अपने दिल को ले संभाल,
कहीं जुड़ ना जाए तार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर,
होके नीले पे सवार,
करता आंखों से है वार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर,
होके नीले पे सवार।।
तर्ज – लेके पहला पहला प्यार।
उसका दीवाना हुआ,
सारा संसार है,
मैं कैसे बच जाऊं,
ये तो उसका प्यार है,
ले के बाहों में करे प्यार,
था उसका इंतजार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर,
अपने दील को ले संभाल,
कहीं जुड़ ना जाए तार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर।।
लोक शरम मैं तो,
कुछ भी ना जानू,
खाटू वाले श्याम तुझको,
सब कुछ मैं मानू,
अब तो वो ही तारणहार,
मेरे बाबा लखदातार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर,
अपने दील को ले संभाल,
कहीं जुड़ ना जाए तार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर।।
माना की मैं बाबा,
झूठा बड़ा हूँ,
पर आज द्वार,
हाथ जोड़ खड़ा हूँ,
कर दो किरपा तारणहार,
होकर नीले पे सवार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर,
अपने दील को ले संभाल,
कहीं जुड़ ना जाए तार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर।।
अपने दिल को ले संभाल,
कहीं जुड़ ना जाए तार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर,
होके नीले पे सवार,
करता आंखों से है वार,
खाटू नगरी से आया है,
कोई जादूगर,
होके नीले पे सवार।।
Discover more from Brij Ke Rasiya
Subscribe to get the latest posts sent to your email.