दोहा
!! जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल,
दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल,
जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज ,
करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज !!
!! जयति जयति शनिदेव दयाला करत सदा भक्तन प्रतिपाला,
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै माथे रतन मुकुट छवि छाजै,
परम विशाल मनोहर भाला टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला,
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके हिये माल मुक्तन मणि दमकै !!
!! कर में गदा त्रिशूल कुठारा पल बिच करैं अरिहिं संहारा,
पिंगल, कृष्णो, छाया, नन्दन यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन,
सौरी, मन्द शनी दश नामा भानु पुत्र पूजहिं सब कामा,
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं रंकहुं राव करैं क्षण माहीं !!
!! पर्वतहू तृण होइ निहारत तृणहू को पर्वत करि डारत,
राज मिलत वन रामहिं दीन्हयो कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो,
वनहुं में मृग कपट दिखाई मातु जानकी गई चुराई,
लषणहिं शक्ति विकल करिडारा मचिगा दल में हाहाकारा !!
!! रावण की गति-मति बौराई रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई,
दियो कीट करि कंचन लंका बजि बजरंग बीर की डंका,
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा चित्र मयूर निगलि गै हारा,
हार नौलखा लाग्यो चोरी हाथ पैर डरवायो तोरी !!
!! भारी दशा निकृष्ट दिखायो तेलहिं घर कोल्हू चलवायो,
विनय राग दीपक महँ कीन्हयों तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों,
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी आपहुं भरे डोम घर पानी,
तैसे नल पर दशा सिरानी भूंजी-मीन कूद गई पानी !!
!! श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई पारवती को सती कराई,
तनिक विकलोकत ही करि रीसा नभ उड़ि गतो गौरिसुत सीसा,
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी बची द्रोपदी होति उधारी,
कौरव के भी गति मति मारयो युद्ध महाभारत करि डारयो !!
!! रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला लेकर कूदि परयो पाताला,
शेष देव-लखि विनती लाई रवि को मुख ते दियो छुड़ाई,
वाहन प्रभु के सात सुजाना जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना,
जम्बुक सिह आदि नख धारी सो फल ज्योतिष कहत पुकारी !!
!! गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै,
गर्दभ हानि करै बहु काजा सिह सिद्ध्कर राज समाजा,
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै मृग दे कष्ट प्राण संहारै,
जब आवहिं स्वान सवारी चोरी आदि होय डर भारी !!
!! तैसहि चारि चरण यह नामा स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा,
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं,
समता ताम्र रजत शुभकारी स्वर्ण सर्वसुख मंगल भारी,
जो यह शनि चरित्र नित गावै कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै !!
!! अद्भुत नाथ दिखावैं लीला करैं शत्रु के नशि बलि ढीला,
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई विधिवत शनि ग्रह शांति कराई,
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत दीप दान दै बहु सुख पावत,
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा !!
॥ दोहा ॥
!! पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार,
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार !!
Doha
!! Jai Ganesh Girija Suvan Mangal Karan Kripal
Denan Ke Dukh Door Kari Kijei Nath Nihal
Jai Jai Shri Shanidev Prabhu Sunahu Vinae Maharaj,
Karu Kripa He Ravi Tanae Rakhhu Jan Ki Laj. !!
!! Jayati Jayati Shanidev Deyala Karat Sada Bhagatan Pratipala.
Chari Bhuja, Tanu Sham Viraje Mathe Ratan Mukut Chhavi Chaje.
Param Vishal Manohar Bhala Tedhi Drishti Bhrkuti Vikarala.
Kundal Shravan Chamacham Chamake Hiye Maal Muktan Mani Damke. !!
!! Kar Me Gada Trishul Kuthara Pal Bich Kare Arihi Sahara.Pingal,
Krishno, Chhaaya, Nandan, Yam Konsth, Raudra, Dukh Bhanjan.Sauri,
Mand Shani, Dash Nama Bhanu Putra Pujahe Sab Kama.
