नैना देवी चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Naina Devi Chalisa with Hindi Meaning)

नैना देवी चालीसा विडियो

नैना देवी चालीसा 

॥ दोहा ॥

नैनों में बसती छवि दुर्गे नैना मात।
प्रातः काल सिमरन करू हे जग की विख्यात॥

सुख वैभव सब आपके चरणों का प्रताप।
ममता अपनी दीजिए माई, मैं बालक करूं जाप॥

॥ चौपाई ॥

नमस्कार हैं नैना माता, दीन दुखी की भाग्य विधाता।

पार्वती ने अंश दिया हैं, नैना देवी नाम किया हैं।

दबी रही थी पिंडी होकर, चरती गायें वहा खड़ी होकर।

एक दिन अनसुईया गौ आई, पिया दूध और थी मुस्काई।

नैना ने देखी शुभ लीला, डर के भागा ऊँचा टीला।

शांत किया सपने में जाकर, मुझे पूज नैना तू आकर।

फूल पत्र दूध से भज ले, प्रेम भावना से मुझे जप ले।

तेरा कुल रोशन कर दूंगी, भंडारे तेरे भर दूंगी।

नैना ने आज्ञा को माना, शिव शक्ति का नाम बखाना।

ब्राह्मण संग पूजा करवाई, दिया फलित वर माँ मुस्काई।

ब्रह्मा विष्णु शंकर आये, भवन आपके पुष्प चढ़ाए।

पूजन आये सब नर नारी, घाटी बनी शिवालिक प्यारी।

ज्वाला माँ से प्रेम तिहारा, जोतों से मिलता हैं सहारा।

पत्तो पर जोतें हैं आती, तुम्हरें भवन हैं छा जाती।

जिनसे मिटता हैं अंधियारा, जगमग जगमग मंदिर सारा।

चिंतपुर्णी तुमरी बहना, सदा मानती हैं जो कहना।

माई वैष्णो तुमको जपतीं, सदा आपके मन में बसती।

शुभ पर्वत को धन्य किया है, गुरु गोविंद सिंह भजन किया है।

शक्ति की तलवार थमाई, जिसने हाहाकार मचाई।

मुगलो को जिसने ललकारा, गुरु के मन में रूप तिहारा।

अन्याय से आप लड़ाया, सबको शक्ति की दी छाया।

सवा लाख का हवन कराया, हलवे चने का भोग लगाया।

गुरु गोविंद सिंह करी आरती, आकाश गंगा पुण्य वारती।

नांगल धारा दान तुम्हारा, शक्ति का स्वरुप हैं न्यारा।

सिंह द्वार की शोभा बढ़ाये, जो पापी को दूर भगाए।

चौसंठ योगिनी नाचें द्वारे, बावन भेरो हैं मतवारे।

रिद्धि सिद्धि चँवर डुलावे, लांगुर वीर आज्ञा पावै।

पिंडी रूप प्रसाद चढ़ावे, नैनों से शुभ दर्शन पावें।

जैकारा जब ऊँचा लागे, भाव भक्ति का मन में जागे।

ढोल ढप्प बाजे शहनाई, डमरू छैने गाये बधाई।

सावन में सखियन संग झूलों, अष्टमी को खुशियों में फूलो।

कन्या रूप में दर्शन देती, दान पुण्य अपनों से लेती।

तन-मन-धन तुमको न्यौछावर, मांगू कुछ झोली फेलाकर।

मुझको मात विपद ने घेरा, मोहमाया ने डाला फेरा।

काम क्रोध की ओढ़ी चादर, बैठा हूँ नैया को डूबोकर।

अपनों ने मुख मोड़ लिया हैं, सदा अकेला छोड़ दिया हैं।

जीवन की छूटी है नैया, तुम बिन मेरा कौन खिवैया।

चरणामृत चरणों का पाऊँ, नैनों में तुमरे बस जाऊं।

तुमसे ही उद्धारा होगा, जीवन में उजियारा होगा।

कलयुग की फैली है माया, नाम तिहारा मन में ध्याया।


Naina Devi Chalisa in English

॥ Doha ॥

Naino mein basti chavi Durge Naina Maat.
Pratah kaal simran karu he jag ki vikhyaat.

Sukh vaibhav sab aapke charnon ka pratap.
Mamta apni deejiye maai, main baalak karu jaap.

