श्री गौरी चालीसा विडियो
श्री गौरी चालीसा
।। दोहा ।।
मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान।
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।।
पूजन विधी न जानती, पर श्रद्धा है आपर।
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।।
।। चौपाई ।।
नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता।
शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता।
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश मिटाओ।।
सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटु ना।
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो।
मन को भाए वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेह मैं पायु।।
परम आराध्या आप हो मेरी, फिर क्यूं वर में इतनी देरी।
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोड़े में बरकत भर दीजियो।।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना।
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।।
देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर में पाते।
श्रद्धा भाव जो लेकर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा।
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन मे आस जगावे।।
शिव भी आपका कहा ना टाले, दया दृष्टि हम पे डाले।
जो जन करता आपका ध्यान, जग मे पाए मान सम्मान।।
सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती।
दया दृष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।।
जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए।
जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।।
सात गुण की हो दाता आप, हर इक मन की ज्ञाता आप।
काटो हमरे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।।
दुःख संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ।
जबही आप मौज में आय, हठ जय माँ सब विपदाएं।।
जिस पे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप।
फल-फूल मैं दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।।
अवगुन मेरे ढक देना माँ, ममता आंचल कर देना माँ।
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे।
जितने आपके पावन धाम, सब धामो को माँ प्राणम।।
आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार।
निर्मल मन जो शरण में आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।।
संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को माँ सम्भव कर दो।
आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।।
आपकी महिमा अति निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली।
मनोकामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।।
चालीसा जो भी पढ़े सुनाए, सुयोग वर वरदान मे पाए।
आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।।
।। दोहा ।।
गौरी माँ विनती करूँ, आना आपके द्वार।
ऐसी माँ कृपा कीजिये, हो जाए उद्धार।।
हीं हीं हीं शरण में, दो चरणों का ध्यान।
ऐसी माँ कृपा कीजिये, पाऊँ मान सम्मान।।
श्री गौरी चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Gori Chalisa – With Hindi Meaning)
।। दोहा ।।
मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान।
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।।
हे महागौरी!! आप मेरे मन के मंदिर में निवास करें, मैं आपकी चालीसा के पाठ का शुभारंभ करती हूँ। हे माँ गौरी!! आप मुझे अपने चरणों में स्थान दीजिये।
पूजन विधी न जानती, पर श्रद्धा है आपर।
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।।
मैं तो अज्ञानी हूँ और पूजा-विधि के बारे में इतना जानती नही हूँ लेकिन मेरे मन में श्रद्धा की कोई कमी नहीं है। हे मेरी मातारानी!! आप मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिये।
।। चौपाई ।।
नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता।
शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।।
हे महागौरी!! आपको मेरा नमन है, नमन है। आप ही मेरा भाग्य बनाने वाली हैं। आपकी शरण में जो भी आता है, उसे किसी भी चीज़ की घबराहट नहीं होती है। आप ही महागौरी, उमा व शंकरी माता हो।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता।
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश मिटाओ।।
जो भी आपका भक्त है, उसे हर जगह आदर-सम्मान मिलता है। आप ही कार्तिकेय व गणेश की माँ हैं। आप अपने पति शिव व गणेश जी के साथ मेरे घर आओ और मेरे सभी दुःख-संकट का नाश कर दो।
सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटु ना।
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।।
आपकी कृपा से मेरा जन्म लेना सार्थक हो जाए और मैं हमेशा अच्छे कार्य करूँ। मेरी सभी इच्छाएं पूरी हो जाए और मुझे सभी प्रकार की सुख-सुविधाएँ मिले, ऐसा आप मुझे वरदान दीजिये।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो।
मन को भाए वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेह मैं पायु।।
हे महागौरी!! आप मेरे भाग्य में मनचाहा और योग्य वर दे दीजिये। मुझे ऐसा वर मिले जिससे मैं बहुत प्रेम करूँ और मुझे ससुराल में भी बहुत स्नेह मिले।
परम आराध्या आप हो मेरी, फिर क्यूं वर में इतनी देरी।
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोड़े में बरकत भर दीजियो।।
मैं तो आपको ही अपनी देवी मानती हूँ, फिर क्यों आप मुझे वरदान देने में इतनी देरी कर रही हैं। अब आप मेरे सभी काम पूरे कर दीजिये और मेरी मनोकामनाओं को पूरा कर दीजिये।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना।
