अजमल घर अवतार धारियों,
पर सेवकों तणी सदा पृथ्वी पाल,
दुःख दालद मेटो सुख देवा जणा,
पीर भिलमाओ बागे री चाल।।
आद जुगादि अमर थोरी आशा ने,
तुर बिन तारन दीन दयाल,
मैं कूड़ा म्हारा सतगुरु साँचा,
थे जन्म जन्म रा काटो जाल।।
पुर बिन पाँख पंखेरु किया उड़सी,
जल बिन मछिया रो कांई हवाल,
आप बिना केड़ी गत मोरी,
थोड़ा राखो धणी नखे लगाय।।
और किणरी पोळ पुकारू,
थे मात पिता मैं झूले बाळ,
रनी बनी री हाटां बाटा ने,
रामकंवर धणी थे साँचा रुखवाल।।
अनंत कोट पाये पर जालो न,
खावण खूवण जमी पर जाल,
शरण आयोडा रा पतंग जडीजे न,
पुन पाप धणिया परा निवार।।
थे उसरो रा श्याम बणीजो,
थांसू डरपे हैं बढ़ भोपाल,
दूर भौम रा आवे जातरू,
जणा दरगां देख चढ़े रहमान।।
काज सरूपी दादो रणसी सिद्दा,
भले सत सिद्दा खिवन मेघवाल,
जिन्द त्याग वो जीव उबारिया,
जणा बंधुवा छोड़ाया पीरां चवदे लाख।।
भौ अगले री असल कमाई,
इण भौ में धणी तिणका पाल,
तिणका पालो संन्मुख रालो,
थे सायल सुणो अजमल जी रा लाल।।
अनंत सिद्दा रे शरणे आया,
भले गुरां पीरा रे लागू पाय,
देऊ शरणे हरजी बोले,
सिंवरे जको धणी थे करजो सहाय।।
अजमल घर अवतार धारियों,
पर सेवकों तणी सदा पृथ्वी पाल,
दुःख दालद मेटो सुख देवा जणा,
पीर भिलमाओ बागे री चाल।।
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