अब जाऊं कहाँ मैं सांवरिया,
दोहा – मोहन नैना आपके,
नौका के आधार,
जो जन इनमे बस गए,
सो जन है गए पार।
आ पिया इन नैनन में,
मैं पलक ढाप तोहे लूँ,
ना मैं देखूं गैर को,
ना तोहे देखन दूँ।
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं,
अब जाऊं कहाँ मैं सांवरिया,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
पिया छोड़ गए दिल तोड़ गए,
अब बनके फिरूं मैं बावरिया,
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया।।
देखे – मैं फिरू श्याम तेरे नाम की जोगन।
तिरछी चितवन बांकी है अदा,
तेरे नैन कटीले कजरारे,
अब तेरे बिना जी लगता नहीं,
अब तेरे बिना जी लगता नहीं,
अब काहे सताए सांवरिया,
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया।।
तेरी मुरली की मीठी तानों पर,
दिल मेरा कन्हैया खोने लगा,
अब आके सुना दो बांसुरिया,
अब आके सुना दो बांसुरिया,
अब मिल भी जाओ सांवरिया,
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया।।
सावन की मस्त बहारों में,
दिल रो रो कर मेरा तड़प गया,
मेरे नैना ऐसे बरस रहे,
मेरे नैना ऐसे बरस रहे,
जैसे सावन की हो बादरिया,
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया।।
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
पिया छोड़ गए दिल तोड़ गए,
अब बनके फिरूं मैं बावरिया,
तुझे देख के दिल भरता ही नहीं,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया,
अब जाऊँ कहाँ मैं सांवरिया।।
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