॥ Chaupai ॥

Namaskar hain Naina Maata, deen dukhi ki bhagya vidhata.
Parvati ne ansh diya hain, Naina Devi naam kiya hain.

Dabi rahi thi pindee hokar, charti gaayein wahaan khadi hokar.
Ek din Anasuya gau aayi, piya doodh aur thi muskaayi.

Naina ne dekhi shubh leela, dar ke bhaaga ooncha teela.
Shant kiya sapne mein jaakar, mujhe pooj Naina tu aakar.

Phool patra doodh se bhaj le, prem bhavna se mujhe jap le.
Tera kul roshan kar doongi, bhandare tere bhar doongi.

Naina ne aagya ko maana, Shiv Shakti ka naam bakhaana.
Brahman sang pooja karwaayi, diya falit var maai muskaayi.

Brahma Vishnu Shankar aaye, bhavan aapke pushp chadhaye.
Poojan aaye sab nar naari, ghaati bani Shivalik pyaari.

Jwala Maata se prem tihar, jyoton se milta hain sahara.
Patton par jyotein hain aati, tumhare bhavan hain chha jaati.

Jinse mitata hain andhiyaara, jagmag jagmag mandir saara.
Chintapurni tumri behna, sada maanti hain jo kehna.

Maai Vaishno tumko japti, sada aapke man mein basti.
Shubh parvat ko dhanya kiya hain, Guru Govind Singh bhajan kiya hain.

Shakti ki talwaar thamaayi, jise haahakaar machaayi.
Mughalo ko jisne lalkara, Guru ke man mein roop tihara.

Anyay se aap ladaaya, sabko shakti ki dee chhaaya.
Sawa lakh ka havan karaya, halwe chane ka bhog lagaya.

Guru Govind Singh kari aarti, akash ganga puny waarti.
Nangal dhaara daan tumhaara, shakti ka swarup hain nyaara.

Singh dwaar ki shobha badhaaye, jo paapi ko door bhagaaye.
Chausath Yogini naachen dwaar, bawaan Bheron hain matwaare.

Riddhi Siddhi chamvar dulaave, langoor veer aagya paave.
Pindi roop prasad chadhaave, naino se shubh darshan paave.

Jaikara jab ooncha laage, bhav bhakti ka man mein jaage.
Dhol dhap bajay shehnai, damru chhaine gaaye badhaai.

Sawan mein sakhiyan sang jhoolon, Ashtami ko khushiyon mein phoolon.
Kanya roop mein darshan deti, daan puny apnon se leti.

Tan-man-dhan tumko nyauchawar, maangu kuch jhooli phailakar.
Mujhko maata vipad ne ghera, mohamaya ne daala phera.

Kaam krodh ki odhi chaadar, baitha hoon naiyaa ko doobokar.
Apnon ne mukh modh liya hain, sada akela chhod diya hain.

Jeevan ki chhuti hain naiyaa, tum bin mera kaun khivaiyaa.
Charanamrit charnon ka paoon, naino mein tumre bas jaaoon.

Tumse hi uddhaara hoga, jeevan mein ujiyaara hoga.
Kalyug ki phaili hain maya, naam tihara man mein dhyaaya.

Naina Devi Mata Darshan

नैना देवी चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Naina Devi Chalisa with Hindi Meaning)

॥ दोहा ॥

नैनों में बसती छवि दुर्गे नैना मात।
प्रातः काल सिमरन करू हे जग की विख्यात॥

सुख वैभव सब आपके चरणों का प्रताप।
ममता अपनी दीजिए माई, मैं बालक करूं जाप॥

हे माँ नैना देवी!! आपकी दुर्गा रूपी छवि हमारी आँखों में बसती है। मैं हर सुबह आपका ही ध्यान करता हूँ और आप इस जगत में प्रसिद्ध हैं। हमें सुख व वैभव आपकी कृपा के कारण ही प्राप्त होता है। मैं आपका बालक आपके नाम का जाप कर रहा हूँ और अब आप माता की भांति मुझे दुलार करें।

॥ चौपाई ॥

नमस्कार हैं नैना माता, दीन दुखी की भाग्य विधाता।

पार्वती ने अंश दिया हैं, नैना देवी नाम किया हैं।

दबी रही थी पिंडी होकर, चरती गायें वहा खड़ी होकर।

एक दिन अनसुईया गौ आई, पिया दूध और थी मुस्काई।

नैना माता को मेरा नमस्कार है। वे दीन व दुखी लोगों का भाग्य बना देती हैं। उनका प्राकट्य पार्वती (सती) माता के अंश से हुआ है और उसी से उनका यह नाम नैना देवी पड़ा है। वर्षों तक वे अपने स्थान पर पिंडी होकर दबी रही, जहाँ पर गाय माता चारा चरती थी। एक दिन वहां पर अनसुइया गाय आयी और आप उनका दूध पीकर मुस्कुराने लगी।

