श्री विश्वकर्मा चालीसा भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें सृष्टि के महान शिल्पकार और वास्तुकला के देवता के रूप में जाना जाता है, को समर्पित एक पवित्र स्तोत्र है। भगवान विश्वकर्मा का पूजन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो निर्माण, कला, और शिल्प के क्षेत्र में कार्यरत हैं। श्री विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa) का पाठ करने से व्यक्ति को अपनी कार्यकुशलता में वृद्धि, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है। इस लेख में हमने श्री विश्वकर्मा चालीसा का पाठ और उसका हिंदी अर्थ प्रस्तुत किया है, जिससे भक्तगण इसे समझकर भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
श्री विश्वकर्मा चालीसा विडियो
Video Credit: Bhakti Aradhna TV
श्री विश्वकर्मा चालीसा ( Shree Vishwakarma Chalisa)
।। दोहा ।।
विनय करौं कर जोड़कर मन वचन कर्म संभारि।
मोर मनोरथ पूर्ण कर विश्वकर्मा दुष्टारि।।
।। चौपाई ।।
विश्वकर्मा तव नाम अनूपा, पावन सुखद मनन अनरूपा।
सुन्दर सुयश भुवन दशचारी, नित प्रति गावत गुण नरनारी।
शारद शेष महेश भवानी, कवि कोविद गुण ग्राहक ज्ञानी।
आगम निगम पुराण महाना, गुणातीत गुणवन्त सयाना।
जग महँ जे परमारथ वादी, धर्म धुरन्धर शुभ सनकादि।
नित नित गुण यश गावत तेरे, धन्य धन्य विश्वकर्मा मेरे।
आदि सृष्टि महँ तू अविनाशी, मोक्ष धाम तजि आयो सुपासी।
जग महँ प्रथम लीक शुभ जाकी, भुवन चारि दश कीर्ति कला की।
ब्रह्मचारी आदित्य भयो जब, वेद पारंगत ऋषि भयो तब।
दर्शन शास्त्र अरु विज्ञ पुराना, कीर्ति कला इतिहास सुजाना।
तुम आदि विश्वकर्मा कहलायो, चौदह विद्या भू पर फैलायो।
लोह काष्ठ अरु ताम्र सुवर्णा, शिला शिल्प जो पंचक वर्णा।
दे शिक्षा दुख दारिद्र नाश्यो, सुख समृद्धि जगमहं परकाश्यो।
सनकादिक ऋषि शिष्य तुम्हारे, ब्रह्मादिक जै मुनीश पुकारे।
जगत गुरु इस हेतु भये तुम, तम-अज्ञान-समूह हने तुम।
दिव्य अलौकिक गुण जाके वर, विघ्न विनाशन भय टारन कर।
सृष्टि करन हित नाम तुम्हारा, ब्रह्मा विश्वकर्मा भय धारा।
विष्णु अलौकिक जगरक्षक सम, शिवकल्याणदायक अति अनुपम।
नमो नमो विश्वकर्मा देवा, सेवत सुलभ मनोरथ देवा।
देव दनुज किन्नर गन्धर्वा, प्रणवत युगल चरण पर सर्वा।
अविचल भक्ति हृदय बस जाके, चार पदारथ करतल जाके।
सेवत तोहि भुवन दश चारी, पावन चरण भवोभव कारी।
विश्वकर्मा देवन कर देवा, सेवत सुलभ अलौकिक मेवा।
लौकिक कीर्ति कला भण्डारा, दाता त्रिभुवन यश विस्तारा।
भुवन पुत्र विश्वकर्मा तनुधरि, वेद अथर्वण तत्व मनन करि।
अथर्ववेद अरु शिल्प शास्त्र का, धनुर्वेद सब कृत्य आपका।
जब जब विपति बड़ी देवन पर, कष्ट हन्यो प्रभु कला सेवन कर।
विष्णु चक्र अरु ब्रह्म कमण्डल, रूद्र शूल सब रच्यो भूमण्डल।
इन्द्र धनुष अरु धनुष पिनाका, पुष्पक यान अलौकिक चाका।
वायुयान मय उड़न खटोले, विद्युत् कला तंत्र सब खोले।
