अब के बरस तो सांवरिया,
म्हारा मन की करजे रे,
ओ खाटू वाला श्याम,
थारे तो जग में चर्चे रे।।
थारा दर पे सांवरिया मैं,
हर ग्यारस ना आऊं,
श्याम कुंड में नहाकर थारा,
प्यारा दर्शन पाऊं,
खाटू नगरी घुमा,
आस म्हारी पूरी करजे रे,
अब के बरस तो साँवरिया,
म्हारा मन की करजे रे।।
मैं भी चाहूँ कोठी बंगला,
घर में कार खड़ी हो,
खर्चे की ना होवे तंगी,
हरदम सुख की घड़ी हो,
म्हारा संकट श्याम धणी,
पल भर में हरजे रे,
अब के बरस तो साँवरिया,
म्हारा मन की करजे रे।।
कदे ना बाबा हो झगड़ा,
सबसे प्रेम बढ़ा दे,
मन में जो भी बसे बुराई,
सबने दूर भगा दे,
करे चाकरी ‘राकेश’ थारी,
किरपा करजे रे,
अब के बरस तो साँवरिया,
म्हारा मन की करजे रे।।
अब के बरस तो सांवरिया,
म्हारा मन की करजे रे,
ओ खाटू वाला श्याम,
थारे तो जग में चर्चे रे।।
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