जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे
जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे,
क्षत्रिय कुल में आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे,
आई है सखियाँ देने बधाई,
ढोल नगाड़े बाजे गूंजे शहनाई,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे ॥
चैत्र सुदी तेरस की,
मंगल घड़ी आई,
राजा सिद्धार्थ के,
आँगन खुशिया छाई,
त्रिशला का नंद आया,
मन मे आनंद छाया,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
जन्म लियो जिनराज रे ॥
दुख की बदरी,
धीरे धीरे छटने लगी,
सुख की अनुभूति,
सबको होने लगी,
हर्षित है जन जन,
पुलकित हुआ ये मन,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
जन्म लियो जिनराज रे ॥
करुणा के स्वामी,
प्रभु वीर पधारे,
सारे जहाँ में,
गूँजे है जयकारे,
यही भगवान है,
‘दिलबर’ पहचान ले,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
जन्म लियो जिनराज रे ॥
जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे,
क्षत्रिय कुल में आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे,
आई है सखियाँ देने बधाई,
ढोल नगाड़े बाजे गूंजे शहनाई,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे ॥
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