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।।
हे माँ महागौरी!! आप अपनी दया की दृष्टि मुझ पर बनाये रखना और मुझ में भक्तिभाव जगाये रखना। हे गौरी माता!! आप मेरे आसपास ही रहना और मेरे मन को विचलित मत होने देना।
देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर में पाते।
श्रद्धा भाव जो लेकर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।।
देवता व ऋषि-मुनि सभी आपके सामने अपना सिर झुकाते हैं और वरदान में सुख-सुविधाओं को पाते हैं। जो भी आपके पास श्रद्धा भाव से आया है, उसे तो आपने बिना मांगे ही सब कुछ दे दिया है।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा।
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन मे आस जगावे।।
आपने अपने भक्तों के हर संकट को दूर किया है और आगे बढ़ कर उसे सहारा दिया है। आप जब भी हमारे प्रति स्नेह दिखाती हैं, तब-तब हमारे निराश मन में आशा की किरण जाग उठती है।
शिव भी आपका कहा ना टाले, दया दृष्टि हम पे डाले।
जो जन करता आपका ध्यान, जग मे पाए मान सम्मान।।
शिवजी भी आपकी बात को मना नहीं करते हैं और हम पर अपनी दया दृष्टि रखते हैं। जो भी व्यक्ति आपका ध्यान करता है, उसका इस विश्व में मान-सम्मान बढ़ता है।
सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती।
दया दृष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।।
जो भी विवाहित स्त्री सच्चे मन से माँ गौरी का ध्यान करती है, आप उसके पति की रक्षा करती हैं। जिस किसी पर भी माता गौरी की दया दृष्टि पड़ जाती है, वह भवसागर को पार कर जाता है।
जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए।
जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।।
जो कोई भी ॐ नमः शिवाये का जाप करता है, उसे शिव परिवार का प्रेम मिलता है। जिस किसी पर भी गौरी माता दया दिखाती हैं, उस पर से सभी दुष्ट आत्माओं का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
सात गुण की हो दाता आप, हर इक मन की ज्ञाता आप।
काटो हमरे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।।
माँ गौरी सात गुणों को धारण किये हुए हैं और हर किसी के मन की इच्छा भी वह जानती हैं। अब आप हमारे सभी संकट दूर कर दीजिये और मेरा परिवार भी स्वस्थ रहे, ऐसा वरदान दीजिये।
दुःख संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ।
जबही आप मौज में आय, हठ जय माँ सब विपदाएं।।
हे माँ गौरी!! आप मेरे सभी दुःख व कष्ट दूर कर देना और अपनी दया हमारे ऊपर बरसा देना। जिस भी घर में आप जाती हैं, वहां से सभी तरह की विपदाएं दूर हो जाती है।
जिस पे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप।
फल-फूल मैं दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।।
जिस किसी पर भी माता गौरी की कृपा होती है, उसका पुण्य व यश बढ़ता ही जाता है। मैं आपकी पूजा में फल व फूल चढ़ाती हूँ और श्रद्धा भाव से आपका ध्यान करती हूँ।
अवगुन मेरे ढक देना माँ, ममता आंचल कर देना माँ।
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।।
मेरे अंदर जो भी अवगुण हैं, आप उन्हें दूर कर देना और मेरा आँचल अपनी ममता के प्रेम से भर देना। आपके लिए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है और जो इस जगत के द्वारा ठुकरा भी दिया गया हो, उसे भी आपकी भक्ति मिलती है।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे।
जितने आपके पावन धाम, सब धामो को माँ प्राणम।।
आपके तो अपने गुणों के अनुसार कई तरह के रूप हैं। ऐसे में आपके जितने भी धाम या सिद्ध पीठ हैं, उन सभी को मैं प्रणाम करती हूँ।
आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार।
निर्मल मन जो शरण में आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।।
आपकी दया की कोई सीमा नहीं है और इसी कारण आपको पूरा संसार पूजता है। जो भी निर्मल मन के साथ आपकी शरण में आ जाता है, उसे मुक्ति मिल जाती है।
संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को माँ सम्भव कर दो।
आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।।
हे माँ गौरी!! आप मेरे मन को संतोष प्रदान करें और मुझे धन दें। आप असंभव को भी संभव कर देती हैं। आपकी दया के कारण ही मेरा घर-परिवार सुखी रहता है।
आपकी महिमा अति निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली।
मनोकामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।।
आपकी महिमा तो बहुत ही निराली है और आप अपने भक्तों का हरेक दुःख दूर कर देती हैं। आप अपने भक्तों की हरेक इच्छा पूरी करती हैं और उनके मन में चल रही दुविधा को दूर कर देती हैं।
चालीसा जो भी पढ़े सुनाए, सुयोग वर वरदान मे पाए।
आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।।
जो भी स्त्री इस गौरी चालीसा का पाठ करती है या दूसरों को सुनाती है, उसे माँ गौरी के आशीर्वाद से योग्य वर की प्राप्ति होती है। हे माता गौरी!! आप मेरे मन की इच्छा को पूरा कर देना और मुझे मनचाहा वर देना।
।। दोहा ।।
गौरी माँ विनती करूँ, आना आपके द्वार।
ऐसी माँ कृपा कीजिये, हो जाए उद्धार।।
हे माता गौरी!! मैं आपके मंदिर आकर आपसे प्रार्थना करती हूँ कि आप मुझ पर ऐसी कृपा कीजिये कि मेरा उद्धार हो जाए।
हीं हीं हीं शरण में, दो चरणों का ध्यान।
ऐसी माँ कृपा कीजिये, पाऊँ मान सम्मान।।
मैं आपके चरणों में गिरी पड़ी हूँ और आपका ही ध्यान करती हूँ। अब आप मुझ पर ऐसी कृपा कीजिये कि मैं हर जगह मान-सम्मान पाऊं।