तेरी महिमा गाऊं तीन बाण धारी,
दोहा – मैं तो जानू महिमा तेरी,
दुखियों का सहारा तू है,
लगाए बैठा है,
दरबार खाटू नगरी में,
हर एक नज़र का,
नज़ारा तू है।
तेरी महिमा गाऊं तीन बाण धारी,
ये चर्चा सरेआम हो गया,
जबसे देखि तेरी मूरत प्यारी प्यारी,
ठिकाना खाटू धाम हो गया,
तेरी महिमा गाऊँ तीन बाण धारी,
ये चर्चा सरेआम हो गया।।
तर्ज – नित खैर मंगा।
तेरे चरणों में शाम हो सवेरा हो,
वो क्या हारे बाबा हाथ जिसपे तेरा हो,
श्याम बनी रही किरपा तुम्हारी,
मेरा भी हर काम हो रहा,
तेरी महिमा गाऊँ तीन बाण धारी,
ये चर्चा सरेआम हो गया।।
जिसपे चढ़ जाए बाबा रंग तेरा हो,
उसे डर क्या जो बाबा संग तेरा हो,
दिल लगाया तुझसे साँवरे सलोने,
मेरा भी रंग श्याम हो गया,
तेरी महिमा गाऊँ तीन बाण धारी,
ये चर्चा सरेआम हो गया।।
तेरे सिवा कोई मेरा ना सहारा वे,
मजधार में हूँ सूझे ना किनारा वे,
‘रुद्राक्ष’ हुआ तेरा बनवारी,
और मेरा बाबा श्याम हो गया,
तेरी महिमा गाऊँ तीन बाण धारी,
ये चर्चा सरेआम हो गया।।
तेरी महिमा गाऊं तीन बाण धारी,
ये चर्चा सरेआम हो गया,
जबसे देखि तेरी मूरत प्यारी प्यारी,
ठिकाना खाटू धाम हो गया,
तेरी महिमा गाऊँ तीन बाण धारी,
ये चर्चा सरेआम हो गया।।
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