मैंने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले,
मेरे आंसू बहे हर बार,
मगर एक बार नहीं बोले,
मैने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले।।
तर्ज – हम भूल गए रे हर बात।
जब रिश्ता ये मंज़ूर ना था,
तो क्यों मुझको अनाया था,
जब साथ मेरा नहीं देना था,
क्यों मुझको गले लगाया था,
क्या मेरा नहीं अधिकार,
मगर एक बार नहीं बोले,
मैने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले।।
हारे के साथी हो तुम तो,
मुझे माँ ने बताया बचपन से,
ज़रा याद करो वो वादा जो,
तुमने किया अपनी माँ से,
क्यों हारूँ मैं ही हर बार,
मगर एक बार नहीं बोले,
मैने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले।।
हारा हुआ जो भी आता है,
तेरे दर से जीत के जाता है,
ये कहते दुनिया वाले है,
पर मुझको समझ नहीं आता है,
मैं हार गया रे कई बार,
मगर एक बार नहीं बोले,
मैने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले।।
तुम कोशिश कुछ भी करलो प्रभु,
मैं द्वार तेरा ना छोडूंगा,
अंतिम स्वासें जीवन की प्रभु,
मैं द्वार पे तेरे तोडूंगा,
‘अन्नू’ जान लो तुम इस बार,
ये बातें झूठ नहीं बोले,
मैने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले।।
मैंने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले,
मेरे आंसू बहे हर बार,
मगर एक बार नहीं बोले,
मैने पूछा हज़ारों बार,
मगर एक बार नहीं बोले।।
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