Japar Prabhu Prasann Have Jahi Rankhu Raav Kare shann Maahi !!
!! Parvathu Trun Hoi Niharat Trinahu Ko Parvat Kari Darat.
Raaj Milat Vann Ramahi Dinho Kaikeihu Ki Mati Hari Linho.
Vanhu Me Mrig Kapat Dikhai Matu Janki Gai Churai.
Lashanahi Shakti Vikal Karidara Machiga Dal Me Hahakara.!!
!! Ravan Ki Gati-Mati Baurai Ramachandra So Bair Badhai.
Diyo Keet Kari Kanchan Lanka, Baji Bajarang Bir Ki Danka.
Nrip Vikram Par Tuhi Pagu Dhara, Chitra Mayoor Nigali Gai Hara.
Haar Naulakha Lageo Chori Hath Pair Daravao Tori !!
!! Bhari Dasha Nikrasht Dikhao Telahi Ghar Kolhu Chalvao.
Vinae Raag Deepak Mah Kinhao Tab Prasann Prabhu Hve Sukh Dinho.
Harishchandra Nrip Nari Bikani Aaphu Bhare Dom Ghar Pani.
Taise Nal Par Dasha Sirani Bhunji-Meen Kud Gai Pani. !!
!! Shri Shankarahi Gaheo Jab Jai Paravati Ko Sati Karai.
Tanik Vikalokat Hi Kari Resa Nabh Udi Gato Gaurisut Seema.
Pandav Par Bhai Dasha Tumhari Bachi Dropadi Hoti Ughari.
Kaurav Ke Bhi Gati Mati Mareyo Yudh Mahabharat Kari Dareyo!!
!! Ravi Kah Mukh Meh Dhari Tatkala Lekar Kudi Pareye Patala.
Shesh Dev-Lakhi Vinati Lai Ravi Ko Mukh Te Diyo Chudai.
Vahan Prabhu Ke Saat Sujana Jag Diggaj Gardabh Mrig Svana.
Jambuk Sinh Aadi Nakh Dhari So Phal Jyotish Kehat Pukari. !!
!! Gaj Vahan Lakshmi Greh Aave Hay Te Sukh Sampati Upjave.
Gardabh Hani Kare Bahu Kaja Singh Sidhakar Raj Samaja.
Jambuk Budhi Nasht Kar Dare Mrig De Kasht Pran Sahare.
Jab Avahe Svan Savari Chori Aadi Hoe Dae Bhari. !!
!! Taisi Chari Charan Yeh Nama Svarn Lauh Chandi Aru Tama.
Lauh Charan Par Jab Prabhu Aave Dhan Jan Sampati Nasht Karave.
Samta Tamra Rajat Shubhkari Svarn Sarvasukh Mangal Bhari.
Jo Yah Shani Charitra Nit Gave Kabhu Na Dasha Nikrisht Satave !!
!! Adbhut Nath Dikhave Lela Kare Shatru Ke Nashi Bali Dhila.
Jo Pandit Suyogya Bulavi Vidhivat Shani Greh Shanti Krai.
Peepal Jal Shani Divas Chadhavat Deep Daan hai Bahu Sukh
Kehat Ram Sundar Prabhu Dasa Shani Sumirat Sukh Hot Prakasha !!
Doha
!! Path Shanishchar Dev Ko Ki Ho Bhagat Teyar,
Karat Path Chalis Din Ho Bhavsagar Paar !!