सूर्य चन्द्र नवग्रह दिग्पाला, लोक लोकान्तर व्योम पताला।
अग्नि वायु क्षिति जल अकाशा, आविष्कार सकल परकाशा।
मनु मय त्वष्टा शिल्पी महाना, देवागम मुनि पंथ सुजाना।
लोक काष्ठ, शिल ताम्र सुकर्मा, स्वर्णकार मय पंचक धर्मा।
शिव दधीचि हरिश्चंद्र भुआरा, कृत युग शिक्षा पालेऊ सारा।
परशुराम, नल, नील, सुचेता, रावण, राम शिष्य सब त्रेता।
द्वापर द्रोणाचार्य हुलासा, विश्वकर्मा कुल कीन्ह प्रकाशा।
मयकृत शिल्प युधिष्ठिर पायेऊ, विश्वकर्मा चरणन चित ध्यायेऊ।
नाना विधि तिलस्मी करि लेखा, विक्रम पुतली दृश्य अलेखा।
वर्णातीत अकथ गुण सारा, नमो नमो भय टारन हारा।
।। दोहा ।।
दिव्य ज्योति दिव्यांश प्रभु, दिव्य ज्ञान प्रकाश।
दिव्य दृष्टि तिहुँ कालमहँ विश्वकर्मा प्रभास।।
विनय करो करि जोरि, युग पावन सुयश तुम्हार।
धारि हिय भावत रहे होय कृपा उद्गार।।
।। छन्द ।।
जे नर सप्रेम विराग श्रद्धा सहित पढ़िहहि सुनि है।
विश्वास करि चालीसा चौपाई मनन करि गुनि है।।
भव फंद विघ्नों से उसे प्रभु विश्वकर्मा दूर कर।
मोक्ष सुख देंगे अवश्य ही कष्ट विपदा चूर कर।।
Shree Vishwakarma Chalisa in English
।। Doha ।।
Vinay Karun Kar Jodkar Man Vachan Karm Sanbhari.
Mor Manorath Purn Kar Vishwakarma Dushtari.
।। Chaupai ।।
Vishwakarma Tav Naam Anupa, Pavan Sukhad Manan Anrupa.
Sundar Suyash Bhuvan Dashachari, Nit Prati Gavat Gun Narnari.
Sharad Shesh Mahesh Bhavani, Kavi Kovid Gun Grahak Gyani.
Agam Nigam Puran Mahana, Gunatit Gunvant Sayana.
Jag Mah Jey Parmarth Vaadi, Dharm Dhurandhar Shubh Sanakadi.
Nit Nit Gun Yash Gavat Tere, Dhanya Dhanya Vishwakarma Mere.
Aadi Srishti Mah Tu Avinashi, Moksh Dham Taji Aayo Supasi.
Jag Mah Pratham Leek Shubh Jaaki, Bhuvan Chari Dash Kirti Kala Ki.
Brahmchari Aditya Bhayo Jab, Ved Parangat Rishi Bhayo Tab.
Darshan Shastra Aru Vigyan Purana, Kirti Kala Itihaas Sujana.
Tum Aadi Vishwakarma Kahlayo, Choudah Vidya Bhu Par Phailayo.
Loh Kaasht Aru Tamr Suvarna, Shila Shilp Jo Panchak Varna.
De Shiksha Dukh Daridr Nashyo, Sukh Samriddhi Jagmah Prakashyo.
Sanakadik Rishi Shishya Tumhare, Brahmadik Jai Munish Pukare.
Jagat Guru Is Hetu Bhaye Tum, Tam-Agyan-Samooh Hane Tum.
Divya Alaukik Gun Jake Var, Vighn Vinashan Bhay Taran Kar.
Srishti Karan Hit Naam Tumhara, Brahma Vishwakarma Bhay Dhara.
Vishnu Alaukik Jag Rakshak Sam, Shivkalyanadayak Ati Anupam.
Namo Namo Vishwakarma Deva, Sevat Sulabh Manorath Deva.
Dev Danuj Kinnar Gandharva, Pranvat Yugal Charan Par Sarva.
Avichal Bhakti Hriday Bas Jake, Char Padarth Kartal Jake.
Sevat Tohi Bhuvan Dash Chaari, Pavan Charan Bhavobhav Kaari.
Vishwakarma Devan Kar Deva, Sevat Sulabh Alaukik Meva.
