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सप्तवार आरती संग्रह | Saptwar Aarti Sangrah | Weekly Aarti Collection

सप्तवार आरती संग्रह

हिन्दू धर्म में हर वार किसी न किसी देवी या देवता को पूजा के लिए समर्पित माना जाता है| उसी प्रकार  की मान्अयताओ को ध्यान में रखकर हर वार की सबसे पर्मुख आरतियां का संग्रह हमने यहाँ किया है जिसे सप्तवार आरती संग्रह का नाम दिया गया है| जो की इस प्रकार है

सोमवार आरती (Monday Aarti)

सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है।

॥ शिवजी की आरती ॥

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।

प्रणवाक्षर मध्येये तीनों एका॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंगा बहत है,गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतीजो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

मंगलवार आरती (Tuesday Aarti)

मंगलवार का दिन भगवान हनुमानजी की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है

॥ आरती श्री हनुमानजी ॥

आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई।सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाए।लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे।सियारामजी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे॥

पैठि पाताल तोरि जम-कारे।अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे।दाहिने भुजा संतजन तारे॥

सुर नर मुनि आरती उतारें।जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमानजी की आरती गावे।बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥

बुधवार आरती (Wednesday Aarti)

बुधवार का दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है

॥ श्री कृष्ण की आरती ॥
आरती युगलकिशोर की कीजै।तन मन धन न्यौछावर कीजै॥

गौरश्याम मुख निरखन लीजै,हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै।

रवि शशि कोटि बदन की शोभा,ताहि निरखि मेरो मन लोभा।

ओढ़े नील पीत पट सारी,कुन्जबिहारी गिरिवरधारी।

फूलन की सेज फूलन की माला,रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला।

कंचन थाल कपूर की बाती,हरि आये निर्मल भई छाती।

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी,आरती करें सकल ब्रजनारी।

नन्दनन्दन बृजभान किशोरी,परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।

बुधवार का दिन भगवान गणेशजी की भी पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है।

॥ श्री गणेशजी की आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।

माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥ x2

(माथे पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी॥)

पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।

(हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।)

लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥ x2

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।

बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥ x2

‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

(दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।

कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥ x2)

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

गुरुवार आरती (Thursday Aarti)

गुरुवार बृहस्पति ग्रह को समर्पित है और गुरुवार को उपवास मुख्य रूप से बृहस्पति ग्रह को समर्पित है।


॥ बृहस्पतिवार की आरती ॥
ऊँ जय बृहस्पति देवा,जय बृहस्पति देवा।

छिन छिन भोग लगाऊँ,कदली फल मेवा॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

तुम पूर्ण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर,तुम सबके स्वामी॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

चरणामृत निज निर्मल,सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक,कृपा करो भर्ता॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

तन, मन, धन अर्पण कर,जो जन शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर,आकर द्वार खड़े॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

दीनदयाल दयानिधि,भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता,भव बन्धन हारी॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

सकल मनोरथ दायक,सब संशय तारो।

विषय विकार मिटाओ,सन्तन सुखकारी॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

जो कोई आरती तेरीप्रेम सहित गावे।

जेष्टानन्द बन्दसो सो निश्चय पावे॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा॥

शुक्रवार आरती (Friday aarti)

शुक्रवार का दिन माँ सन्तोषी की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है।

॥ आरती श्री सन्तोषी माँ ॥

जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता।

अपने सेवक जन को,सुख सम्पत्ति दाता॥

जय सन्तोषी माता॥

सुन्दर चीर सुनहरीमाँ धारण कीन्हों।

हीरा पन्ना दमके,तन श्रृंगार कीन्हों॥

जय सन्तोषी माता॥

गेरू लाल छटा छवि,बदन कमल सोहे।

मन्द हंसत करुणामयी,त्रिभुवन मन मोहे॥

जय सन्तोषी माता॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी,चंवर ढुरें प्यारे।

धूप दीप मधुमेवा,भोग धरें न्यारे॥

जय सन्तोषी माता॥

गुड़ अरु चना परमप्रिय,तामे संतोष कियो।

सन्तोषी कहलाई,भक्तन वैभव दियो॥

जय सन्तोषी माता॥

शुक्रवार प्रिय मानत,आज दिवस सोही।

भक्त मण्डली छाई,कथा सुनत मोही॥

जय सन्तोषी माता॥

मन्दिर जगमग ज्योति,मंगल ध्वनि छाई।

विनय करें हम बालक,चरनन सिर नाई॥

जय सन्तोषी माता॥

भक्ति भावमय पूजा,अंगीकृत कीजै।

जो मन बसै हमारे,इच्छा फल दीजै॥

जय सन्तोषी माता॥

दुखी दरिद्री, रोग,संकट मुक्त किये।

बहु धन-धान्य भरे घर,सुख सौभाग्य दिये॥

जय सन्तोषी माता॥

ध्यान धर्यो जिस जन ने,मनवांछित फल पायो।

पूजा कथा श्रवण कर,घर आनन्द आयो॥

जय सन्तोषी माता॥

शरण गहे की लज्जा,राखियो जगदम्बे।

संकट तू ही निवारे,दयामयी अम्बे॥

जय सन्तोषी माता॥

सन्तोषी माता की आरती,जो कोई जन गावे।

ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति,जी भरकर पावे॥

जय सन्तोषी माता॥

शनिवार आरती (Saturday Aarti)

शनिवार का दिन शनि देव की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है।

॥ शनि देव की आरती ॥

जय शनि देवा, जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा।

अखिल सृष्टि में कोटि-कोटिजन करें तुम्हारी सेवा।

जय शनि देवा…॥

जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,घोर कष्ट वह पावे।

धन वैभव और मान-कीर्ति,सब पलभर में मिट जावे।

राजा नल को लगी शनि दशा,राजपाट हर लेवा।

जय शनि देवा…॥

जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,सकल सिद्धि वह पावे।

तुम्हारी कृपा रहे तो,उसको जग में कौन सतावे।

ताँबा, तेल और तिल से जो,करें भक्तजन सेवा।

जय शनि देवा…॥

हर शनिवार तुम्हारी,जय-जय कार जगत में होवे।

कलियुग में शनिदेव महात्तम,दु:ख दरिद्रता धोवे।

करू आरती भक्ति भाव सेभेंट चढ़ाऊं मेवा।

जय शनि देवा…॥

रविवार आरती (Sunday Aarti)

रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इसलिए, सभी रविवार को सूर्यदेव की पूजा करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

॥ आरती श्री सूर्य जी ॥

जय कश्यप-नन्दन,ॐ जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,भक्त-हृदय-चन्दन॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सप्त-अश्वरथ राजित,एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी,मानस-मल-हारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर,दिव्य किरण माली॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सकल – सुकर्म – प्रसविता,सविता शुभकारी।

विश्व-विलोचन मोचन,भव-बन्धन भारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

कमल-समूह विकासक,नाशक त्रय तापा।

सेवत साहज हरतअति मनसिज-संतापा॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

नेत्र-व्याधि हर सुरवर,भू-पीड़ा-हारी।

वृष्टि विमोचन संतत,परहित व्रतधारी॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

सूर्यदेव करुणाकर,अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान-मोह सब,तत्त्वज्ञान दीजै॥

जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।

Subhash Sharma

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