जाग जाग नगरी का राजा देसी भजन लिरिक्स

जाग जाग नगरी का राजा,
सुता शेर जगाया,
नगर में जुना योगी आया।।
पवन स्वरूपी रूप नही रेता,
मन का डेरू चलाया,
तन मन का एक तार लगाया,
ब्रम्हावेद ओलखाया,
नगर में जुना योगी आया।।
नाभ कलंग में क्रंक्ति का वासा,
वापे ज्ञान लगाया,
उणी आसन मारा सतगुरू बैठा,
पल पल दर्शन पाया,
नगर में जुना योगी आया।।
झरणा री जोली ममता री माला,
फेरी फरता आया,
अरे फेरी गाले बाबो कछुने लेवे,
नरभे रा नाम कमाया,
नगर में जुना योगी आया।।
पांच तत्व रे पच्चीस भग्तिया,
अके नाल समझाया,
सिरगुण से तो निरगुण न्यारा,
ऐ बेटी बाप ने धाया,
नगर में जुना योगी आया।।
जाग्योड़ा जीव जुगाजुग जागा,
हे सुतोड़ा पछताया,
मच्छिन्द्र प्रताप जति गोरख जी बोले,
हे सुरता वो शेर जगाया,
नगर में जुना योगी आया।।
जाग जाग नगरी का राजा,
सुता शेर जगाया,
नगर में जुना योगी आया।।


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