Laukik Kirti Kala Bhandara, Daata Tribhuvan Yash Vistara.
Bhuvan Putra Vishwakarma Tanudhri, Ved Atharvan Tatva Manan Kari.
Atharvaved Aru Shilp Shastra Ka, Dhanurved Sab Kritya Aapka.
Jab Jab Vipati Badi Devan Par, Kasht Hanyo Prabhu Kala Sevan Kar.
Vishnu Chakra Aru Brahma Kamandal, Rudra Shool Sab Rachyo Bhumaṇḍal.
Indra Dhanush Aru Dhanush Pinaka, Pushpak Yaan Alaukik Chaka.
Vayuyan May Udan Khatole, Vidyut Kala Tantra Sab Khole.
Suryachandra Navgrah Digpaala, Lok Lokantar Vyom Patala.
Agni Vayu Kshiti Jal Akasha, Aavishkar Sakal Prakasha.
Manu May Tvashta Shilpi Mahana, Devagam Muni Panth Sujana.
Lok Kaasht, Shil Tamr Sukarma, Swarnkar May Panchak Dharma.
Shiv Dadheechi Harishchandra Bhuara, Krit Yug Shiksha Paaleu Saara.
Parashuram, Nal, Neel, Sucheta, Ravan, Ram Shishya Sab Treta.
Dwapar Dronacharya Hulasa, Vishwakarma Kul Kinha Prakasha.
Maykrit Shilp Yudhishthir Paayeu, Vishwakarma Charanan Chit Dhyaayeu.
Naana Vidhi Tilasmi Kari Lekha, Vikram Putli Drishya Alekha.
Varnatit Akath Gun Saara, Namo Namo Bhay Taran Haara.
।। Doha ।।
Divya Jyoti Divyaansh Prabhu, Divya Gyaan Prakash.
Divya Drishti Tihun Kaalmahan Vishwakarma Prabhas.
Vinay Karo Kari Jori, Yug Paavan Suyash Tumhaar.
Dhaari Hiy Bhavat Rahe Hoy Kripa Udgaar.
।। Chand ।।
Je Nar Saprem Viraag Shraddha Sahit Padihai Suni Hai.
Vishwas Kari Chalisa Chaupaai Manan Kari Guni Hai.
Bhav Fand Vighnon Se Use Prabhu Vishwakarma Door Kar.
Moksh Sukh Denge Avashya Hi Kasht Vipda Chur Kar.
श्री विश्वकर्मा चालीसा हिंदी – अर्थ सहित (Vishwakarma Chalisa In Hindi)
।। दोहा ।।
विनय करौं कर जोड़कर मन वचन कर्म संभारि।
मोर मनोरथ पूर्ण कर विश्वकर्मा दुष्टारि।।
मैं हाथ जोड़ कर भगवान विश्वकर्मा जी की प्रार्थना करता हूँ और अपने पूरे मन, कर्म व वचन से उनसे विनती करता हूँ कि वे मेरी सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करें और मेरे कष्टों का संहार करें।
।। चौपाई ।।
विश्वकर्मा तव नाम अनूपा, पावन सुखद मनन अनरूपा।
सुन्दर सुयश भुवन दशचारी, नित प्रति गावत गुण नरनारी।
शारद शेष महेश भवानी, कवि कोविद गुण ग्राहक ज्ञानी।
आगम निगम पुराण महाना, गुणातीत गुणवन्त सयाना।
भगवान विश्वकर्मा का नाम सबसे अलग व अद्भुत है जो सभी को सुख देता है। वे बहुत ही सुन्दर, यश को प्राप्त किये हुए और हर भवन व दिशाओं में समाये हुए हैं जिनका गुणगान हर नर नारी करते हैं। उनका गुणगान तो सभी देवी-देवता, भगवान, कवि, ऋषि-मुनि, पुराण, वेद इत्यादि भी करते हैं।
जग महँ जे परमारथ वादी, धर्म धुरन्धर शुभ सनकादि।
नित नित गुण यश गावत तेरे, धन्य धन्य विश्वकर्मा मेरे।
