आजा खाजा रे दवाई,
गुरुजी वैद्य आया।
दोहा – टेडे मेडे गोलमोल,
सिलावट पाषाण को,
विविध प्रकार,
धर मूर्ति बनाय दे,
काठ की बढ़ाई जैसे,
अनेकों बना वस्तु,
माटी को कुम्हार ऊंचे,
मोल में बिकाय दे।
पट को सजाय दर्जी,
लोहे को लोहार कसी,
सोने में सुनार जैसे,
सुहागा सजाय दे।
भारती पूरण ऐसे,
गुरु जो गढाई करें,
दानव से देव कर,
जग में पूजाय दे।
आजा खाजा रे दवाई,
गुरुजी वेद्य आया,
थारी मिटेगी बीमारी,
सुधरेगी काया।।
बांटे सत्संग माय,
औषधि ज्ञान लाया,
करे है मुफ्त में उपचार,
लेय नहीं धन माया,
आजा खाजा रे दवाईं,
गुरुजी वेद्य आया,
थारी मिटेगी बीमारी,
सुधरेगी काया।।
देखी कर्मा की नब्ज,
मर्ज का भेद पाया,
सारो भयों दुख दूर,
रोगी हरसाया,
आजा खाजा रे दवाईं,
गुरुजी वेद्य आया,
थारी मिटेगी बीमारी,
सुधरेगी काया।।
चेतन भारती गुरुजी,
कर गया खूब छाया,
भारती पूरण निरोगी,
भयो गुण गाया,
आजा खाजा रे दवाईं,
गुरुजी वेद्य आया,
थारी मिटेगी बीमारी,
सुधरेगी काया।।
आजा खाजा रे दवाईं,
गुरुजी वेद्य आया,
थारी मिटेगी बीमारी,
सुधरेगी काया।।
Discover more from Brij Ke Rasiya
Subscribe to get the latest posts sent to your email.