श्री जाहरवीर गोगा चालीसा – हिंदी अर्थ सहित (Goga Chalisa)

श्री जाहरवीर गोगा चालीसा (Shree Jaharveer Goga Chalia)  एक विशेष धार्मिक स्तोत्र है, जो वीर गोगाजी को समर्पित है। गोगाजी, जो एक महान योद्धा और संत के रूप में पूजनीय हैं, अपनी वीरता और साहस के लिए प्रसिद्ध हैं। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को गोगाजी के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और उनकी सुरक्षा और समृद्धि की कामना पूरी होती है। यह लेख श्री जाहरवीर गोगा चालीसा के पाठ और उसके हिंदी अर्थ को प्रस्तुत करता है, जिससे आप गोगाजी की दिव्य कृपा और शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।

श्री जाहरवीर गोगाजी चालीसा विडियो

Video Credit : Goga Veer Bhakti

श्री जाहरवीर चालीसा (Shree Jaharveer Goga ji Chalisa)

।। दोहा ।।

सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर।

बन्दौं सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर।।

जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप।

अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप।।

।। चौपाई ।।

जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा।

गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी।

गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट घुंघराले बाला।

कांधे धनुष गले तुलसी माला, कमर कृपान रक्षा को डाला।

जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार दरमियाना।

बल सागर गुण निधि कुमारा, दुखी जनों का बना सहारा।

बागड़ पति बाछला नन्दन, जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।

जेवर राव का पुत्र कहाये, माता पिता के नाम बढ़ाये।

पूरन हुई कामना सारी, जिसने विनती करी तुम्हारी।

सन्त उबारे असुर संहारे, भक्त जनों के काज संवारे।

गूगावीर की अजब कहानी, जिसको ब्याही श्रीयल रानी।

बाछल रानी जेवर राना, महादुखी थे बिन सन्ताना।

भंगिन ने जब बोली मारी, जीवन हो गया उनको भारी।

सूखा बाग पड़ा नौलक्खा, देख-देख जग का मन दुक्खा।

कुछ दिन पीछे साधू आये, चेला चेली संग में लाये।

जेवर राव ने कुआ बनवाया, उद्घाटन जब करना चाहा।

खारी नीर कुए से निकला, राजा रानी का मन पिघला।

रानी तब ज्योतिषी बुलवाया, कौन पाप मैं पुत्र न पाया।

कोई उपाय हमको बतलाओ, उन कहा गोरख गुरु मनाओ।

गुरु गोरख जो खुश हो जाई, सन्तान पाना मुश्किल नाई।

बाछल रानी गोरख गुन गावे, नेम धर्म को न बिसरावे।

करे तपस्या दिन और राती, एक वक्त खाय रूखी चपाती।

कार्तिक माघ में करे स्नाना, व्रत इकादसी नहीं भुलाना।

पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े, दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।