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
‘करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
हे माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश, आपकी जय हो। आप कल्याणकारी है, सब पर कृपा करने वाले हैं, दीन लोगों के दुख दुर कर उन्हें खुशहाल करें भगवन। हे भगवान श्री शनिदेव जी आपकी जय हो, हे प्रभु, हमारी प्रार्थना सुनें, हे रविपुत्र हम पर कृपा करें व भक्तजनों की लाज रखें।
॥चौपाई॥
‘जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भुकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करें अरिहिं संहारा॥
है दयालु शनिदेव महाराज आपकी जय हो, आप सदा भक्तों के रक्षक हैं उनके पालनहार हैं। आप श्याम वर्णीय हैं व आपकी चार भुजाएं हैं। आपके मस्तक पर रतन जड़ित मुकुट आपकी शोभा को बढा रहा है। आपका बड़ा मस्तक आकर्षक है, आपकी दृष्टि टेठी रहती है ( शनिदेव को यह वरदान प्राप्त हुआ था कि जिस पर भी उनकी दृष्टि पड़ेगी उसका अनिष्ट होगा इसलिए आप हमेशा टेढी दृष्टि से देखते हैं ताकि आपकी सीधी दृष्टि से किसी का अहित न हो)। आपकी भृकुटी भी विकराल दिखाई देती है। आपके कानों में सोने के कुंडल चमचमा रहे हैं। आपकी छाती पर मोतियों व मणियों का हार आपकी आभा को और भी बढ़ा रहा है। आपके हाथों में गदा, त्रिशूल व कुठार हैं, जिनसे आप पल भर में शत्रुओं का संहार करते हैं।
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं। रंकहुं राव करें क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥
पिंगल, कृष्ण, छाया नंदन, यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन, सौरी, मंद, शनि ये आपके दस नाम हैं। हे सूर्यपुत्र आपको सब कार्यों की सफलता के लिए पूजा जाता है। क्योंकि जिस पर भी आप प्रसन्न होते हैं, कृपालु होते हैं वह क्षण भर में ही रंक से राजा बन जाता है। पहाड़ जैसी समस्या भी उसे घास के तिनके सी लगती है लेकिन जिस पर आप नाराज हो जांए तो छोटी सी समस्या भी पहाड़ बन जाती है।
राज मिलत वन रामहिं दीन्हो। कैकेइडं की मति हरि लीन्हो॥
बनहूं में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चतुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलाखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महू कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥
हे प्रभु आपकी दशा के चलते ही तो राज के बदले भगवान श्री राम को भी वनवास मिला था। आपके प्रभाव से ही केकैयी ने ऐसा बुद्धि हीन निर्णय लिया। आपकी दशा के चलते ही वन में मायावी मृग के कपट को माता सीता पहचान न सकी और उनका हरण हुआ। उनकी सूझबूझ भी काम नहीं आयी। आपकी दशा से ही लक्ष्मण के प्राणों पर संकट आन खड़ा हुआ जिससे पूरे दल में हाहाकार मच गया था। आपके प्रभाव से ही रावण ने भी ऐसा बुद्धिहीन कृत्य किया व प्रभु श्री राम से शत्रुता बढाई। आपकी दृष्टि के कारण बजरंग बलि हनुमान का डंका पूरे विश्व में बजा व लंका तहस-नहस हुई। आपकी नाराजगी के कारण राजा विक्रमादित्य को जंगलों में भटकना पड़ा। उनके सामने हार को मोर के चित्र ने निगल लिया व उन पर हार चुराने के आरोप लगे। इसी नौलखे हार की चोरी के आरोप में उनके हाथ पैर तुड़वा दिये गये। आपकी दशा के चलते ही विक्रमादित्य को तेली के घर कोल्हू चलाना पड़ा। लेकिन जब दीपक राग में उन्होंने प्रार्थना की तो आप प्रसन्न हुए व फिर से उन्हें सुख समृद्धि से संपन्न कर दिया।
हरिश्वन्द्र नृूप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहि गहयो जब जाई। पार्वती को सती कराई॥
‘तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उधारी॥
‘कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥
आपकी दशा पड़ने पर राजा हरिश्न॑द्र की स्त्री तक बिक गई, स्वयं को भी डोम के घर पर पानी भरना पड़ा। उसी प्रकार राजा नल व रानी दयमंती को भी कष्ट उठाने पड़े, आपकी दशा के चलते भूनी हुई मछली तक वापस जल में कूद गई और राजा नल को भूखों मरना पड़ा। भगवान शंकर पर आपकी दशा पड़ी तो माता पार्वती को हवन कुंड में कूदकर अपनी जान देनी पड़ी। आपके कोप के कारण ही भगवान गणेश का सिर धड़
से अलग होकर आकाश में उड़ गया। पांडवों पर जब आपकी दशा पड़ी तो द्रौपदी वस्त्रहीन होते होते बची। आपकी दशा से कौरवों की मति भी मारी गयी जिसके परिणाम में महाभारत का युद्ध हुआ। आपकी कुद्दृष्टि ने तो स्वयं अपने पिता सूर्यदेव को नहीं बख्शा व उन्हें अपने मुख में लेकर आप पाताल लोक में कूद गए। देवताओं की लाख विनती के बाद आपने सूर्यदेव को अपने मुख से आजाद किया।
वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्ज हय गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥
हे प्रभु आपके सात वाहन हैं। हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार और शेर जिस वाहन पर बैठकर आप आते हैं उसी प्रकार ज्योतिष आपके फल की गणना करता है। यदि आप हाथी पर सवार होकर आते हैं घर में लक्ष्मी आती है। यदि घोड़े पर बैठकर आते हैं तो सुख संपत्ति मिलती है। यदि गधा आपकी सवारी हो तो कई प्रकार के कार्यों में अड़चन आती है, वहीं जिसके यहां आप शेर पर सवार होकर आते हैं तो आप समाज में उसका रुतबा बढाते हैं, उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं। वहीं सियार आपकी सवारी हो तो आपकी दशा से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है व यदि हिरण पर आप आते हैं तो शारीरिक व्याधियां लेकर आते हैं जो जानलेवा होती हैं। हे प्रभु जब भी कुत्ते की सवारी करते हुए आते हैं तो यह किसी बड़ी चोरी की और ईशारा करती है। इसी प्रकार आपके चरण भी सोना, चांदी, तांबा व लोहा आदि चार प्रकार की धातुओं के हैं। यदि आप लौहे के चरण पर आते हैं तो यह धन, जन या संपत्ति की हानि का संकेतक है। वहीं चांदी व तांबे के चरण पर आते हैं तो यह सामान्यत शुभ होता है, लेकिन जिनके यहां भी आप सोने के चरणों में पधारते हैं, उनके लिये हर लिहाज से सुखदायक व कल्याणकारी होते है।
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करें शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
जो भी इस शनि चरित्र को हर रोज गाएगा उसे आपके कोप का सामना नहीं करना पड़ेगा, आपकी दशा उसे नहीं सताएगी। उस पर भगवान शनिदेव महाराज अपनी अदूभुत लीला दिखाते हैं व उसके शत्रुओं को कमजोर कर देते हैं। जो कोई भी अच्छे सुयोग्य पंडित को बुलाकार विधि व नियम अनुसार शनि ग्रह को शांत करवाता है। शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को जल देता है व दिया जलाता है उसे बहुत सुख मिलता है। प्रभु शनिदेव का दास रामसुंदर भी कहता है कि भगवान शनि के सुमिरन सुख की प्राप्ति होती है व अज्ञानता का अंधेरा मिटकर ज्ञान का प्रकाश होने लगता है।
॥दोहा॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
भगवान शनिदेव के इस पाठ को ‘विमल’ ने तैयार किया है जो भी इस चालीसा का चालीस दिन तक पाठ करता है शनिदेव की कृपा से वह भवसागर से पार हो जाता है।
यह लेख "श्री गणेश अष्टोत्तर नामावली" पर आधारित है, जो भगवान गणेश के 108 पवित्र…
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व नजदीक आते ही लोग गणेश जी की प्रतिमाओं को…
हरतालिका तीज हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जिसे मुख्यतः महिलाएं मनाती…
गोपाल सहस्रनाम (Gopal Sahastranam) क्या हैं? देवी देवताओ के 1000 नामो को सहस्रनाम (Sahastranam) कहा…
The Braj Chaurasi Kos Yatra takes believers on a holy trek across the Braj region…
सुंदरकांड, रामायण के पाँचवें कांड का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें भगवान हनुमान की वीरता,…