बावरे,
क्यों है तू बेचैन,
आकर दर श्री श्याम के,
मिला नैन से नैन।
ये जग तपती रेत है,
श्याम सलोना छाँव,
छोड़ के रहना धुप में,
बस खाटू के गाँव।
आदत है खाटू वाले की,
हारे हुए को जिताने की,
मिलती दवा है श्याम के दर पे,
मिलती दवा है श्याम के दर पे,
हंसने और हंसाने की,
आदत हैं खाटू वाले की,
हारे हुए को जिताने की।।
देखे – बाबा हमें तेरी आदत हो गई है।
जितने भी है इस दुनिया में,
श्याम प्रभु के दीवाने,
कितने भी हालात हो मुश्किल,
कितने भी हालात हो मुश्किल,
हार मानना ना जाने,
आदत हैं खाटू वाले की,
हारे हुए को जिताने की।।
आ खाटू के द्वार चला आ,
देख श्याम के नैनन में,
खुशियां ही खुशियां बरसेगी,
खुशियां ही खुशियां बरसेगी,
तेरे पुरे जीवन में,
आदत हैं खाटू वाले की,
हारे हुए को जिताने की।।
यहाँ नहीं है देर जरा भी,
और यहाँ अंधेर नहीं,
संकट और मुसीबत गम की,
संकट और मुसीबत गम की,
श्याम के दर पर खैर नहीं,
आदत हैं खाटू वाले की,
हारे हुए को जिताने की।।
आदत है खाटु वाले की,
हारे हुए को जिताने की,
मिलती दवा है श्याम के दर पे,
मिलती दवा है श्याम के दर पे,
हंसने और हंसाने की,
आदत हैं खाटू वाले की,
हारे हुए को जिताने की।।
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