चेलों के संग गोरख आये, नौलखे में तम्बू तनवाये।

मीठा नीर कुए का कीना, सूखा बाग हरा कर दीना।

मेवा फल सब साधु खाए, अपने गुरु के गुन को गाये।

औघड़ भिक्षा मांगने आए, बाछल रानी ने दुख सुनाये।

औघड़ जान लियो मन माहीं, तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।

रानी होवे मनसा पूरी, गुरु शरण है बहुत जरूरी।

बारह बरस जपा गुरु नामा, तब गोरख ने मन में जाना।

पुत्र देन की हामी भर ली, पूरनमासी निश्चय कर ली।

काछल कपटिन गजब गुजारा, धोखा गुरु संग किया करारा।

बाछल बनकर पुत्र पाया, बहन का दरद जरा नहीं आया।

औघड़ गुरु को भेद बताया, तब बाछल ने गूगल पाया।

कर परसादी दिया गूगल दाना, अब तुम पुत्र जनो मरदाना।

लीली घोड़ी और पण्डतानी, लूना दासी ने भी जानी।

रानी गूगल बाट के खाई, सब बांझों को मिली दवाई।

नरसिंह पंडित लीला घोड़ा, भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।

रूप विकट धर सब ही डरावे, जाहरवीर के मन को भावे।

भादों कृष्ण जब नौमी आई, जेवरराव के बजी बधाई।

विवाह हुआ गूगा भये राना, संगलदीप में बने मेहमाना।

रानी श्रीयल संग परे फेरे, जाहर राज बागड़ का करे।

अरजन सरजन काछल जने, गूगा वीर से रहे वे तने।

दिल्ली गए लड़ने के काजा, अनंग पाल चढ़े महाराजा।

उसने घेरी बागड़ सारी, जाहरवीर न हिम्मत हारी।

अरजन सरजन जान से मारे, अनंगपाल ने शस्त्र डारे।

चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया, सिंह भवन माड़ी बनवाया।

उसी में गूगावीर समाये, गोरख टीला धूनी रमाये।

पुण्य वान सेवक वहाँ आये, तन मन धन से सेवा लाए।

मन्सा पूरी उनकी होई, गूगावीर को सुमरे जोई।

चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा, सारे कष्ट हरे जगदीसा।

दूध पूत उन्हें दे विधाता, कृपा करे गुरु गोरखनाथ।

Shree Jaharveer Goga ji Chalisa in English

।। Doha ।।

Suvan Kehri Jewar Sut Mahabali Randheer.
Bandau Sut Rani Bachhla Vipat Nivaran Veer.
Jai Jai Jai Chauhan Vans Googa Veer Anup.
Anangpal Ko Jeetkar Aap Bane Sur Bhoop.

।। Chaupai ।।

Jai Jai Jai Jahar Randheera, Par Dukh Bhanjan Bagad Veera.
Guru Gorakh Ka He Varadani, Jaharveer Jodha Lasani.
Gaur Varan Mukh Maha Visala, Mathe Mukut Ghunghrale Bala.
Kandhe Dhanush Gale Tulsi Mala, Kamar Kripan Raksha Ko Dala.
Janme Googaveer Jag Jana, Isavi San Hajaar Darmiyana.
Bal Sagar Gun Nidhi Kumara, Dukhi Janon Ka Bana Sahara.
Bagad Pati Bachhla Nandan, Jewar Sut Hari Bhakt Nikandan.
Jewar Rao Ka Putra Kahaye, Mata Pita Ke Naam Badhaye.
Puran Hui Kamna Saari, Jisne Vinati Kari Tumhari.
Sant Ubare Asur Sanhare, Bhakt Janon Ke Kaaj Sanvare.
Googaveer Ki Ajab Kahani, Jisko Byahi Shreeyal Rani.
Bachhal Rani Jewar Rana, Mahadukhi The Bin Santana.
Bhangin Ne Jab Boli Maari, Jeevan Ho Gaya Unko Bhari.
Sukha Baag Pada Naulakha, Dekh-Dekh Jag Ka Man Dukkha.
Kuch Din Peechhe Sadhu Aaye, Chela Cheli Sang Mein Laye.
Jewar Rao Ne Kuaa Banwaya, Udghatan Jab Karna Chaha.
Khari Neer Kue Se Nikla, Raja Rani Ka Man Pighla.
Rani Tab Jyotishi Bulwaya, Kaun Paap Mein Putra Na Paya.
Koi Upay Humko Batlao, Un Kaha Gorakh Guru Manao.
Guru Gorakh Jo Khush Ho Jaayi, Santaan Paana Mushkil Nahi.
Bachhal Rani Gorakh Gun Gaave, Neem Dharam Ko Na Bisraave.
Kare Tapasya Din Aur Raat, Ek Vakt Khaye Rookhi Chapati.
Kartik Maagh Mein Kare Snana, Vrat Ekadashi Nahi Bhulana.
Purnimasi Vrat Nahi Chhode, Daan Punya Se Mukh Nahi Mode.
Chelon Ke Sang Gorakh Aaye, Naulakhe Mein Tambu Tanvaye.
Meetha Neer Kue Ka Kina, Sukha Baag Hara Kar Diya.
Mewa Phal Sab Sadhu Khaye, Apne Guru Ke Gun Ko Gaye.
Aghad Bhiksha Maangne Aaye, Bachhal Rani Ne Dukh Sunaye.
Aghad Jaan Liyo Man Maahin, Tap Bal Se Kuch Mushkil Nahi.
Rani Hove Mansa Poori, Guru Sharan Hai Bahut Zaroori.
Barah Baras Japa Guru Nama, Tab Gorakh Ne Man Mein Jaana.
Putra Dene Ki Hami Bhar Li, Purnimasi Nishchay Kar Li.
Kachhal Kapatin Gajab Guzara, Dhokha Guru Sang Kiya Karara.
Bachhal Bankar Putra Paaya, Behen Ka Dard Zara Nahi Aaya.
Aghad Guru Ko Bhed Bataya, Tab Bachhal Ne Google Paaya.
Kar Parsadi Diya Google Dana, Ab Tum Putra Jano Mardana.
Leeli Ghodi Aur Panditani, Loona Daasi Ne Bhi Jani.
Rani Google Baat Ke Khai, Sab Banjhon Ko Mili Dawaai.
Narsingh Pandit Leela Ghoda, Bhajju Kotwal Jana Randheera.
Roop Vikat Dhar Sab Hi Darave, Jaharveer Ke Man Ko Bhave.
Bhado Krishna Jab Naumi Aayi, Jewarrao Ke Baji Badhayi.
Vivah Hua Googa Bhaye Rana, Sangaldeep Mein Bane Mehmaan.
Rani Shreeyal Sang Pare Fere, Jahar Raj Bagad Ka Kare.
Arjan Sarjan Kachhal Jane, Googa Veer Se Rahe Ve Tane.
Dilli Gaye Ladne Ke Kaaja, Anang Pal Chadhe Maharaja.
Usne Gheri Bagad Saari, Jaharveer Na Himmat Haari.
Arjan Sarjan Jaan Se Maare, Anangpal Ne Shastr Daare.
Charan Pakadkar Pind Chhudaya, Singh Bhavan Maadi Banwaya.
Usi Mein Googaveer Samaaye, Gorakh Teela Dhuni Ramaye.
Punya Van Sevak Vahan Aaye, Tan Man Dhan Se Seva Laye.
Mansa Poori Unki Hoi, Googaveer Ko Sumre Joi.
Chalis Din Padhe Jahar Chalisa, Saare Kasht Hare Jagdeesa.
Doodh Poot Unhein De Vidhata, Kripa Kare Guru Gorakhnath.