नैना ने देखी शुभ लीला, डर के भागा ऊँचा टीला।

शांत किया सपने में जाकर, मुझे पूज नैना तू आकर।

फूल पत्र दूध से भज ले, प्रेम भावना से मुझे जप ले।

तेरा कुल रोशन कर दूंगी, भंडारे तेरे भर दूंगी।

वहां पर नैना नाम का एक लड़का अपनी गायों को लेकर आया हुआ था और जब उसने नैना देवी की यह अद्भुत लीला देखी तो वह डरकर दूसरी पहाड़ी पर भाग गया। तब नैना माता ने उस लड़के के सपने में आकर उसे शांत किया और उसे अपनी पूजा करने को कहा। नैना माता ने उससे कहा कि यदि वह फूल, दूध इत्यादि लेकर प्रेम भावना के साथ उस पिंडी की पूजा करता है तो मातारानी उसके परिवार का भाग्य खोल देंगी और उसके घर को धन-धान्य से भर देंगी।

नैना ने आज्ञा को माना, शिव शक्ति का नाम बखाना।

ब्राह्मण संग पूजा करवाई, दिया फलित वर माँ मुस्काई।

ब्रह्मा विष्णु शंकर आये, भवन आपके पुष्प चढ़ाए।

पूजन आये सब नर नारी, घाटी बनी शिवालिक प्यारी।

नैना लड़के ने माँ की आज्ञा का पालन किया और शिव शक्ति का नाम लिया। तब नैना ने ब्राह्मण को बुलाकर उस पिंडी की पूजा करवायी और नैना के इस भक्तिभाव को देखकर नैना माता ने उसे वरदान दिया। भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शंकर भी वहां आये और नैना माता के ऊपर पुष्प चढ़ाये। यह देखकर उस घाटी में और लोग भी आ गए और वह घाटी शिवालिक नाम से प्रसिद्ध हो गयी।

ज्वाला माँ से प्रेम तिहारा, जोतों से मिलता हैं सहारा।

पत्तो पर जोतें हैं आती, तुम्हरें भवन हैं छा जाती।

जिनसे मिटता हैं अंधियारा, जगमग जगमग मंदिर सारा।

चिंतपुर्णी तुमरी बहना, सदा मानती हैं जो कहना।

ज्वाला माता से आपका बहुत प्रेम है और हमें आपका सहारा बहुत ही मुश्किल से मिलता है। आप अपने यहाँ के पेड़-पौधों में भी निवास करती हैं और हर जगह छा जाती हैं। आपके प्रकाश से तो इस जगत का अंधकार भी मिट जाता है और आपके मंदिर की रोशनी दूर तक दिखाई देती है। चिंतपूर्णी माता आपकी बहन हैं और वे आपकी हरेक आज्ञा का पालन करती हैं।

माई वैष्णो तुमको जपतीं, सदा आपके मन में बसती।

शुभ पर्वत को धन्य किया है, गुरु गोविंद सिंह भजन किया है।

शक्ति की तलवार थमाई, जिसने हाहाकार मचाई।

मुगलो को जिसने ललकारा, गुरु के मन में रूप तिहारा।

वैष्णो माता भी आपके नाम का जाप करती हैं और आपके मन में भी हमेशा से वैष्णो माता का ही वास है। आपने पिंडी रूप में प्रकट होकर उस पर्वत का उद्धार कर दिया है और सिख धर्म के अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने भी आपके नाम का भजन किया है। आपने ही गुरु गोविंद सिंह को शक्ति स्वरुप में वह तलवार भेंट की थी जिसने दुश्मनों में हाहाकार मचा दिया था। दुष्ट व आततायी मुगलों को उसी तलवार से ललकारा गया था और गुरु गोविंद सिंह के मन में आपका ही वास है।