आदि सृष्टि महँ तू अविनाशी, मोक्ष धाम तजि आयो सुपासी।
जग महँ प्रथम लीक शुभ जाकी, भुवन चारि दश कीर्ति कला की।
इस विश्व के सभी मनुष्य आपका ही गुणगान करते हैं और प्रतिदिन आपको धन्यवाद अर्पित करते हैं। इस सृष्टि में आप हर जगह व्याप्त हैं और आपकी कृपा से ही सब कुछ निर्मित हो पाया है।
ब्रह्मचारी आदित्य भयो जब, वेद पारंगत ऋषि भयो तब।
दर्शन शास्त्र अरु विज्ञ पुराना, कीर्ति कला इतिहास सुजाना।
तुम आदि विश्वकर्मा कहलायो, चौदह विद्या भू पर फैलायो।
लोह काष्ठ अरु ताम्र सुवर्णा, शिला शिल्प जो पंचक वर्णा।
जब इस सृष्टि का निर्माण हुआ और वेद इत्यादि लिखे गए, तब आप ने ही अपनी वास्तुकला से सभी सरंचनाओं का निर्माण किया। आपको ही आदि विश्वकर्मा की उपाधि दी गयी जिसने चौदह तरह की विद्याओं को इस धरती पर फैलाया। लोहा, तांबा, लकड़ी इत्यादि सभी तरह की धातुओं से आपने चीज़ों का निर्माण कार्य किया।
दे शिक्षा दुख दारिद्र नाश्यो, सुख समृद्धि जगमहं परकाश्यो।
सनकादिक ऋषि शिष्य तुम्हारे, ब्रह्मादिक जै मुनीश पुकारे।
जगत गुरु इस हेतु भये तुम, तम-अज्ञान-समूह हने तुम।
दिव्य अलौकिक गुण जाके वर, विघ्न विनाशन भय टारन कर।
आप हमें शिक्षा देकर हमारे दुःख व दरिद्रता को समाप्त कीजिये और हमें सुख समृद्धि दीजिये। सनकादिक ऋषि आपके शिष्य हैं और ब्रह्मा जी भी आपको पुकारते हैं। आप इस जगत के गुरु हैं जो इसका अंधकार हरते हैं। आपके दिव्य ज्ञान से हम सभी के संकट समाप्त हो जाते हैं।
सृष्टि करन हित नाम तुम्हारा, ब्रह्मा विश्वकर्मा भय धारा।
विष्णु अलौकिक जगरक्षक सम, शिवकल्याणदायक अति अनुपम।
नमो नमो विश्वकर्मा देवा, सेवत सुलभ मनोरथ देवा।
देव दनुज किन्नर गन्धर्वा, प्रणवत युगल चरण पर सर्वा।
सृष्टि के हित में आपका ही नाम लिखा गया है और आप भी भगवान विष्णु, ब्रह्मा व शिव के जैसे ही पूजनीय हैं। हे भगवान विश्वकर्मा! आपको नमन है, आपकी हम सभी पूजा करते हैं। सभी देवता, दनुज, किन्नर, गन्धर्व आपकी सेवा करने को तत्पर हैं।
अविचल भक्ति हृदय बस जाके, चार पदारथ करतल जाके।
सेवत तोहि भुवन दश चारी, पावन चरण भवोभव कारी।
विश्वकर्मा देवन कर देवा, सेवत सुलभ अलौकिक मेवा।
लौकिक कीर्ति कला भण्डारा, दाता त्रिभुवन यश विस्तारा।
हम हृदयभाव से अपने पैरों से चल कर आपकी भक्ति करते हैं। आप दसों दिशाओं में व्याप्त हैं और आपके चरण हम धोते हैं। आप देवताओं के भी देवता हैं और आपकी मनोभाव से सेवा करने से हमें इच्छित फल की प्राप्ति होती है। आप सभी कलाओं से भरे हुए हैं और आपका यश हर जगह व्याप्त है।
भुवन पुत्र विश्वकर्मा तनुधरि, वेद अथर्वण तत्व मनन करि।
अथर्ववेद अरु शिल्प शास्त्र का, धनुर्वेद सब कृत्य आपका।
जब जब विपति बड़ी देवन पर, कष्ट हन्यो प्रभु कला सेवन कर।
विष्णु चक्र अरु ब्रह्म कमण्डल, रूद्र शूल सब रच्यो भूमण्डल।