श्री जाहरवीर गोगा (Shree Jaharveer Goga ji)

श्री जाहरवीर गोगा चालीसा – हिंदी अर्थ सहित (Goga Chalisa with hindi meaning)

।। दोहा ।।

सुवन केहरी जेवर सुत महाबली रनधीर।

बन्दौं सुत रानी बाछला विपत निवारण वीर।।

जय जय जय चौहान वन्स गूगा वीर अनूप।

अनंगपाल को जीतकर आप बने सुर भूप।।

हे जाहरवीर! आप बहुत शक्तिशाली व महाबली हैं। गोगाजी के पिता का नाम जेवरसिंह व माता का नाम बाछल देवी था। वे चौहान वंश के एक प्रमुख राजा थे जिन्होंने अपनी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैलायी। उन्होंने अनंगपाल राजा को हराकर बहुत प्रसिद्धी प्राप्त की।

।। चौपाई ।।

जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा।

गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी।

गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट घुंघराले बाला।

कांधे धनुष गले तुलसी माला, कमर कृपान रक्षा को डाला।

हे युद्धभूमि में लड़ने वाले जाहरवीर!! आपकी जय हो। आपने हमारे दुखों का नाश किया है। गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से ही आप अपने माता-पिता को प्राप्त हुए। आपका रंग गौरा है और बाल घुंघराले है। आपने अपने कन्धों पर धनुष लिया हुआ है और गले में तुलसी की माला है। लोगों की रक्षा के लिए आपने अपनी कमर पर तलवार ली हुई है।

जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार दरमियाना।

बल सागर गुण निधि कुमारा, दुखी जनों का बना सहारा।

बागड़ पति बाछला नन्दन, जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।

जेवर राव का पुत्र कहाये, माता पिता के नाम बढ़ाये।

दसवीं ईसवीं में आपका जन्म हुआ जिसे सारा जगत जानता है। आपके अंदर अपार शक्ति है और इससे आप दुखी लोगों के सहारा बनकर उभरे। बाछल आपकी माता और जेवर आपके पिता का नाम है और आप भागवान विष्णु के भक्त हैं। आप जेवर जी के पुत्र हैं और आपने अपने माता-पिता का नाम ऊंचा किया।

