पाना चाहे श्याम तो बन चरणों का दास

पाना चाहे श्याम तो,
बन चरणों का दास,
पानी पानी कहने से,

पानी पानी कहने से,
नहीं बुझे किसी की प्यास,
पाना चाहें श्याम तो,
बन चरणों का दास।।

तर्ज – देना हो तो दीजिये।

भक्तों के वश में रहता है,
वो जग का पालनहारा,
दीन भाव से मांग मिलेगा,
इस दुनिया का सुख सारा,
जो श्याम के दर पे मांगे,
जो श्याम के दर पे मांगे,
वो लौटे नहीं निराश,
पाना चाहें श्याम तो,
बन चरणों का दास।।

अपने दो आंसू छलकाकर,
जो भी उसे बुलाएगा,
इतना हल्का है आंसू की,
बूंदो में बह जाएगा,
अपने भक्तों के दुख का,
अपने भक्तों के दुख का,
है उसको भी अहसास,
पाना चाहें श्याम तो,
बन चरणों का दास।।

नहीं किसी का मीत यहाँ तू,
कोई मीत ना तेरा है,
सभी मुसाफिर इक मंजिल के,
दुनिया रेन बसेरा है,
कुछ चले गए कुछ आए,
कुछ चले गए कुछ आए,
ना सदा करेंगे वास,
पाना चाहें श्याम तो,
बन चरणों का दास।।

वो दाता मैं दीन भिखारी,
मैं क्यों उससे शरमाऊं,
मुझको जब भी पड़े जरुरत,
मांगने उससे ही जाऊं,
‘गजेसिंह’ श्याम मन भाए,
‘गजेसिंह’ श्याम मन भाए,
ये जग नहीं आए रास,

पाना चाहें श्याम तो,
बन चरणों का दास।।

पाना चाहे श्याम तो,
बन चरणों का दास,
पानी पानी कहने से,
पानी पानी कहने से,
नहीं बुझे किसी की प्यास,
पाना चाहें श्याम तो,
बन चरणों का दास।


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