अन्याय से आप लड़ाया, सबको शक्ति की दी छाया।

सवा लाख का हवन कराया, हलवे चने का भोग लगाया।

गुरु गोविंद सिंह करी आरती, आकाश गंगा पुण्य वारती।

नांगल धारा दान तुम्हारा, शक्ति का स्वरुप हैं न्यारा।

आपने ही सभी की अन्याय के विरुद्ध लड़ने में सहायता की और उन्हें इसके लिए शक्ति दी। तब गुरु गोविंद सिंह ने आपके मंदिर में सवा लाख का हवन करवाया था और आपको हलवे, चने का भोग लगाया था। गुरु गोविंद सिंह ने आपके नाम की आरती की थी और यह देखकर सब जगह मंगल हो गया था। आपका शक्ति स्वरुप सबसे अलग है और आप हम सभी का उद्धार कर देती हैं।

सिंह द्वार की शोभा बढ़ाये, जो पापी को दूर भगाए।

चौसंठ योगिनी नाचें द्वारे, बावन भेरो हैं मतवारे।

रिद्धि सिद्धि चँवर डुलावे, लांगुर वीर आज्ञा पावै।

पिंडी रूप प्रसाद चढ़ावे, नैनों से शुभ दर्शन पावें।

जो कोई भी पापियों का अंत कर देता है, वह नैना माता के सिंह द्वार की शोभा को बढ़ाने का कार्य करता है। माँ नैना देवी के दरबार में तो चौसंठ योगिनियाँ व बावन भैरों बाबा मतवाले होकर नृत्य करते हैं। रिद्धि-सिद्धि उन्हें चंवर डुलाती हैं तो हनुमान जी उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। जो भी नैना माता की उस पिंडी पर प्रसाद चढ़ाता है और उनका ध्यान करता है, उसे अपनी आँखों से नैना माता के दर्शन होते हैं।

जैकारा जब ऊँचा लागे, भाव भक्ति का मन में जागे।

ढोल ढप्प बाजे शहनाई, डमरू छैने गाये बधाई।

सावन में सखियन संग झूलों, अष्टमी को खुशियों में फूलो।

कन्या रूप में दर्शन देती, दान पुण्य अपनों से लेती।

नैना माता के नाम का जयकारा सबसे ऊँचा लगता है और उनके ध्यान से हमारे मन में भक्ति भाव जागृत होता है। माँ के स्वागत में ढोल, नगाड़े, शहनाई, डमरू इत्यादि बजाये जाते हैं। सावन के महीने में माँ नैना देवी अपनी सखियों सहित झूलती हैं तो नवरात्र की अष्टमी को खुशियों से भर जाती हैं। उस समय वे कन्या रूप में हमें दर्शन देती हैं और अपनों से ही दान-पुण्य लेती हैं।

तन-मन-धन तुमको न्यौछावर, मांगू कुछ झोली फेलाकर।

मुझको मात विपद ने घेरा, मोहमाया ने डाला फेरा।

काम क्रोध की ओढ़ी चादर, बैठा हूँ नैया को डूबोकर।

अपनों ने मुख मोड़ लिया हैं, सदा अकेला छोड़ दिया हैं।

मैं अपना तन, मन व धन आपके ऊपर ही लुटा देता हूँ और अब मैं अपनी झोली फैलाकर आपसे याचना कर रहा हूँ। मुझे कई तरह की विपदाओं ने घेरा हुआ है और साथ ही मैं इस सांसारिक मोहमाया में फंसा हुआ हूँ। मेरे अंदर काम व क्रोध की भावनाएं हैं और मैं अपना जीवन बर्बाद करके बैठा हुआ हूँ। अब तो मुझ से मेरे अपनों ने भी मुहं मोड़ लिया है और मैं इस जगत में अकेला पड़ गया हूँ।

जीवन की छूटी है नैया, तुम बिन मेरा कौन खिवैया।

चरणामृत चरणों का पाऊँ, नैनों में तुमरे बस जाऊं।

तुमसे ही उद्धारा होगा, जीवन में उजियारा होगा।

कलयुग की फैली है माया, नाम तिहारा मन में ध्याया।

मेरे जीवन की नांव डूबने वाली है और अब आपके बिना मेरा कौन ही सहारा है। मेरी तो यही इच्छा है कि मुझे आपके चरणों में स्थान मिले और आपकी आँखों में मैं हमेशा के लिए बस जाऊं। आपकी कृपा से ही मेरा उद्धार होगा और मेरे जीवन में आगे का मार्ग प्रशस्त होगा। इस कलियुग में फैली हुई मोहमाया से बचने के लिए आपका नाम लेना ही पर्याप्त है।


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