पूरन हुई कामना सारी, जिसने विनती करी तुम्हारी।

सन्त उबारे असुर संहारे, भक्त जनों के काज संवारे।

गूगावीर की अजब कहानी, जिसको ब्याही श्रीयल रानी।

बाछल रानी जेवर राना, महादुखी थे बिन सन्ताना।

जिस किसी ने भी आपसे विनती की, आपने उसकी सभी तरह की कामनाओं को पूरा किया। आपने संतों का भला किया और दुष्टों का नाश किया। आपने अपने भक्तों के सभी काम पूरे किये। आपके माता-पिता संतान ना हो पाने के कारण बहुत ही दुखी रहते थे।

भंगिन ने जब बोली मारी, जीवन हो गया उनको भारी।

सूखा बाग पड़ा नौलक्खा, देख-देख जग का मन दुक्खा।

कुछ दिन पीछे साधू आये, चेला चेली संग में लाये।

जेवर राव ने कुआ बनवाया, उद्घाटन जब करना चाहा।

आपके पिता के राज में उनके राज्य में भारी सूखा पड़ा। इससे राज्य की प्रजा बहुत निराश हो गयी। उसके कुछ दिन बाद आपके पिता के राज्य में साधू-संत आये और अपने साथ अपने चेले भी लाये। आपके पिता जेवरराव ने कुआँ खुदवाया और फिर उसका उद्घाटन किया।

खारी नीर कुए से निकला, राजा रानी का मन पिघला।

रानी तब ज्योतिषी बुलवाया, कौन पाप मैं पुत्र न पाया।

कोई उपाय हमको बतलाओ, उन कहा गोरख गुरु मनाओ।

गुरु गोरख जो खुश हो जाई, सन्तान पाना मुश्किल नाई।

कुएं में से खारा पानी निकला और यह देख कर सभी दुखी हो गए। तब आपकी माता ने ज्योतिषी को बुलाया और उन्हें पुत्र ना होने की पीड़ा सुनायी। उन्होंने ज्योतिष से इसका कोई उपाय पूछा और ज्योतिष ने उनसे गुरु गोरखनाथ से मिलने को कहा। उन्होंने बताया कि यदि बाबा गोरखनाथ प्रसन्न हो जाते हैं तो पुत्र प्राप्ति होती है।

बाछल रानी गोरख गुन गावे, नेम धर्म को न बिसरावे।

करे तपस्या दिन और राती, एक वक्त खाय रूखी चपाती।

कार्तिक माघ में करे स्नाना, व्रत इकादसी नहीं भुलाना।

पूरनमासी व्रत नहीं छोड़े, दान पुण्य से मुख नहीं मोड़े।

इसके बाद बाछल रानी ने गुरु गोरख का नाम लेना और उनकी पूजा करना शुरू कर दिया। उन्होंने दिन-रात गुरु गोरखनाथ की तपस्या की और एक समय रूखी-सूखी रोटी खायी। कार्तिक मास में उन्होंने स्नान किया और एकादशी का व्रत भी किया। पूर्णिमा के दिन भी उन्होंने व्रत किये और बहुत दान-पुण्य किया।

चेलों के संग गोरख आये, नौलखे में तम्बू तनवाये।

मीठा नीर कुए का कीना, सूखा बाग हरा कर दीना।

मेवा फल सब साधु खाए, अपने गुरु के गुन को गाये।

औघड़ भिक्षा मांगने आए, बाछल रानी ने दुख सुनाये।

बाछल रानी की भक्ति से प्रसन्न होकर बाबा गोरख उनके राज्य में आये और वहां अपना तम्बू लगाया। उन्होंने खारे पानी के कुएं को मीठे पानी में बदल दिया और सूखी धरती को हरा-भरा कर दिया। उनके चमत्कार को देख कर सभी उनके आगे नतमस्तक हो गए। तब बाछल रानी ने उन्हें अपना दुःख बताया।