आप इस धरती के पुत्र हो और वेद आदि भी आपका मनन करते हैं। अथर्ववेद में शिल्प शास्त्र का अच्छे से ज्ञान मिलता है और धनुर्वेद में तो आपका ही गुणगान है। जब-जब देवताओं पर कोई संकट आया है तब-तब आपने उसका निवारण किया है। भगवान विष्णु का चक्र, भगवान ब्रह्मा का कमंडल, शिवजी का त्रिशूल, यह पृथ्वी सब आपने ही बनाये हैं।
इन्द्र धनुष अरु धनुष पिनाका, पुष्पक यान अलौकिक चाका।
वायुयान मय उड़न खटोले, विद्युत् कला तंत्र सब खोले।
सूर्य चन्द्र नवग्रह दिग्पाला, लोक लोकान्तर व्योम पताला।
अग्नि वायु क्षिति जल अकाशा, आविष्कार सकल परकाशा।
इंद्र देव का धनुष, पिनाक धनुष, पुष्पक विमान, वायुयान, विद्युत् यंत्र इत्यादि सब विश्वकर्मा जी ने ही बनाये हैं। आपने ही सूर्य, चन्द्र, नवग्रह, पाताल लोक इत्यादि का निर्माण अग्नि, जल, वायु, मिट्टी व आकाश के माध्यम से किया है जिन्हें हम पंच तत्व भी कहते हैं।
मनु मय त्वष्टा शिल्पी महाना, देवागम मुनि पंथ सुजाना।
लोक काष्ठ, शिल ताम्र सुकर्मा, स्वर्णकार मय पंचक धर्मा।
शिव दधीचि हरिश्चंद्र भुआरा, कृत युग शिक्षा पालेऊ सारा।
परशुराम, नल, नील, सुचेता, रावण, राम शिष्य सब त्रेता।
आप ही हमारे लिए सबसे महान शिल्पकार हैं और सभी चीज़ों का निर्माण करते हैं। आपने ही महर्षि दधीचि की हड्डियों से अस्त्र शस्त्रों का निर्माण किया था जिसका उपयोग भगवान परशुराम, नल, नील, रावण, श्रीराम इत्यादि ने किया था।
द्वापर द्रोणाचार्य हुलासा, विश्वकर्मा कुल कीन्ह प्रकाशा।
मयकृत शिल्प युधिष्ठिर पायेऊ, विश्वकर्मा चरणन चित ध्यायेऊ।
नाना विधि तिलस्मी करि लेखा, विक्रम पुतली दृश्य अलेखा।
वर्णातीत अकथ गुण सारा, नमो नमो भय टारन हारा।
आपने द्वापर युग में भी बहुत कार्य किया था और युधिष्ठिर की नगरी व द्वारका नगरी का निर्माण किया था। आप ही सभी सरंचनाओं के रचयिता हैं और सभी श्रेष्ठ चीज़ों का निर्माण आपने ही किया है।
।। दोहा ।।
दिव्य ज्योति दिव्यांश प्रभु, दिव्य ज्ञान प्रकाश।
दिव्य दृष्टि तिहुँ कालमहँ विश्वकर्मा प्रभास।।
विनय करो करि जोरि, युग पावन सुयश तुम्हार।
धारि हिय भावत रहे होय कृपा उद्गार।।
हे भगवान विश्वकर्मा! आप हमें दिव्य ज्योति दें, दिव्य अंश दें और दिव्य ज्ञान का प्रकाश दें। उस दिव्य दृष्टि से हम आपके कार्य को देख सकें। यही मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप हम पर कृपा करें और आपका यश हर जगह फैला हुआ है।
।। छन्द ।।
जे नर सप्रेम विराग श्रद्धा सहित पढ़िहहि सुनि है।
विश्वास करि चालीसा चौपाई मनन करि गुनि है।।
भव फंद विघ्नों से उसे प्रभु विश्वकर्मा दूर कर।
मोक्ष सुख देंगे अवश्य ही कष्ट विपदा चूर कर।।
जो भी नर नारी पूरे प्रेम व भक्तिभाव के साथ इस विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करता है और मन से इसकी चौपइयां पढ़ता है, उसके सभी दुःख व संकट समाप्त हो जाते हैं और भगवान विश्वकर्मा उसे मोक्ष प्रदान करते हैं।
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