राम भजन करले रे म्हारा मनवा,
दोहा – लोभ सदा जिनके धन को जन,
सो निश्वासर दाम भजे,
भोग इच्छा प्रकटे मन में तब,
होय दुःखी मन बाम भजे।
मान भजे बहु लोग घमंडी,
कामण जु नित काम भजे,
भाग भले जिनके जग में,
जन भारती पूरण राम भजे।
राम भजन करले रे म्हारा मनवा,
इ मन मगरूरी ने छोड़ो रे,
राम भजन करलें रे म्हारा मनवा।।
बड़े भाग मानुष तन मिलयो,
कोई पुण्य पूरबलो जाडो रे,
रात दिन अन्याय कमावे,
कईया गुडेलो थारो गाड़ो ये,
राम भजन करलें रे म्हारा मनवा,
इ मन मगरूरी ने छोड़ो रे।।
बेठ पंचा में झूठ मत बोल,
मत खोदे पाप को खाडो रे,
थु जाण ओरा ने पटक दू,
थारे आवेलो आडो ये,
राम भजन करलें रे म्हारा मनवा,
इ मन मगरूरी ने छोड़ो रे।।
पाप करबा में सबके आगे,
जाणे जान में लाडो रे,
यु यम का दूत पकड़ मारेला,
जाणे धरडको पाडो रे,
राम भजन करलें रे म्हारा मनवा,
इ मन मगरूरी ने छोड़ो रे।।
पापां से तेरो हिवडो भर गयो,
जु जल भरियो नाडो रे,
कहे चेतन भारती हरि भज बंदा,
राम भजन आसी आडो ये,
राम भजन करलें रे म्हारा मनवा,
इ मन मगरूरी ने छोड़ो रे।।
राम भजन कर ले रे म्हारा मनवा,
इ मन मगरूरी ने छोड़ो रे,
राम भजन करलें रे म्हारा मनवा।।
Discover more from Brij Ke Rasiya
Subscribe to get the latest posts sent to your email.