औघड़ जान लियो मन माहीं, तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।

रानी होवे मनसा पूरी, गुरु शरण है बहुत जरूरी।

बारह बरस जपा गुरु नामा, तब गोरख ने मन में जाना।

पुत्र देन की हामी भर ली, पूरनमासी निश्चय कर ली।

बाबा ने रानी के मन का भेद जान लिया और उन्हें बताया कि तपस्या से कुछ भी संभव हो सकता है। गुरु की शरण में आकर रानी की इच्छा अवश्य ही पूरी होगी। बारह महीने रानी ने गुरु का नाम जपा और तब जाकर गुरु गोरखनाथ उनसे प्रसन्न हुए। उन्होंने रानी को पुत्र होने का आशीर्वाद दे दिया।

काछल कपटिन गजब गुजारा, धोखा गुरु संग किया करारा।

बाछल बनकर पुत्र पाया, बहन का दरद जरा नहीं आया।

औघड़ गुरु को भेद बताया, तब बाछल ने गूगल पाया।

कर परसादी दिया गूगल दाना, अब तुम पुत्र जनो मरदाना।

बाबा गोरख ने रानी बाछल को गूगल नाम का एक फल दिया और कहा कि इसको खाने से उन्हें शक्तिशाली पुत्र की प्राप्ति होगी। रानी ने गुरु का आशीर्वाद पाकर उसे ग्रहण कर लिया।

लीली घोड़ी और पण्डतानी, लूना दासी ने भी जानी।

रानी गूगल बाट के खाई, सब बांझों को मिली दवाई।

नरसिंह पंडित लीला घोड़ा, भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।

रूप विकट धर सब ही डरावे, जाहरवीर के मन को भावे।

रानी बाछल ने उस गूगल फल को अकेले ही ग्रहण नहीं किया बल्कि अपनी सभी बाँझ दासियों के साथ इसे मिल बाँट कर खाया। उसके कुछ समय पश्चात रानी बाछल ने एक शक्तिशाली पुत्र को जन्म दिया जिसका शरीर बहुत ही विशाल और मन को मोह लेने वाला था।

भादों कृष्ण जब नौमी आई, जेवरराव के बजी बधाई।

विवाह हुआ गूगा भये राना, संगलदीप में बने मेहमाना।

रानी श्रीयल संग परे फेरे, जाहर राज बागड़ का करे।

अरजन सरजन काछल जने, गूगा वीर से रहे वे तने।

भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को जेवरराव के घर खुशियाँ आयी क्योंकि उनके पुत्र गोगा का विवाह श्रीयल की रानी के साथ हुआ। इसे लेकर पूरे राज्य में उत्साह का माहौल था।

दिल्ली गए लड़ने के काजा, अनंग पाल चढ़े महाराजा।

उसने घेरी बागड़ सारी, जाहरवीर न हिम्मत हारी।

अरजन सरजन जान से मारे, अनंगपाल ने शस्त्र डारे।

चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया, सिंह भवन माड़ी बनवाया।

उसी में गूगावीर समाये, गोरख टीला धूनी रमाये।

दिल्ली के राजा अनंगपाल ने अपनी सेना के साथ जाहरवीर की बागड़ नगरी को चारो ओर से घेर लिया लेकिन इसे देख कर गोगाजी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अनंगपाल की सेना को परास्त कर दिया। तब अनंगपाल ने जाहरवीर के पैरों को पकड़ कर क्षमा मांगी और वहां पर सिंह भवन के नाम से एक माड़ी बनवायी। उसी माड़ी में गोगाजी समा गए थे।

पुण्य वान सेवक वहाँ आये, तन मन धन से सेवा लाए।

मन्सा पूरी उनकी होई, गूगावीर को सुमरे जोई।

चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा, सारे कष्ट हरे जगदीसा।

दूध पूत उन्हें दे विधाता, कृपा करे गुरु गोरखनाथ।

जो भी भक्तगण या सेवक अपने तन-मन-धन के साथ वहां आता है और गोगा जी की सेवा करता है, उसकी हर इच्छा पूरी हो जाती है। जो भी चालीस दिन तक जहर चालीसा का पाठ करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। गुरु गोरखनाथ की कृपा से सभी लोगों को संतान प्राप्ति होती है।


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